माउंट आबू: कांग्रेसी चाहें CM गहलोत को मिले उपलब्धि का श्रेय, SDM कार्यालय भाजपा पर मेहरबान!

जिला कलेक्टर से मिलते स्वघोषित रूप से माउंट आबू के हितों की रक्षार्थ गठित आबू संघर्ष समिति के लोग जिनमे से कुछ को मोनिटरिंग कमिटी के विरोध की एवज में उपखंड अधिकारियों द्वारा नवाजने का आरोप लग रहा है।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। माउंट आबू उपखंड अधिकारी के नोडल अधिकार में बनी माउंट आबू मोनिटरिंग कमिटी के द्वारा स्वीकृत रिनोवेशन और रिपेयर की 18 पत्रावलियों में शामिल नामों ने माउंट आबू में सोशल मीडिया में हलचल मचा दी है।कांग्रेस की पार्षद तस्लीम बानो ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम देखना चाहते हैं कि माउंट आबू के गरीब के नाम पर आंदोलन करने वाले लोग इन 18 लोगों की सूची में कितने गरीबों को शामिल करवा पाए हैं। मोनिटरिंग कमिटी और नगर पालिका के कांग्रेसी चाह रहे हैं कि 40 साल से माउंट आबू की निर्माण की समस्या मिटाने का श्रेय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मिले, जबकि माउंट आबू के उपखंड अधिकारी उन भाजपाइयों पर मेहरबान हैं जो गहलोत सरकार से उपलब्धि छीनने के लिए माउंट आबू के लोगों को राहत नहीं मिले इसलिये सरकार के खिलाफ धरने प्रदर्शन करते रहे।

-धरने और मेहरबानी का समय शक के दायरे में
माउंट आबू में मॉनिटरिंग कमिटी और कांग्रेस के खिलाफ धरने प्रदर्शन करके वहां ले लोगों की राहत रोकने के तीन प्रमुख धरने और न्यायालय से स्टे आये। ये धरने तब तब हुए जब जब उपखंड अधिकारी और इन नगर पालिका बोर्ड व मोनिटरिंग कमिटी में विवाद हुआ। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इन धरनो, न्यायिक वाद और प्रदर्शनों में उन आधा दर्जन लोगों को उपखंड अधिकारियो के द्वारा भरपूर निर्माण सामग्री जारी की गई। धरनो की टाइमिंग और आम आदमी की जगह धरनार्थियों का फायदा ये सोचने को मजबूर कर रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उपलब्धि छीनने के लिए किसी स्थानीय सरकारी अधिकारी द्वारा समर्थित धरने तो माउंट आबू में नहीं करवाये जा रहे हैं?

सूत्रों की माने तक पिछली बैठक से पहले रविवार को  एक स्थानीय सरकारी दफ्तर खुला रहा है सरकार की खिलाफत करने वाले उस दिन उस अधिकारी से मिले और बतियाते रहे। अशोक गहलोत सरकार के निर्णय के खिलाफ धरना देने वाले भाजपाइयों पर मेहरबानी उसी उपखंड अधिकारी कार्यालय से हो रही है जहां से गहलोत सरकार को असहिष्णु बताने के लिए अपने वैध घर के अंदर घुस रहे पेड़ को छांटने के लिए धरने पर बैठे आम आबुवासी को 151 के तहत गिरफ्तार करने का आदेश निकाल दिया जाता था।
-भाजपा झाड़ चुकी है स्विमिंग पूल वालों के पैरोकार नेताओं से पल्ला
कथित रूप से आम आदमी के हक के लिए बनाई गई संघर्ष समिति में आम आदमी की समस्याओं को सुलझाने की बजाय रईस होटल मालिकों के स्विमिंग पूल बनवाने की पैरोकारी के आरोप  में घिरी संघर्ष समिति में शामिल भाजपा नेताओ से माउंट आबू भाजपा मंडल ने पल्ला झाड़ लिया है। मांउट आबू मंडल अध्यक्ष टेकचंद भंबानी ने आम आबू वासियों की जगह रईस होटल वालों को पैरोकारी करने वाले भाजपा नेताओ के बयान से भाजपा की शहर में पिट रही भद्द से अजीज आकर ये घोषणा की।
भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष टेकचंद भंबानी ने परिर्वतन यात्रा की तैयारी बैठक के बाद मिडिया के द्वारा माउंट आबू भाजपा बहुमत वाली संघर्ष समिति के आम आदमी की जगह रईसों  के स्विमिंग पूल बनाने की पैरोकारी करने वाले में बयानों पर किए सवाल पर कहा कि इस तरह की पैरोकारी करने वालों के बयान से भाजपा का कोई लेना देना नहीं है। ये उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है संगठन की नहीं। भाजपा तो माउंट आबू के हर आम और ख़ास आदमी को समान रूप से उनके हक मिले इसके पक्ष में है। यही नहीं भाजपा अध्यक्ष भंबानी ने तो यही बात बैठक के दाैरान वहां मौजुद पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से भी कही। उन्होने ये भी कहा कि बिना मंडल की सहमति के इस तरह के किसी भी बयान से बचने की कोशिश करें जिससे विवाद खड़ा होने की संभावना है।
– भाजपा के कई छोटे कार्यकर्ता वैध निर्माण को तरस रहे हैं
भाजपा नेताओ के बहुमत वाली संघर्ष समिति की बैठक के बाद भाजपा नेताओ ने जो बयान दिए वो कितने स्वार्थपूर्ण थे ये इस बात से पता लगता है कि उनके संगठन के ही कई कार्यकर्ता अपना वैध घर होते हुए भी एक कमरा भी नहीं बना पा रहे हैं। वहीं कथित रूप से रविवार को सरकारी कार्मिकों से बैठक के बाद मॉनिटरिंग कमिटी का विरोध करने के नाम पर माउंट आबू के आम आदमी के हितों के लिए संघर्ष करने का  दावा करने वाली समिति के लोगों पर कई रईसों के लिए 10- 10 हज़ार स्क्वायर फीट निर्माण सामग्री जारी करवाने के आरोप लगा । इन आरोपों से घिरी भाजपा के बहुमत वाले संघर्ष समिति के भाजपाई अपने पार्टी के कई सारे कार्यकर्ताओ के लिए वैध  होने बाद 100 स्क्वायर  फीट निर्माण सामग्री जारी नहीं करवा सके।
जांच की जाए तो इन आंदोलनों की आड़ में अवैध निर्माणों के लिए इतनी निर्माण सामग्री जारी की गई है कि कम से कम माउंट आबू में आम आदमियों के 30 मकान ने बन जाएं और 100 से ज्यादा मकान दुरुस्त कर लिए जाएं।

