राजस्थान में गुरुवार को हुई सर्वदलीय बैठक, 19 जनवरी से शुरू होगा सत्र

जयपुर। राजस्थान में 16वीं विधानसभा के प्रथम सत्र की पुनः बैठक 19 जनवरी को शुरु होने से एक दिन पहले यहां सर्वदलीय बैठक हुई।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की ऐतिहासिक पहल पर लोकसभा की तरह विधानसभा का सत्र शुरु होने से पहले यहां सर्वदलीय बैठक आयेाजित की गई। देवनानी ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन में सभी सदस्यों को बोलने का मौका मिलेगा। विधानसभा का सदन अधिक से अधिक दिन चले इसके लिए सभी दलों के सभी सदस्यों को सकारात्मक सोच रखनी होगी। उन्होंने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सोलहवीं विधानसभा के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों की है।

उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण को सभी सदस्यों को शान्तिपूर्वक सुनने का आग्रह करते हुए कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है। सदन में राज्यपाल का पूरा सम्मान होना चाहिए] इसके लिए राज्यपाल अभिभाषण के समय सदन में शांति रखे एवं अभिभाषण को धैर्यपूर्वक सुना जाना चाहिए। सदन में तख्तियां या प्लेकार्ड कोई भी नहीं लाए।

वनानी ने कहा कि सभी दलों को चर्चा के लिए नियमानुसार समय आवंटित किया जायेगा। समय सीमा में ही सदस्य अधिक से अधिक अपनी बात रखें। उन्होंने कहा कि यह दल के नेता कि जिम्मेदारी होगी कि उनके दल का सदस्य सदन में अपनी बात को आवंटित समय में ही रखने का प्रयास करे।

उन्होंने कहा कि यह सदन जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने का पवित्र स्थल है। इस स्थल की गरिमा को बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। जनहित के मुद्दों पर सार्थक चर्चा होगी। इसके लिए यदि सदन को देर तक चलाने की आवश्यकता होगी तो सदन को देर तक चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि समस्याओं का हल बातचीत से होता है। सदन में समस्याओं के निस्तारण का प्रयास होगा। यहां पर सदस्यों की बातों को गम्भीरता से लिया जायेगा और उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं का निस्तारण भी कराया जायेगा।

देवनानी ने प्रश्नों के उत्तर नहीं आने पर चिन्ता जताते हुए कहा कि अब समय पर प्रश्नों के जवाब मंगाए जाएंगे। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। सदन में समितियों की रिपोर्ट समय पर मंगाई जाएगी और उन पर आवश्यक रूप से चर्चा भी कराई जाएगी।

उन्होंने कहा कि सदन का प्रश्न और शून्यकाल महत्वपूर्ण होता है। इन दोनों समय में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं होना चाहिए इसके लिए सभी दलों को सोचना होगा। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में स्थगन के साथ पूर्व की भांति पर्ची के माध्यम से अविलम्बकनीय लोक महत्व के उठाये जाने विषयों की व्यतवस्था को पुनः लागू किया जाएगा और पर्ची से उठाए जाने वाले विषयों पर जवाब भी दिलाया जाएगा।

उन्होंने सभी दलों से अपील की है कि सदन में गरिमा में रहकर मुद्दे उठाएं जाए। सभी सदस्यों को सदन में मर्यादा में रहकर अपनी बात रखे और अमर्यादित आचरण नहीं करना चाहिए। देवनानी ने विधानसभा की सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी की बताते हुए कहा कि दर्शकदीर्घा में आने वाले लोगों को अनुमति दिलाने से पहले विधायक संबंधित व्यक्ति के व्यवहार का आकलन अवश्य करना चाहिए ताकि सदन में किसी प्रकार की असुरक्षा ना हो।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि सदन में अपनी-अपनी बात रखने के लिए पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सभी सदस्यों की भावना एक समान होती है। उन्होनें कहा कि सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका मिले इसके लिए पूरे प्रयास किए जाए और सदस्यों को भी अपनी बात समय सीमा में रखने का प्रयास करना चाहिए।

कांग्रेस के टीकाराम जूली ने कहा कि सदन में रखी गई बातों को सरकार गंभीरता से ले और प्रश्नों के जवाब अगले सत्र से पहले आवश्यक रूप से प्रस्तुत कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी पक्ष के साथ प्रतिपक्ष की भी है। उन्होंने अध्यक्ष को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के सदस्य सदन में मर्यादापूर्ण व्यवहार से अपनी बात रखेंगे।

संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में देवनानी की यह नवीन और ऐतिहासिक पहल है। सदन संचालन में इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे। बैठक में सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, बहुजन समाज पार्टी के मनोज कुमार और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के डॉ. सुभाष गर्ग भी मौजूद थे।