‘मन की बात’ को लोगों ने जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का मंच बना दिया है : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि मन की बात’ कार्यक्रम के लिए उनके पास हर महीने लाखों संदेश आते हैं और लोगों ने इस प्लेटफार्म को जनभागीदारी का एक अदभुत मंच बना दिया है।

मोदी ने अपने इस रेडियो प्रसारण की 98वीं कड़ी में कहा कि शतक की तरफ बढ़ते इस सफर में, मन की बात को आप सभी ने, जनभागीदारी की अभिव्यक्ति का, अदभुत प्लेटफार्म बना दिया है। हर महीने लाखों सदेशों में कितने ही लोगों के मन की बात मुझ तक पहुंचती है।

मोदी ने कहा कि उन्होंने इस कार्यक्रम के जरिए यह अनुभव किया है कि समाज की शक्ति से कैसे देश की शक्ति बढ़ती है। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि मुझे वह दिन याद है, जब हमने मन की बात में भारत के पारंपरिक खेलों के प्रोत्साहन की बात की थी। तुरंत उस समय देश में एक लहर सी उठ गई, भारतीय खेलों के जुड़ने की, इनमें रमने की, इन्हें सीखने की। इसी सदर्भ में उन्होंने मन की बात में उल्लेख से भारतीय खिलौने और भारतीय किस्सागोई की ओर बढ़े आकर्षणों का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि इसी तरह मन की बात में भारतीय खिलौनों की बात हुई तो देश के लोगों ने, इसे हाथों-हाथ बढ़ावा दिया तथा अब भारतीय खिलौनों का इतना आकर्षण हो गया है, कि विदेशों में भी इनकी मांग बहुत बढ़ रही है। जब मन की बात में हमने किस्सागोई की भारतीय विधाओं पर बात की तो इनकी प्रसिद्धि भी दूर-दूर तक पहुंच गई। लोग ज्यादा से ज्यादा भारतीय किस्सागोई की विधाओं की तरफ आकर्षित होने लगे।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की जयन्ती यानी एकता दिवस के अवसर पर मन की बात में देशभक्ति पर गीत, लोरी और रंगोली में तीन प्रतियोगिताओं की बात के बाद देशभर के 700 से अधिक जिलों के पांच लाख से अधिक लोगों ने बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लिया है। हर आयु वर्ग के लोगों ने 20 से अधिक भाषाओं में इसके लिए अपनी प्रविष्टियां भेजी हैं। मोदी ने प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टि भेजने वालों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने इसी चर्चा के दौरान महान गायिका लता मंगेशकर जी, लता दीदी को याद किया, जिन्होंने यह प्रतियोगिता प्रारंभ होने के दिन ट्वीट करके देशवासियों से इसमें जुड़ने का आग्रह किया था।

प्रधानमंत्री ने बताया कि लोरी लिखने की प्रतियोगिता का पहला पुरस्कार, कर्नाटक के चामराजनगर जिले के बीएम मंजूनाथ जी को कन्नड़ में लिखी उनकी लोरी मलगू कन्दा के लिए मिला है, जो कुछ इस प्रकार है-सो जाओ, सो जाओ, बेबी,मेरे समझदार लाडले, सो जाओ, दिन चला गया है और अन्धेरा है, निद्रा देवी आ जाएगी, सितारों के बाग से…।

असम में कामरूप के दिनेश गोवाला को इसमें दूसरा पुरस्कार मिला है, जिनकी लोरी पर मिट्टी और धातु के बर्तन बनाने वाले स्थानीय कारीगरों के लोकप्रिय हस्तकौशल की छाप है, जो कुछ इस तरह है..कुम्हार दादा झोला लेकर आए हैं।

मोदी ने बताया कि रंगोली प्रतियोगिता की पुरस्कृत प्रविष्टियों में पंजाब के कमल कुमार ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और अमर शहीद वीर भगत सिंह की बहुत ही सुन्दर रंगोली बनाई। महाराष्ट्र के सांगली के सचिन नरेन्द्र अवसारी ने अपनी रंगोली में जलियांवाला बाग, उसका जनसंहार और शहीद उधम सिंह की बहादुरी को प्रदर्शित किया। गोवा के रहने वाले गुरुदत्त वान्टेकर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की रंगोली बनाई, जबकि पुद्दुचेरी के मालातिसेल्वम ने भी आजादी के कई महान सेनानियों पर अपना कल्पना प्रस्तुत की

देशभक्ति गीत प्रतियोगिता में विजेता टी विजय दुर्गा का गीत उनके क्षेत्र के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नरसिम्हा रेड्डी गारू से काफी प्रेरित हैं। उन्होंने कुछ इस तरह लिखा है-रेनाडू प्रांत के सूरज,हे वीर नरसिंह!भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंकुर हो, अंकुश हो!

प्रधानमंत्री ने दीपक वत्स के पुरस्कृत गीत-भारत दुनियां की शान है भैया, अपना देश महान है, के क्लिप को भी सुनाया और लोगों ने संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर, इन्हें, अपने परिवार के साथ देखें और सुनें का आह्वान करते हुए कहा कि इससे लोगों को बहुत प्रेरणा मिलेगी।

मोदी ने वाराणसी के विख्यात शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का भी उल्लेख किया, जिनके नाम पर संगीत एवं मंचन कलाओं के क्षेत्र में उभरते कलाकारों को कुछ दिन पहले उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार दिए गए।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर ‘सुरसिंगार’ के वादक कलाकार जॉयदीप मुखर्जी का क्लिप सुनाया तथा कहा कि इस वाद्ययंत्र की धुनों को सुनना पिछले 50 और 60 के दशक से ही दुर्लभ हो चुका था, लेकिन, जॉयदीप सुरसिंगार को फिर से लोकप्रिय बनाने में जी-जान से जुटे हैं।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक वाद्ययंत्र मैंडोलिन के लिए पुरस्कृत उप्पलपू नागमणि, संग्राम सिंह सुहास भंडारे (वारकरी कीर्तन), वी दुर्गा देवी (करकट्टम), राज कुमार नायक का भी उल्लेख किया और कहा कि जिन्होंने तेलंगाना के 31 जिलों में, 101 दिन तक चलने वाली पेरिनी ओडिसी का आयोजन किया था। आज, लोग, उन्हें, पेरिनी राजकुमार के नाम से जानने लगे हैं।

मोदी ने उस्ताद बिस्मिल्ला खां पुरस्कार विजेता साइखौम सुरचंद्रा सिंह (मैतेई पुंग), उत्तराखंड के दिव्यांग कलाकार पूरन सिंह (राजूला-मलुशाही, न्यौली, हुड़का बोल, जागर आदि संगीत) का भी जिक्र किया।