महाराष्ट्र कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक चव्हाण भाजपा में शामिल

मुंबई। कांग्रेस विधायक एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण मंगलवार को यहां उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

चव्हाण ने सोमवार को कांग्रेस पार्टी और विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उनका भाजपा में जाना लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके पहले दो दिग्गज नेताओं बाबा सिद्दीकी और मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था।

भाजपा में शामिल होने के बाद चव्हाण ने कहा कि मैं एक नया राजनीतिक करियर शुरू कर रहा हूं। उन्होंने फड़णवीस और महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले की उपस्थिति में पार्टी के मुंबई कार्यालय में सदस्यता ग्रहण की। पूर्व कांग्रेस नेता के भाजपा कार्यालय पहुंचने के बाद बावनकुले ने उनसे प्राथमिक सदस्यता फॉर्म पर हस्ताक्षर करने का अनुरोध किया।

फड़नवीस ने कहा कि आज हमारे लिए बहुत खुशी का दिन है, क्योंकि महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेताओं में से एक भाजपा में शामिल हो गए हैं। बावनकुले ने कहा कि चव्हाण दो बार राज्य के मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक रह चुके हैं। वह विभिन्न मंत्री पदों पर भी रहे हैं। उनका भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए गर्व का क्षण है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय गृह मंत्री शंकर राव चव्हाण के बेटे होने के नाते अशोक चव्हाण ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बनाए रखने की पूरी कोशिश की। अपने पिता की ही तरह वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1985 में मराठवाड़ा के नांदेड़ शहर में संजय गांधी निराधार योजना के अध्यक्ष के रूप में की। तीस वर्ष की उम्र में उन्होंने प्रकाश अंबेडकर को चुनाव में हराया। वह 1987 से 1989 तक सांसद रहे, हालांकि 1989 के लोकसभा चुनाव में वह हार गये।

चव्हाण ने 1999 में विधानसभा चुनाव जीता। इसके बाद उनका करियर लगातार ऊपर चढ़ता गया। उन्होंने शरद पवार और विलासराव देशमुख के मंत्रिमंडल में विभिन्न विभागों को संभालने के बाद 2008 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव के दौरान  चव्हाण पर एक मराठी दैनिक में निश्चित राशि का भुगतान करके ‘अशोक पर्व’ के नाम से अतिरिक्त परिशिष्ट के तौर पर पेड न्यूज छपवाने और अपने चुनाव खर्च में इसका ब्योरा नहीं देने का आरोप लगा था।

इसके बाद, उनका नाम आदर्श हाउसिंग सोसायटी के घोटाले में सामने आया, जो कारगिल युद्ध के नायकों की विधवाओं और आश्रितों के लिए बनाई गई थी। इसके परिणामस्वरूप उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।