देवर्षि नारद जयंती समारोह : पत्रकारों को सम्मान के साथ मिली नकद राशि

विश्व संवाद केंद्र चित्तौड़ प्रांत
भीलवाड़ा। देवर्षि नारद जयंती पर विश्व संवाद केंद्र चित्तौड़ प्रांत का पत्रकार सम्मान समारोह भीलवाड़ा आरसी व्यास स्थित शगुन फूड कोर्ट पर रविवार को आयोजित हुआ। भीलवाड़ा महानगर सह प्रचार प्रमुख पवन विजयवर्गीय ने बताया कि कार्यक्रम के लिए चित्तौड़ प्रांत के सभी पत्रकारों से 4 श्रेणियों में ऑनलाइन प्रविष्टियां मांगी गई थी। कुल 152 आवेदन प्राप्त हुए। सभी प्रविष्टियों को देखकर निर्णायक समिति द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों का चयन किया गया।

उत्कृष्ट पत्रकार संयुक्त रूप में भीलवाड़ा राजस्थान पत्रिका के तेज नारायण शर्मा को 11000 रुपए एवं बारां दैनिक भास्कर के संजय चौरसिया 11000 रुपए, उत्कृष्ठ सोशल मीडिया पत्रकार के लिए प्रतापगढ़ के संजय जैन 11000 रुपए, उत्कृष्ठ छाया चित्रकार संयुक्त में अजमेर के स्वतंत्र फोटोजर्नलिस्ट दीपक शर्मा को 5,500 एवं कोटा राजस्थान पत्रिका के नीरज गौतम को 5,500, न्यूज रूम पत्रकार के लिए कोटा राजस्थान पत्रिका के शैलेंद्र तिवारी 11,000 रुपए राशि एवं देवर्षि नारद का चित्र देकर सम्मानित किया गया।

पत्रकारों को सम्मानित करते समय प्रोजेक्टर पर उनके द्वारा कर की गई स्टोरी को पीपीटी के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। पत्रकारों को सम्मान की घोषणा प्रांत के सह प्रचार प्रमुख शिवकुमार कुमावत द्वारा की गई।

कार्यक्रम का आरंभ देवर्षि नारद एवं भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात विश्व संवाद केंद्र चित्तौड़ प्रांत भीलवाड़ा चेप्टर के सचिव दीपक सोमानी ने पधारे हुए अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्व संवाद केंद्र के उपाध्यक्ष सरोज कुमार ने पत्रकारिता के संबंध में इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता के बारे में बताया।

पत्रकार का दायित्व समाज को परिष्कृत करना

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं विचारक हनुमान सिंह राठौड़ ने बताया कि पत्रकार का दायित्व समाज को परिष्कृत करना है। देवर्षि लोक कल्याणकारी पत्रकारिता के आदर्श प्रतिमान है, जिससे वर्तमान पत्रकारिता जगत अपनी समस्त चुनौतियों का समाधान प्राप्त कर सकता है। जो अध्यात्म की ओर प्रेरित करें और कलह से निवृति करें, वही नारद है।

देवर्षि नारद जी की पत्रकारिता और मौजूदा समय की पत्रकारिता की तुलना बहुत ही तर्कपूर्ण और गहराई से की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य समाज के मन को परिष्कृत करना होना चाहिए। ऐसी पत्रकारिता देवर्षि नारद जी ने की थी। भले ही देवताओं और असुरों में युद्ध चल रहा हो, लेकिन दोनों ही वर्ग नारद जी की सूचनाओं पर भरोसा करते थे।

असुरों से संवाद होने के बाद भी नारद जी हमेशा धर्म के साथ खड़े रहे। चूंकि नारद जी धर्म के साथ थे, इसलिए कभी भी असत्य बात नहीं की। राठौड़ ने कहा कि आज भी हमें नारद जी जैसी पत्रकारिता की जरुरत है। आज जब पत्रकारिता बहुआयामी हो गई है, तब पत्रकारिता पर से भरोसा कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में नई तकनीक की जरुरत है, लेकिन आज इस तकनीक के दम पर पत्रकारिता का अर्थ बदल गया है।

