नेताजी सुभाष को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ : मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आज़ादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ लेकिन अब देश उन्हें हर पल याद कर रहा है।

मोदी ने स्वाधीनता की लड़ाई में नेता जी के योगदान, उपलब्धियों और बलिदान की याद को सदैव ताजा रखने के लिए पिछले आठ साल में उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज नेताजी सुभाष की जन्म जयंती है, देश पराक्रम दिवस के रूप में इस प्रेरणा दिवस को मनाता है। मोदी ने नेताजीकी जयंती पर अंडमान निकोबार में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में वीडियो काँफ्रेंसिंग सुविधा के जरिए भाग लेते हुए परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण किया।

मोदी ने कहा कि आज 21वीं सदी का ये समय देख रहा है कि कैसे जिन नेताजी सुभाष को आजादी के बाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हीं नेताजी को पल-पल याद कर रहा है। अंडमान में जिस जगह नेताजी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था, वहां आज गगन-चुम्बी तिरंगा आज़ाद हिन्द फ़ौज़ के पराक्रम का गुणगान कर रहा है।

उन्होंने कहा कि बीते 8-9 वर्षों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े ऐसे कितने ही काम देश में हुये हैं, जिन्हें आज़ादी के तुरंत बाद से हो जाना चाहिए था। लेकिन उस समय नहीं हुआ।

अंडमान निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और कैप्टन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, पीरू सिंह, द्वितीय लेफ्टिनेंट रामा राघोबा राणे, नायक जदुनाथ सिंह, मेजर शैतान सिंह, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद, लेफ्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, लांस नायक अल्बर्ट एक्का, मेजर होशियार सिंह, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, मेजर रामास्वामी परमेश्वरन, नायब सूबेदार बाना सिंह, कैप्टन विक्रम बत्रा, कैप्टन मनोज कुमार पांडेय , सूबेदार मेजर संजय कुमार और सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव (सेवानिवृत्त)जैसे पराक्रमी वीर सैनिकों के नाम पर किया। करगिल युद्ध में ये दिल मांगे मोर का विजयघोष करने वाले कैप्टन बत्रा के नाम पर अंडमान में एक पहाड़ी भी समर्पित की गई।

मोदी ने नेताजी को समर्पित द्वीप पर बनने वाले स्मारक के मॉडल का भी अनावरण किया। उन्होंने जिन द्वीप पर नेताजी थे, वहाँ उनके जीवन और योगदानों को समर्पित एक प्रेरणास्थली स्मारक का भी शिलान्यास किया।

मोदी ने कहा कि नेताजी का ये स्मारक, शहीदों और वीर जवानों के नाम पर ये द्वीप, हमारे युवाओं के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे। उन्होंने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लोगों को और सभी देशवासियों को इस अवसर पर बधाई दी तथा नेताजी सुभाष और परमवीर चक्र विजेता योद्धाओं को श्रद्धापूर्वक नमन किया।

जिन 21 द्वीपों को आज नया नाम मिला है, उनके इस नामकरण में भी गंभीर संदेश छिपे हैं। ये संदेश है- ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना। ये संदेश है- ‘देश के लिए दिए गए बलिदान की अमरता का संदेश’। वयम् अमृतस्य पुत्रा। और, ये संदेश है- भारतीय सेना के अद्वितीय शौर्य और पराक्रम का संदेश।

कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित भाई शाह, अंडमान निकोबार के उप-राज्यपाल एडमिरल सेवानिवृत्त डीके जोशी, चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ़, तीनों सेनाओं के प्रमुख, भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक अंडमान एवं निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ, अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल तथा परम वीर चक्र विजेता वीर जवानों के परिवारों के सदस्य उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंडमान के आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था और इसी धरती पर पहली आज़ाद भारतीय सरकार का गठन हुआ था। इसी धरती पर वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीरों ने देश के लिए तप, तितिक्षा और बलिदानों की पराकाष्ठा को छुआ था।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, स्वतन्त्रता संग्राम की उन स्मृतियों की जगह अंडमान की पहचान को गुलामी की निशानियों से जोड़कर रखा गया था। हमारे आइलैंड्स के नामों तक में गुलामी की छाप थी, पहचान थी। मेरा सौभाग्य है कि चार-पांच साल पहले जब मैं पोर्ट ब्लेयर गया था तो वहां मुझे तीन मुख्य आइलैंड्स को भारतीय नाम देने का अवसर मिला था।

मोदी ने कहा कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह का रॉस आइलैंड आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वीप बन चुका है। हेवलॉक और नील आइलैंड स्वराज और शहीद आइलैंड्स बन चुके हैं। दिलचस्प ये कि स्वराज और शहीद नाम तो खुद नेताजी का दिया हुआ था। इस नाम को भी आजादी के बाद महत्व नहीं दिया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंडमान में नेताजी की याद में जो म्यूज़ियम और स्मारक बनने जा रहा है, वह अंडमान की यात्रा को और भी स्मरणीय बनाएगा। उन्होंने कहा कि अंडमान का सामर्थ्य बहुत बड़ा है, यहां पर अथाह अवसर हैं। हमें इन अवसरों को पहचानना है, हमें इस सामर्थ्य को जानना है। बीते 8 वर्षों में देश ने इस दिशा में लगातार प्रयास किए हैं। कोरोना के झटकों के बाद भी, पर्यटन क्षेत्र में अब इन प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं। 2014 में देश भर से जितने पर्यटक अंडमान आते थे, 2022 में उससे करीब-करीब दोगुने लोग यहां आए हैं।

मोदी ने कहा कि देश की पहले की सरकारों में, खासकर विकृत वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो हीनभावना और आत्मविश्वास की कमी रही, उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कमतर आंका गया। इसी सोच के चलते चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों, या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र, इन्हें लेकर ये सोच रहती थी कि ये तो दूर-दराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं।

उन्होंनेद कहा अब अंडमान में भी बाकी देश की तरह ही तेज इंटरनेट पहुंचने लगा है। डिजिटल पेमेंट और दूसरी डिजिटल सेवाओं का भी यहां तेजी से विस्तार हो रहा है। इसका भी बड़ा लाभ अंडमान आने-जाने वाले टूरिस्टों को हो रहा है। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अंडमान के द्वीपों का नाम वीर सैनिकों के नाम पर रख कर न केवल हमारी सेना के पराक्रमी जवानों को सम्मनित किया है बल्कि देश के युवाओं को देश सेवा के लिए हमेशा के लिए प्रेरित करने का कार्य किया है।