नवरात्री व्रत का इतिहास, महत्व तथा शास्त्र

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।। अर्थ : समस्त प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी कल्याण करने वाली, सब के मनोरथ को पूरा करने वाली, तुम्हीं शरण ग्रहण करने योग्य हो, तीन नेत्रों वाली यानी भूत, भविष्य और वर्तमान को प्रत्यक्ष देखने वाली हो, तुम्ही शिव पत्नी, तुम्ही नारायणी अर्थात … नवरात्री व्रत का इतिहास, महत्व तथा शास्त्र को पढ़ना जारी रखें