राहुल की सदस्यता जिस तेजी से खत्म की, उसी गति से बहाल हो : कांग्रेस

नई दिल्ली। मोदी सरनेम प्रकरण में सुप्रीमकोर्ट के फैसले से उत्साहित कांग्रेस ने आज कहा कि पार्टी नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता को उसी तेजी से बहाल किया जाना चाहिए जिस तेजी उसे खत्म किया गया था और उनके नेता को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में बोलने का मौका मिलना चाहिए।

राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मानहानि मामले में अपनी सजा पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘सच्चाई की जीत’ बताया है।

उन्होंने कहा कि आज नहीं तो कल सच्चाई की जीत होती है। मुझे अपना लक्ष्य पता है, मैं जानता हूं मुझे क्या करना है। मेरी सोच स्पष्ट है, मेरा क्या काम है उसको लेकर मेरे दिमाग में सब कुछ क्लीयर है। जिन्होंने हमारी मदद की और जनता ने जो प्यार और समर्थन दिया, उसके लिए सभी का धन्यवाद।

खडगे ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज बहुत ही खुशी का दिन है। लोकतंत्र की जीत हुई है, संविधान की जीत हुई है। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। यह कांग्रेस पार्टी की नहीं पूरे भारत की और लोकतंत्र की जीत है। ये भारत की जनता की जीत है। राहुल गांधी जी सच्चाई और देशहित के लिए कन्याकुमारी से कश्मीर तक चार हजार किमी से ज्यादा चलकर सभी वर्ग के लोगों से मिले हैं, उन सबकी दुआएं हमारे साथ हैं। राहुल गांधी जी को डिसक्वालीफाई करने में सिर्फ 24 घंटे लगाए गए थे, अब देखना है कि उन्हें रीइन्स्टेट कब करते हैं।

उन्होंने कहा कि यह लोगों की जीत है, वोटरों की जीत है। वायनाड की जनता की जीत है। अब देखना यह है कि जिन राहुल गांधी की तत्काल संसद की सदस्यता खत्म की गई थी अब देखना है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें बहाल करने में कितना समय लेते हैं। इतना इंतजार किया है, थोड़ा और कर लेंगे। शायद मोदी सरकार को एहसास हो गया होगा कि उन्होंने जो किया है वह गलत था और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जिस वक्त हमने सुना कि राहुल गांधी जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है, हमारे बीच खुशी की लहर दौड़ गई। यह खबर सुनते ही हम सदन में चेयरमैन के पास गए और उनसे राहुल गांधी जी पर लगी पाबंदियां हटा कर जल्द से जल्द सदन में बुलाने की बात की। सदन में गांधी की अनुपस्थिति बराबर महसूस होती रही है। गांधी को न्यायालय के आदेश के बाद सदन में आने से जब रोका गया यह सबके लिए दुखद स्थिति थी। जब गांधी की सदस्यता खत्म कर उनके घर को भी तत्काल खाली कराने का काम किया है यह बहुत दुखद स्थिति थी।

उन्होंने कहा कि फैसले के बाद वह लोकसभा अध्यक्ष से मिले हैं और गांधी की सदस्यता को तत्काल बहाल करने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि हमने अध्यक्ष से मिलकर आग्रह किया है कि गांधी को जिस तत्परता के साथ निलम्बित किया गया उसी तत्परता के साथ उन्हें बहाल किया जाना चाहिए।

कांग्रेस नेता ने संसद में हंगामें के बीच विधेयक पारित करने को गलत परंपरा बताया और कहा कि संसद में सरकार एक के बाद एक करके सारे विधेयक पारित करवा रही है जबकि सदन में चर्चा किसी विधेयक पर नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले गांधी को संसद में आना चाहिए और इसको लेकर लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया जा रहा है।

सिंघवी ने कहा कि फिर से चलेगी सवालों की आंधी, जब संसद में लौटेंगे राहुल गांधी। अब हम संसद में बड़ी उत्सुकता के साथ जनता से जुड़े मुद्दों पर राहुल गांधी जी की बुलंद आवाज सुनने को तैयार हैं। निचली अदालतों ने बार-बार कहा कि राहुल गांधी जी माफी मांगें, क्योंकि कुछ लोगों को इस मुद्दे पर राजनीति करनी थी। वहीं राहुल गांधी जी ने कहा कि वो सिद्धांतों पर लड़ रहे हैं, उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था।

उन्होंने कहा कि आखिर में लोकतंत्र की जीत हुई। यह सिर्फ राहुल गांधी नहीं बल्कि लोकतंत्र की जीत है और उम्मीद की जानी चाहिए कि भाजपा का जो विभाग विपक्ष को निशाना बनाता है उस पर रोक लगेगी। जनता गांधी को सुनना चाहती है और गांधी बोलेंगे और सरकार से उसकी जिम्मेदारी को लेकर सवाल करेंगे। गांधी को न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और उन्हें मालूम है कि उन्हें किस तरह से आगे बढना है।

सिंघवी ने कहा कि गांधी ने न्याय के लिए न्यायालय में निचली अदालत से उच्चतम न्यायालय तक गुहार लगाई है। वह जानते थे कि उन्हें न्याय मिलेगा इसलिए सब्र के साथ कदम उठाते रहे। मानहानि के मामले में गांधी के खिलाफ जैसी कार्रवाई की गई है ऐसा आज तक कभी नहीं हुआ और यही बात न्यायालय को बताई गई।

उन्होंने कहा कि इस मामले में दो साल के अधिकत्तम दंड का प्रावधान है और आज तक ऐसे मामले में किसी को दो साल का दंड नहीं मिला है। उच्चतम न्यायालय को बताया गया कि निचली अदालतों ने यह नहीं बताया कि आखिर किस आधार पर गांधी की सदस्यता को दो साल के लिए खत्म की गई है। उन्होंने कहा कि यह फैसला विश्वास को बल देता है और पूरे देश का विश्वास न्यायालय पर और बढा है। निचली अदालत में गांधी से बार बार माफी मांगने के लिए कहा गया क्योंकि इसको लेकर भाजपा को राजनीतिक लाभ अर्जित करना था।

गांधी की तत्काल सदन की सदस्यता बहाल करने संबंधी सवाल पर सिंघवी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि सरकार इस मामले में तत्परता दिखाएगी और फैसले से संबंधित जो कागजात हैं उन्हें तत्काल अध्यक्ष को पहुंचा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि फैसले के अनुसार सरकार गांधी की सदस्यता बहाल करने में अब कोई बहानेबाजी नहीं कर सकती है।