शोपियां मामले में फर्जी सबूत पेश करने के आरोप में दो डॉक्टर बर्खास्त

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर सरकार ने गुरुवार को डॉ़ बिलाल अहमद दलाल और डा़ निगहत शाहीन चिल्लू को कथित तौर पर एक साजिश का हिस्सा होने और तथ्यों को गलत पेश कर 2009 में दो महिलाओं की मौत को बलात्कार और हत्या के रूप में साबित करने पर उनकी सेवाएं समाप्त कर दी। अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी।

30 मई 2009 को शोपियां में दो महिलाएं, आसिया और नीलोफर, एक नदी में मृत पाई गईं। आरोप थे कि सुरक्षा कर्मियों द्वारा उनके साथ बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। इस मामले के कारण कश्मीर में एक महीने से अधिक समय तक बड़े पैमाने पर अशांति फैली।

पुलिस ने शुरुआत में मामले की जांच की और बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच के दौरान पाया कि दोनों महिलाओं के साथ कभी बलात्कार नहीं हुआ था। दोनों डॉक्टर बिलाल और निगहत महिलाओं के पोस्टमॉर्टम से जुड़े हुए थे।

अधिकारियों ने बताया कि दोनों डाक्टरों को पाकिस्तान के साथ सक्रिय रूप से काम करने और शोपियां की आसिया और नीलोफर की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित करने एवं साजिश रचने के लिए सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने कहा कि दोनों महिलाओं की मृत्यु 29 मई 2009 को डूबने से हुई थी।

उन्होंने कहा कि दोनों का उद्देश्य सुरक्षा बलों पर बलात्कार और हत्या का झूठा आरोप लगाकर राज्य में असंतोष पैदा करना था। जांच से पता चला कि तत्कालीन सरकार के शीर्ष अधिकारियों को तथ्यों के बारे में पता था, जिसे दबा दिया गया था।