इनमे से कुछ  मामलों का अप्रत्यक्ष जिक्र तो मोनिटरिंग कमिटी ने अपने पत्र में भी किया है। मांउट आबू में अवैध निर्माण रोकने के लिए उपखण्ड अधिकारियो को सिर्फ टोकन के आधिकार दिए थे, उसका दुरुपयोग करते हुए मोनिटरिंग  कमिटी के सचिव को दरकिनार करते हुए उपखण्ड अधिकारियो ने जरूरतमंदों की बजाय माउंट आबू में रईसों के निर्माण सामग्री का अंबार लगवा दिया। हाल में 18 रिनोवेशन और मरम्मत की पत्रावलियों में भाजपा के आम कार्यकर्ता के हित पर कुठाराघात करने वाले भाजपा नेता का नाम होना खुद भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए सन्देश है कि उनके कंधों पर चढ़कर ये भाजपाई  अपने महल बनवा रहे हैं।
– मोनिटरिंग कमिटी ने दिखाई देर से सख्ती
उपखंड अधिकारी द्वारा मोनिटरिंग कमिटी की बैठक बुलाए बिना एकाधिकार करते हुए मोनिटरिंग कमिटी को ओवर पावर करते हुए निर्माण सामग्री जारी करने की तानाशाही पर सख्ती दिखाने में मोनिटरिंग कमिटी के द्वारा की गई देरी ने भी माउंट आबू के लोगों को राहत मिलने में बाधा पहुंचाई। मांउट आबू में उपखण्ड अधिकारी सिर्फ टोकन जारी करने वाला नोडल अधिकारी है न कि सर्वेसर्वा। उन्हे भी पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की अवहेलना  क्करते हुए अवैधानिक  रूप से एक परिपत्र  के माध्यम से बनाया गया है। मोनिटरिंग कमिटी की अवहेलना करके उपखण्ड अधिकारियो के द्वारा सिंगल हस्ताक्षर से जारी की गई निर्माण  सामग्री के सारे टोकन अवैधानिक और गैर कानूनी तरीके से जारी किए हैं। मोनिटरिंग कमिटी और हक  से वंचित किया गया माउंट  आबू का आम नागरिक जब चाहें तब इनपर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 19 के तहत किसी  भी न्यायलय में कारवाई करवा सकता है।

मोनिटरिंग  कमिटी के द्वारा ये कदम उठाने में की गई देरी के कारण मांउट आबू को राहत में देरी हुई, लेकीन देर आयद दुरुस्त आयद। मांउट आबू में आम आदमी के घर पर तोड़क  दस्ता लेकर चढ़ जाने वाले उपखंड अधिकारीयों और नगर पालिका के लिए भी माउंट आबू ईको सेंसिटिव जोन के नोटिफिकेशन में एक हिदायत छिपी है। सांसद देवजी पटेल के रिश्तेदार के घर पर हुई कारवाई के दौरान तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी को इसी कायदे का सामना करना पड़ा था।