मोदी के हाथों में पहुंची, अनूठी कॉफी टेबल बुक ‘सबके राम’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज आह्वान किया कि श्रीराम जन्मभूमि के मंदिर के लिए सदियों के संघर्ष, बलिदान, समर्पण, त्याग, विजय एवं सामाजिक चेतना के उद्घोष की कहानी पूरे विश्व के भारत वंशियों तक पहुंचनी चाहिए।

मोदी ने यहां भारत प्रकाशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अरुण गोयल एवं पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर के हाथों पांचजन्य द्वारा एक कॉफी टेबल बुक सबके राम के रूप में प्रकाशित 500 वर्षों के श्रीराम जन्मभूमि के संघर्ष की गाथा को ग्रहण करने के बाद उक्त उद्गार व्यक्त किए।

खास बात यह है कि इस पुस्तक को पढ़ने के साथ साथ हिंदी और अंग्रेजी में सुना भी जा सकता है। इस पुस्तक में भगवान राम और उनकी अयोध्या के बारे में वैज्ञानिकता से देखने का प्रयास किया गया है। यह किताब साक्ष्यों के आधार पर लोगों के अनेकों अनसुलझे प्रश्नों का उत्तर देगी।

डिजीटल सुविधा से संपन्न इस अनूठी कॉफी टेबल बुक को हाथ में जैसे ही प्रधानमंत्री ने लिया, वैसे ही सुंदरकांड की चौपाई रामकाज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम गूंजी। इसे सुन कर प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की सभी प्रमुख विभूतियों और अलग-अलग देश में सभी भारतवंशियों तक सदियों के संघर्ष और सत्य की जीत की यह गाथा अवश्य पहुंचे।

हितेश शंकर ने पुस्तक की विषयवस्तु पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत के कण कण में राम हैं। आध्यात्म, इतिहास, मिथक या विज्ञान क्या है। सबके राम, राम जन्म भूमि और जन्म तिथि का सच, अयोध्या के इतिहास को उसके वर्तमान से जोड़ता अध्याय, ऐसी तमाम बातों को कहती एक अनूठी पुस्तक है।

अयोध्या में राम मंदिर के लिए 500 वर्षों का संघर्ष अब सार्थक हो गया है। दुनिया भर के करोड़ों रामभक्तों का अपने आराध्य की जन्मभूमि पर मंदिर का सपना साकार हो चुका है। इस पुस्तक में राम मंदिर की नींव में दबे समर्पण, त्याग, बलिदान और सामाजिक चेतना के उद्घोष की अनकही कहानियां हैं।

उन्होंने कहा कि संघर्षों की कहानियों, प्रभु राम से जुड़ी आ​स्थाओं, पौराणिक कथाओं से जुड़े इतिहास और तथ्यों को इस पुस्तक में ज्ञान की प्रामणिकता के साथ एक नए स्वरूप में लाया गया है। इस किताब में आडियो के रूप में प्रभु राम से जुड़ी वह सारी जानकारी मिलेगी जो उनके विराट रूप को सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए आदर्श का प्रतीक बनाता है।

हितेश शंकर के अनुसार इस पुस्तक में भारत की ऐसी महान विभूतियों के राम नाम पर विचार पढ़ने एवं सुनने को मिलेंगे जो देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में जाने जाते हैं। इस पुस्तक के माध्यम से आपको पता चलेगा कि क्यों प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अयोध्या को राष्ट्रीय अभिमान कहते थे।

इस पुस्तक के माध्यम से लोग यह जान पाएंगे कि राम राज्य, राम रीति और रा​म नीति को प्रधानमंत्री मोदी, राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, सरसंघचालक मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जूना आखाड़ा के आचार्य महामंडलेवर स्वामी अवधेशानंद गिरि कैसे देखते हैं। ये सभी राम मंदिर संघर्ष के साक्षी रहे हैं।