यौन उत्पीड़न : कलाक्षेत्र फाउंडेशन ने गठित की तीन सदस्यीय समिति

चेन्नई। तमिलनाडु में कलाक्षेत्र फाउंडेशन के बोर्ड ने फैकल्टी पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद इस मामलों की जांच के लिए तीन सदस्यीय स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया है। समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) के कन्नन करेंगे और इसके सदस्य के रूप में तमिलनाडु की पूर्व पुलिस महानिदेश (डीजीपी) लतिका सरन और डॉ शोभा वर्थमान होंगी।

कलाक्षेत्र फाउंडेशन ने आज एक बयान में कहा कि जांच पैनल के गठन का फैसला सोमवार शाम यहां हुई संस्थान की बोर्ड बैठक में उचित विचार-विमर्श के बाद लिया गया। बैठक में पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम की समीक्षा की गई और परिसर में हाल की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की गई।

बोर्ड ने फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे रुक्मणी देवी कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स के सहायक प्रोफेसर हरि पैडमैन को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। पुलिस ने सोमवार को हरि पेडमैन को गिरफ्तार किया था और सैदापेट मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत किया था, जहां से उन्हें 13 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

उन्हें केरल निवासी एक पूर्व छात्र की लिखित शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसके आधार पर अड्यार ऑल महिला थाना भारतीय दंड संहिता की धारा धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न), 509 (किसी महिला की लज्जा का अपमान करने के उद्देश्य से शब्द, हावभाव या कार्य करना) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत हरि पैडमैन के खिलाफ के तहत मामला दर्ज किया है।

बोर्ड ने यह भी निर्णय लिया कि संजीथ लाल, साईं कृष्णन और श्रीनाथ, रेपर्टरी कलाकारों की सेवाओं को उत्पीड़न में उनकी कथित संलिप्तता के लिए तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जा सकता है।

बयान में कहा गया कि फाउंडेशन के प्रशासन को मजबूत करने के लिए फाउंडेशन ने एक नए छात्र परामर्शदाता और एक स्वतंत्र सलाहकार समिति की नियुक्ति करके आंतरिक शिकायत समिति का भी पुनर्गठन किया। बोर्ड ने छात्रों से पुनर्निर्धारित परीक्षाओं में भाग लेने की भी अपील की।

बयान के मुताबिक कलाक्षेत्र फाउंडेशन अपने छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और सभी के लिए एक सुरक्षित एवं समावेशी वातावरण प्रदान करने के हेतु पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। गौरतलब है कि पुलिस के मुताबिक इस मामले में अब तक केवल एक शिकायत के आधार पर एक ही गिरफ्तारी हुई है। इससे पहले किसी अन्य ने कोई शिकायत नहीं की थी।

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि फैकल्टी ने सोशल मीडिया के माध्यम से उसे अश्लील संदेश भेजे थे और जब वह संस्थान में छात्रा थी, तब उसका यौन उत्पीड़न भी किया था। प्राथमिकी न्याय और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर छात्रों के धरने-प्रदर्शन के बाद दर्ज की गई थी। संकाय के सभी चार सदस्यों को छात्रों द्वारा अपराधियों के रूप में नामित किया गया है।

तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष जिन्होंने कैंपस में प्रदर्शनकारी छात्रों से मुलाकात की, ने कहा कि उन्हें छात्रों से लिखित और ऑनलाइन दोनों में 90 से अधिक शिकायतें मिली हैं। उन्होंने कहा कि कई छात्राओं ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों से एसएमएस संदेश और वीडियो कॉल के माध्यम से यौन उत्पीड़न हो रहा है।

कलाक्षेत्र फाउंडेशन की निदेशक रेवती रामचंद्रन, उप निदेशक पद्मावती और आंतरिक शिकायत समिति की सदस्य उमा माहेश्वरी सोमवार को पूछताछ के लिए एसएचआरसी अध्यक्ष के समक्ष पेश हुईं। इस दौरान एसएचआरसी ने संस्थान को यौन उत्पीड़न के आरोपों में शामिल तीन अन्य संकाय सदस्यों को अगले आदेश तक संस्थान में प्रवेश की अनुमति नहीं देने का निर्देश दिया है। शिकायतों का अध्ययन करने के बाद कुमारी ने सोमवार शाम राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव वी. इराय अनबू को अपनी रिपोर्ट सौंपी।