परिवारवादी राजनीति लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को संसद में कहा कि एक परिवारवादी राजनीति और परिवारवादी पार्टियां लोकतंत्र के लिए खतरा हैं और देश के लोकतंत्र के लिए परिवारवाद की राजनीति चिंता का विषय होना चाहिए।

मोदी संसद के बजट सत्र के प्रारंभ में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में हुयी चर्चा का जबाव दे रहे थे। उन्होंने कहा कि परिवारवादी पार्टियां, परिवारों द्वारा चलाई जाने वाली पार्टियां लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।

मोदी ने कहा कि देश ने परिवारवाद का खामियाजा उठाया है, कांग्रेस ने भी परिवारवाद का खामियाजा उठाया है। उन्होंने विपक्षी सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कहा कि एक परिवार के एक से ज्यादा सदस्य यदि अपनी मेहनत और योग्यता से राजनीति में आगे बढ़ते हैं, तो उसका स्वागत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक परिवार के 10 लोग राजनीति में आयें, कोई बुराई नहीं लेकिन हम ऐसे परिवारवाद की चर्चा कर रहे हैं, जिसमें एक ही परिवार पार्टी चलाता है, पार्टी के सभी लोगों की जिम्मेदारी एक परिवार होता है। उन्होंने विपक्ष की टोका-टोकी के बीच में कहा कि राजनाथ सिंह (रक्षा मंत्री) और अमित शाह (गृह मंत्री) कोई पार्टी नहीं चलाते हैं।

मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि एक ही प्रोडक्ट (उत्पाद) को बार-बार लॉन्च करने के चक्कर में दुकान को ताला लगने की नौबत आ गई है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण को तथ्यों पर आधारित एक बड़ा दस्तावेज बताया और कहा कि उससे यह पता लगता है कि भारत इस समय किस गति और किस बड़े पैमाने से आगे बढ़ रहा है? उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण की आलोचना के विपक्ष के तौर-तरीके की भर्त्सना करते हुये कहा कि वह टुकड़ों में सोचता है और देश को बांटने की बात करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा लगता है कि विपक्ष ने लंबे समय तक विपक्ष की सीटों पर ही बैठने का संकल्प ले रखा है। मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ने अभिभाषण में नारी, गरीब, किसान और युवा को देश का चार स्तंभ बताया तथा विकसित भारत के लिये उनके विकास की आवश्यकता को रेखांकित किया है लेकिन विपक्ष इन वर्गों में भी लोगों को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के चश्मे से देखता है। उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि कब तक टुकड़ों में सोचते रहोगे।