छात्रसंघ चुनावों के नामांकन के दौरान ‘आमने सामने’ आये NSUI और ABVP

सिरोही के राजकीय महाविद्यालय के गेट पर आमने सामने होने पर एबीवीपी और एनएसयूआई के झंडे लहराते समर्थक।
सिरोही के राजकीय महाविद्यालय के गेट पर आमने सामने होने पर एबीवीपी और एनएसयूआई के झंडे लहराते समर्थक।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिले भर में सोमवार को महाविद्यालयों में  छात्रसंघ चुनावों के लेकर नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया हुई।
छात्र संघ प्रतिनिधि के चुनावों के लिये अध्यक्ष, महासचिव, सचिव और संयुक्त सचिव पद के लिए विद्यार्थियों ने नामांकन दाखिल किए। दो साल बाद हो रहे छात्रसंघ चुनावों को लेकर छात्रों में विशेष उत्साह देखा गया। इस बार भी छात्रसंघ चुनावों जातिगत गणित की महत्वपूर्ण भूमिका दिखने वाली है।

सिरोही में नामांकन रैली में शामिल एबीबीपी का पैनल।
सिरोही में नामांकन रैली में शामिल एबीबीपी का पैनल।

हर बार की तरह इस बार भी दोनों संगठनों की रैलियों में झंडे उठाकर जिंदाबाद जिंदाबाद करने वालों में फिर ऐसे लोग भी जमन्जर आये जिन्होंने कभी स्कूलों का मुंह नहीं देखा होगा, लेकिन झंडे उठाकर कॉलेजों के चुनाव करवाने पहुँच गए। मंगलवार को नाम वासी होगी। बुधवार और गुरुवार को चुनाव प्रचार। 26 अगस्त को वोटिंग और 27 को काउंटिंग होगी।

सिरोही महाविद्यालय में नामांकन करने जाने से पहले कॉलेज परिसर का वंदन करते एनएसयूआई के पैनल के सदस्य।
सिरोही महाविद्यालय में नामांकन करने जाने से पहले कॉलेज परिसर का वंदन करते एनएसयूआई के पैनल के सदस्य।

-सिरोही में NSUI और ABVP आमने-सामने
जिले के सबसे बड़े राजकीय महाविद्यालय सिरोही में नामांकन के दौरन जबरदस्त गहमागहमी रही। माहौल तनाव भरा भी रहा। जब एनएसयूआई के समर्थित छात्र जुलूस के रूप में नामांकन को जा रहे थे तब एबीवीपी के छात्र जुलूस के रूप में दूसरी तरफ से लौट रह थे। एक समय दोनों आमने सामने हो गए। अपने सन्गठन के समर्थन में जबरदस्त नारेबाजी की। झंडों के सामने झंडे लहराए गए।

डिवाइडर के एक तरफ आर्ट फेकल्टी बिल्डिंग की तरफ NSUI और दूसरी तरफ साइंस फेकल्टी वाली साइड ABVP का जुलूस था। बीच में डिवाइडर पर पुलिस। आम तौर पर नामांकन पर ऐसा माहौल होता नहीं है। लेकिन, चुनाव के बाद रैली निकलने पर पाबंदी के तोड़ के रूप में इस बार नामांकन के दौरान ही रैली निकालकर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश की गई।

सिरोही राजकीय महाविद्यालय में नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न करवाते सहायक आचार्य रुचि पुरोहित और अजय शर्मा।
सिरोही राजकीय महाविद्यालय में नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न करवाते सहायक आचार्य रुचि पुरोहित और अजय शर्मा।

-एक रंग बनाम बहुरंग
झंडे अगर विचारधारा के प्रतीक है तो सोमवार को सिरोही महाविद्यालय के द्वार पर जो माहौल था उसे झंडों के रंग के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है। एबीवीपी के जुलूस में जहां उनकी पार्टी का राजनीतिक प्रतीक माने जाने वाला भगवा रंग झंडा दिख रहा था तो एनएसयूआई समर्थकों के हाथ में केसरिया, सफेद, हरा और नीले रंग को समाहित किया उनके सन्गठन का झंडा, तो उनके बीच में देशभक्ति का रंग देता तिरंगा भी।

