जिनके लिए लोढ़ा ने अपने को ठुकराया, उन्होंने ही खोल दिया मोर्चा

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सबगुरु न्यूज-सिरोही (परीक्षित मिश्रा)। सिरोही के विधायक संयम लोढ़ा पर उनके करीबी कार्यकर्ता ये आरोप लगाते रहे है कि वो भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में करने के लिए उनके हितों को दरकिनार कर रहे हैं।

ये कार्यकर्ता ये भी चेतावनी देते रहे थे कि चुनाव आने पर इनमें से कोई इनका नहीं होगा और शनिवार को अज्ञात स्थान पर हुई बैठक में यही होता नजर आ रहा है। सूत्रों के अनुसार सिरोही में मूल संगठन की बैठक के बहाने भाजपा के कार्यकर्ताओं की बुलाई गई बैठक में कथित रूप से संयम लोढ़ा द्वारा उपकृत ऐसे ही कार्मिकों ने सिरोही विधानसभा की लड़ाई को अस्तित्व की लड़ाई बताते हुए संयम लोढ़ा के खिलाफ बिगुल फूंकने का आह्वान कर दिया।
– बताया धर्म-अधर्म की लड़ाई
सूत्रों के अनुसार सिरोही के एक भाजपा पदाधिकारी के माध्यम से इनके मातृ संगठन के पदाधिकारियों ने राजमाता धर्मशाला के निकटतम स्थल पर बैठक आयोजित की। इसमें तैयारी तो करनी थी किसी रैली की लेकिन, ये बैठक पूरी तरह से राजनीतिक हो गई।

सूत्रों की मानें तो कथित रूप से संयम लोढ़ा के द्वारा उपकृत हुए पाव दर्जन ऐसे कार्मिकों ने इसे संबोधित किया जो उनके कार्यकाल में सिरोही में ही रहे और इनके करीबियों को जिले के सुदूर जिलों में स्थानांतरित करवा दिया। सूत्रों की मानें तो इन लोगों ने संयम लोढ़ा के खिलाफ इस विधानसभा चुनाव की लड़ाई को धर्म-अधर्म की लड़ाई बताते हुए बैठक में बुलाए गए चुनिंदा भाजपाइयों से चुनाव में जुट जाने का आह्वान किया।
-गादीपतियों को अपनों पर ही अविश्वास
सूत्रों की मानें तो भाजपा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ये पाव दर्जन वक्ता इस तरह से जोशी जी हो गए थे कि यूं लग रहा था सिंदरथ के खेतलाजी के जैसे कोप से ईवीएम पर संयम लोढ़ा के चुनाव चिन्ह को ही झुलसा देंगे। सांगठनिक मर्यादा के अनुसार इन गादिपतियों को खुदको कभी भी चुनाव में सक्रिय भूमिका नहीं निभानी होती है।

लेकिन, अपनी गादियां हिलने का डर इस कदर इन लोगों में था कि इन्होंने संगठन के अस्तित्व के नाम पर खुदके अस्तित्व को बचाने की कवायद की। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि जिन भाजपा कार्यकर्ताओं से इनको काम लेना है उनके प्रति इतना अविश्वास था कि इनके मोबाइल तक बाहर रखवाए और जेबें चैक करके बैठक स्थल में जाने दिया गया।
-अपने कार्यकर्ताओ को किया था दरकिनार
जितेन्द्र की एक मूवी थी, जुदाई। इसमें आनन्द बख्शी द्वारा लिखित एक गीत था। जिसके बोल थे, ‘अपनों को जो ठुकराएगा, गैरों की ठोकरें खाएगा, इक पल की गलतफहमी के लिए, सारा जीवन पछताएगा।’ इस बार सिरोही विधायक संयम लोढ़ा भी इसी इक पल की गलतफहमी को शिकार थे कि अपने कार्यकर्ताओं के हितों को ठिकाने लगा सकते हैं, वो कहां जाएंगे। लेकिन, जिन लोगों के लिए उन्होंने ये किया उन्होंने उन्हें ठुकराते हुए शनिवार को बंद दीवारों में खुली आवाज में मोर्चा खोल दिया।
इन्हीं के लिए संयम लोढ़ा के कई खास कार्यकर्ताओं को इस दलील कि साथ पंचायत समिति चुनावों में बूथों पर निष्क्रिय बैठे देखा गया कि उन्हें काम तो भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं का ही करना है तो वोट भी उनसे ही डलवाएं। पंचायत चुनावों में संयम लोढ़ा के नेतृत्व में सिरोही और शिवगंज पंचायत समिति में कांग्रेस की बुरी तरह हार की मूल वजह भी यही थी।