प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के बाद अब सोशल मीडिया और आर्टिफिशल इटेंलीजेंसी तकनीक आ गई है। हमें इन तकनीकों से सावधान रहने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति का अध्यात्म से जुड़ाव है। हमें तकनीक, समाचार संकलन के साथ साथ पाठक की रुचि का विशेष ध्यान रखना होगा। आज पाठक और सूचना के बीच समय और दूरी घट गई है। राठौड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि हिंदी के अखबारों में अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग होता है।

अखबार के संपादक तर्क देते हैं कि पाठकों के आसानी से समझ में आ जाए इसलिए अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। राठौड़ ने कहा कि यह तर्क नहीं कुतर्क है, क्योंकि जो शब्द हिंदी भाषा के स्वरूप को ही बदल दे, उसे पत्रकारिता नहीं कहा जा सकता है। राठौड़ ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि अब पत्रकारिता अर्थिक पैकेज से प्रभावित होने लगी है। कई बार समाज की खबर इसलिए नहीं छप पाती है कि आर्थिक पैकेज वाला कोटा पूरा नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि आज सूचनाओं की भरमार है, लेकिन कौनसी सूचना दी जाए, यह तय करना महत्व का काम है। आए दिन अखबारों में बलात्कार की घटनाओं की खबरें प्रकाशित होती है। मीडिया को यह भी बताना चाहिए कि देश की आबादी के मुकाबले में बलात्कार की कितनी घटनाएं हो रही है। आज मीडिया का काम सिर्फ सूचना देना नहीं बल्कि सूचना के पीछे छिपे तथ्यों को भी लाना है। वर्तमान समय में समाज में फैलाई जा रही भ्रामक समाचारों पर भी निर्भीकता से पत्रकारों द्वारा स्पष्टीकरण प्रकट करना चाहिए।

इनका भी मिला मार्गदर्शन

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. डा. संगीता प्रणवेंद्र ने बताया कि वर्तमान समय में पत्रकारिता का काम काफी चुनौतियों से भरा है। पत्रकार को समय कल और परिस्थिति के अनुसार सही निर्णय कर सही तथ्यों को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए भीलवाड़ा राजस्थान पत्रिका के संपादकीय प्रभारी एडिटर अनिल सिंह चौहान ने बताया कि पत्रकारिता मानव धर्म आधारित होनी चाहिए। जिसे उन्होंने अपने जीवन में घटित दो घटनाओं जयपुर बम ब्लास्ट एवं दोष में गुर्जर आंदोलन के माध्यम से बताया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भीलवाड़ा प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुखपाल जाट ने बताया कि दो पक्षों की सच्चाई की खबर दिखाना ही बड़ी चुनौती होती है। इस चुनौती को पत्रकार भली-भांति जानता है। चाहे कितना भी दबाव हो पत्रकार नहीं डरता और दोनों पक्ष रखता है। कोरोना काल के समय में पत्रकारों द्वारा सामान्य जन तक मेडिकल एसोसिएशन के सहयोग से निशुल्क दवाइयों का वितरण किया गया।

कार्यक्रम के अंत में विश्व संवाद केंद्र, भीलवाड़ा चेप्टर के अध्यक्ष, पत्रकार ओम कसारा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन दीपेश कांकरिया ने किया। कार्यक्रम में निर्णायक मंडल से एसपी मित्तल, भूपेंद्र जी चास्टा व कौशल मूंदड़ा, चित्तौड़ प्रांत के प्रचार प्रमुख राजेंद्र लालवानी, विश्व संवाद केंद्र से नितिन रूपेश, प्रवीण कोटिया, डॉ सुनील खटीक, विनोद कुमार गोखरू, गोविंद सोडाणी, रविंद्र जाजू, नटवरलाल ओझा, भगवान लाल जीनगर, दीपक कुमार सेन एवं जिला प्रचार टोली के सदस्य उपस्थित रहे।

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