अजमेर डिस्कॉम क्षेत्र में 79852 घरों में बिजली पहुंचाने सहित विभिन्न प्रस्तावों को मंजूरी

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अजमेर डिस्कॉम क्षेत्र में 79 हजार 852 घरों में बिजली पहुंचाने, आधुनिक उपकरणों से वन्यजीवों की निगरानी मजबूत करने सहित विभिन्न प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

अजमेर डिस्कॉम क्षेत्र के सात जिलों के 79 हजार 852 घर शीघ्र ही बिजली से रोशन होंगे और गहलोत ने ऐसे अविद्युतीकृत घरों में बिजली पहुंचाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह कार्य पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के तहत किया जाएगा। गहलोत के निर्णय से सौभाग्य योजना की समाप्ति व प्रदेश में 31 मार्च 2019 के बाद विद्युतीकरण से वंचित रहे घरों में बिजली पहुंचाई जाएगी। इस कार्य हेतु 282.12 करोड़ रुपए राज्य सरकार द्वारा व्यय किए जाएंगे।

विद्युतीकृत होने वाले घरों में बांसवाड़ा जिले के 14990, डूंगरपुर जिले के 4189, नागौर जिले के 15615, प्रतापगढ़ जिले के 890, राजसमंद जिले के 9501, सीकर जिले के 77 तथा उदयपुर जिले के 34590 घर शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने बजट वर्ष 2023-24 में इस संबंध में घोषणा की थी।

प्रदेश में वन्यजीवों की निगरानी आधुनिक तकनीक युक्त उपकरणों से करने के साथ ही वन क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए वायरलेस सिस्टम में भी सुधार किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री ने आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने और उपकरणों की खरीद के लिए 15 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति दी है।

इस निर्णय से ड्रोन के माध्यम से सीडिंग के साथ वायरलेस सिस्टम को मजबूत बनाया जाएगा। टै्रप कैमरों से वन्यजीवों की निगरानी की जा सकेगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री वर्ष 2023-24 के बजट इस संबंध में घोषणा की थी।

अशोक गहलोत ने जयपुर के श्री गोविन्द देव जी मंदिर में विभिन्न विकास कार्यां के लिए 20.30 करोड़ रुपए के वित्तीय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। गहलोत ने बीकानेर के श्री राजरतन बिहारी मंदिर में भी जीर्णोद्धार एवं सुविधाओं के लिए वित्तीय स्वीकृति दी है। इसमें 3.62 करोड़ रुपए की लागत आएगी। दोनों ही जगह राशि पर्यटन विकास कोष से खर्च की जाएगी। गहलोत के इन निर्णयों से इन मंदिरों का सौन्दर्यीकरण, मंदिर मार्गां एवं जन सुविधाओं का विस्तार हो सकेगा। श्रद्धालुओं को भी दर्शन में सुगमता होगी।

उल्लेखनीय है कि अशोक गहलोत ने बजट में 100 करोड़ रुपए की लागत से श्री गोविंद देव जी मंदिर परिसर में भव्य कॉरिडोर व अन्य विकास कार्य कराए जाने की घोषणा की थी। यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ और उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर बनेगा। इससे श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ेगी।