बॉम्बे हाईकोर्ट ने जैन मंदिर विध्वंस पर बीएमसी की कार्रवाई को माना वैध

मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा विले पार्ले स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के विध्वंस को बरकरार रखा है और कहा है कि नगर निगम की कार्रवाई वैध थी।

इस फैसले के बाद नगर निगम अभियंता संघ ने कड़ा रुख अपनाते हुए राजनीतिक नेताओं पर शांतिप्रिय जैन समुदाय को भड़काने का आरोप लगाया है और अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।

बीएमसी के के-ईस्ट वार्ड ने अप्रैल में कांबले वाडी स्थित पार्श्वनाथ जैन संरचना को ध्वस्त किया था। जैन समुदाय ने विरोध प्रदर्शन और कानूनी हस्तक्षेप के साथ इसका विरोध किया, जिसके बाद अदालत ने विध्वंस पर रोक लगा दी और स्थल पर यथास्थिति बनाए रखी। हालाँकि अदालत के नवीनतम फैसले के साथ ही नगर निगम को अब कानूनी रूप से परिसर खाली करने की अनुमति मिल गई है।

इंजीनियर्स एसोसिएशन ने विशेष रूप से वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि आंदोलन को उनका समर्थन अनुचित है। इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश भूटेकर देशमुख ने कहा कि किसी वरिष्ठ मंत्री से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व करे या किसी समुदाय को भड़काए।

उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री और राज्यपाल से उन्हें मंत्री पद से हटाने और उनका विधायक का दर्जा रद्द करने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन इस मामले में अदालत का भी दरवाजा खटखटाएगा।

देशमुख ने कहा कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है और उस जगह पर कभी कोई मंदिर नहीं था, केवल एक टिनशेड संरचना थी। उन्होंने कहा कि विध्वंस के दौरान किसी ने आपत्ति नहीं की। अदालत द्वारा स्थगन आदेश जारी करने के बाद, अचानक लोगों ने आपत्तियां उठानी शुरू कर दीं।एसोसिएशन ने यह भी मांग की है कि निलंबित सहायक आयुक्त नवनाथ घाडगे, जिन्हें विध्वंस के लिए दंडित किया गया था, को सम्मानपूर्वक बहाल किया जाए।