कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा समूह के दो शीर्ष अधिकारियों क्रोनिक केयर मैनेजमेंट (सीसीएम) कार्यालय के कार्यकारी निदेशक अनिल वैलापरम्पिल अब्राहम और इस समूह के लंबे समय से सहयोगी जितेंद्र प्रसाद वर्मा को कथित धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया है।
यह गिरफ्तारी सहारा इंडिया और उसके समूह की संस्थाओं के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है। ईडी ने एक बयान में कहा कि अब्राहम ने सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री के समन्वय और सुविधा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें से कई में बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी शामिल थी जिसमें गबन किया गया था। वहीं, वर्मा की कई संपत्ति लेनदेन को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका रही थी और जानबूझकर इन बिक्री लेनदेन से उत्पन्न बड़ी नकदी आय को रूट करने में सहायता की।
केंद्रीय एजेंसी ने पीएमएलए के प्रावधानों के तहत की गई तलाशी कार्रवाई के दौरान बरामद किए गए कई आपत्तिजनक साक्ष्य भी जब्त किए। ईडी ने कहा कि ऐसे सबूतों से पता चलता है कि सहारा समूह की संपत्तियों को एक-एक करके गुप्त तरीके से बेचा जा रहा था। विभिन्न डिजिटल सबूतों से यह भी पता चला कि इन दोनों व्यक्तियों ने ऐसी संपत्तियों को बेचने और सहारा समूह के प्रमोटरों को धन की हेराफेरी करने में मदद करने में अहम भूमिका निभाई है।
ईडी के अनुसार प्रमोटर भारत से बाहर रहते हुए इस तरह के कदाचार में लिप्त पाए गए। एजेंसी ने ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एचआईसीसीएसएल) और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 की धारा 420 और 120बी के तहत दर्ज तीन प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की है।
सहारा समूह की विभिन्न संस्थाओं के विरुद्ध 500 से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गयीं हैं, जिनमें से 300 से अधिक पीएमएलए के अंतर्गत अनुसूचित अपराधों से संबंधित हैं। इन प्राथमिकियों में परिपक्वता भुगतान से इनकार करके जमाकर्ताओं के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है।
जांच में यह भी पता चला कि सहारा समूह एचआईसीसीएसएल, एससीसीएसएल, एसयूएमसीएस, एसएमसीएसएल, एसआईसीसीएल, एसआईआरईसीएल, एसएचआईसीएल और अन्य संस्थाओं के माध्यम से जमाकर्ताओं और एजेंटों को उच्च रिटर्न और कमीशन का वादा करके एक पोंजी योजना चला रहा था।
जमाकर्ताओं की निगरानी के बिना, निधियों का प्रबंधन अनियमित तरीके से किया गया। परिपक्वता राशि का भुगतान नहीं किया गया, बल्कि दबाव या गलत बयानी के तहत पुनर्निवेश किया गया और इस तरह के भुगतान न करने को छिपाने के लिए खातों में हेरफेर किया गया। वित्तीय अक्षमता के बावजूद समूह ने नई जमा राशि एकत्र करना जारी रखा, जिसका एक हिस्सा बेनामी संपत्तियों और व्यक्तिगत खर्चों के लिए गबन कर लिया गया।
समूह की संपत्तियों को आंशिक नकद भुगतान के लिए भी बेच दिया गया, जिससे जमाकर्ताओं के वैध दावों को और भी नकार दिया गया। ईडी ने कहा कि जांच के दौरान जमाकर्ताओं, एजेंटों, सहारा समूह के कर्मचारियों और अन्य संबंधित व्यक्तियों सहित विभिन्न व्यक्तियों के बयान पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए हैं।
ईडी के अनुसार पीएमएलए की धारा 17 के तहत तलाशी ली गई, जिसमें 2.98 करोड़ रुपए नकद ज़ब्त किए गए। इस मामले में दो कुर्की आदेश जारी किए गए हैं, जिनमें एंबी वैली में लगभग 1,460 करोड़ रुपए के बाज़ार मूल्य वाली 707 एकड़ ज़मीन और सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड में लगभग 1,538 करोड़ रुपए के बाज़ार मूल्य वाली 1,023 एकड़ ज़मीन ज़ब्त की गई है।