इन झंडों के रंगों के विपरीत प्रत्याशियों की बात करें तो सिरोही महाविद्यालय का पैनल देखकर स्पष्ट लग रहा है कि हर बार की तरह इस बार भी जातिवाद का कार्ड यहां चलाया गया है। एबीवीपी ने आशासिंह देवड़ा के रुप में राजपूत समाज की छात्रा को उतारा वहीं एनएसयूआई ने राहुल पुरोहित को अपना समर्थन दिया है। इससे पहले अध्यक्ष पद के लिए अन्य संगठनों के समर्थन में भी प्रत्याशी होते थे, लेकिन इस बार सीधा मुकाबला एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच है।

सिरोही में छात्र संघ चुनावों की धमक के साथ एक पखवाड़े पहले बैनर्स और झंडियों से अटा पड़ा पैलेस रोड और महाविद्यालय परिसर।
सिरोही में छात्र संघ चुनावों की धमक के साथ एक पखवाड़े पहले बैनर्स और झंडियों से अटा पड़ा पैलेस रोड और महाविद्यालय परिसर।

-चुनाव पूर्व पोस्टर वार में ये सन्गठन भी रहा शामिल
इस बार चुनाव से पूर्व कॉलेज के सामने जिस तरह से बैनर वार शुरू हुआ था उससे ही इस बार के चुनाव के रोचक होने की धमक मिल गई थी। कॉलेज के बाहर डिवाइडर पर लगे खम्भे और बाहर की रेलिंग्स भी बैनर्स से अटी हुई थी। पहल करते हुए एनएसयूआई बैनर्स में तो झंडियों में एबीवीपी हावी रही।

इन बैनर्स में पहली बार एक नए छात्र सन्गठन की धमक दिखी। वो था आरसीपी, यानी राष्ट्रीय छात्र परिषद। ये विश्व हिंदू परिषद से अलग होकर बनी प्रवीण तोगड़िया की राष्ट्रीय हिन्दू परिषद की छात्र ईकाई है। ये झंडियां अहिंसा सर्किल तक पहुंच गई थी। बाद में कॉलेज रॉड ओर एनएसयूआई के बैनर्स के ऊपर लगी एवीवीपी की झंडियों को छोड़कर अहिंसा सर्किल पर लगी एबीवीपी की झंडियों को नगर परिषद ने हटवा दिया था। जिसे लेकर एबीवीपी ने नगर परिषद के बाहर प्रदर्शन भी किया था।
– लिंगदोह समिति की सिफारिशों को बताया धता
नामांकन के दौरान ही एनएसयूआई और एबीवीपी लिंगदोह समिति की सिफ़ारिशों को तीली लगाती दिखी। चुनाव को महाविद्यालय परिसर से सड़क और ले आने। प्रिंटेड बैनर के इस्तेमाल समेत कई कायदों को ताक में रख दिया। लिंगदोह समिति की सिफ़रिशों के अनुसार प्रत्याशियों के लिए जरूरी है कि

-उम्र सीमा यूजी में 22 वर्ष, पीजी के लिए 25 वर्ष व शोध छात्र के लिए 28 वर्ष।
– चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी।
– चुनाव लड़ने के लिए नियमित छात्र होना जरूरी।
– आपराधिक रिकॉर्ड, मुकदमा, सजा या अनुशासनात्मक कार्रवाई पर चुनाव से बैन।
– एक प्रत्याशी का अधिकतम खर्च पांच हजार रुपये।
– प्रिंटेड पोस्टर, पम्फलेट या प्रचार सामग्री के प्रयोग की अनुमति नहीं।
– कैंपेन में लाउड स्पीकर, वाहन एवं जानवरों का प्रयोग अनुबंधित।