जीएसएलवी रॉकेट ने निसार उपग्रह को लेकर सफलतापूर्वक उड़ान भरी

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारत के जीएसएलवी रॉकेट ने बुधवार शाम भारत-अमेरिका संयुक्त पृथ्वी अवलोकन उपग्रह निसार को लेकर श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक उड़ान भरी।

सूर्य समकालिक धुव्रीय रॉकेट जीएसएलवी ने नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह को लेकर शाम 17:40 बजे यहां से उड़ान भरी। कुल 420.5 टन भार वाले 51.70 मीटर ऊँचे तीन-चरणीय रॉकेट ने 27.5 घंटे की सुचारू उलटी गिनती के बाद दूसरे लॉन्च पैड से सफर प्रारंभ किया।

रॉकेट के आकाश में उड़ान भरने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि उड़ान सामान्य है। निसार उपग्रह जीएसएलवी रॉकेट से अलग होने के बाद भूमध्य रेखा से 98.405 डिग्री के झुकाव के साथ 743 किलोमीटर की सूर्य-समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित हो जाएगा।

इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन, नासा, जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और अमरीकी दूतावास के अधिकारियों सहित मिशन नियंत्रण केंद्र के वैज्ञानिक इसकी उड़ान पर पैनी नज़र बनाए हुए हैं।

एक दशक से भी अधिक समय से चले इस ऐतिहासिक मिशन पर 1.5 अरब डॉलर से अधिक का खर्च आया है और यह पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय परिवर्तनों की निगरानी के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है।

इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने उपग्रह की चौबीसों घंटे निगरानी क्षमताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि निसार उपग्रह सभी मौसमों में, चौबीसों घंटे तस्वीरें ले सकता है। यह भूस्खलन का पता लगाने, जलवायु परिवर्तन की निगरानी करने और आपदा प्रबंधन में सहायता करेगा।

इसरो की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार नासा ने एल-बैंड एसएआर, उच्च-दर दूरसंचार उप-प्रणाली, जीपीएस रिसीवर और तैनाती सक्षम एंटीना प्रदान किया है। इस मिशन में कईं नयी खूबियां हैं। निसार दोहरे बैंड वाला पहला रडार सेटेलाइट है। पहली बार जीएसएलवी राकेट सेटेलाइट को सूर्य-तुल्यकालिक कक्षा में स्थापित करने के लिए ले जाएगा।

यह विश्व में अपनी तरह का पहला उपग्रह है जो प्रत्येक 12 दिनों की अवधि में सभी तरह के मौसम में दिन और रात पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा। निसार उपग्रह एक सेंटीमीटर के दायरे की सटीक फोटो खींचने और उसे भेजने में पूरी तरह सक्षम है। नासा ने इसमें एल-बैंड और इसरो ने एस-बैंड राडार लगाया है जो सबसे आधुनिक है।