पिछले आंकड़ों ने बताया कि विधानसभा में कितना काम देगा मंडवारिया इफेक्ट

सिरोही सार्वजनिक मंच पर अपनी दावेदारी पेश करते मंडवारिया सरपंच दलपत पुरोहित।
सिरोही सार्वजनिक मंच पर अपनी दावेदारी पेश करते मंडवारिया सरपंच दलपत पुरोहित।

सिरोही। विधायक बनने के बाद इस बार संयम लोढ़ा ने उन जातियों के हितों को ज्यादा तरजीह दी जिनके वोट ज्यादा हैं। इसमें पुरोहित जाति में भी प्रमुख रही। आरएसएस और भाजपा के बैकग्राउण्ड के होने के बाद भी सिरोही में भाजपा के स्थाई वोट बैंक में जिस समाज में सबसे ज्यादा सेंधमारी की वो है पुरोहित। शहरों और गांवों में अधिकारी हों या ठेकेदार हों, दशकों तक अपने खास आदमियों के हितों को दरकिनार करके भी लोढ़ा ने जिन लोगों को तरजीह थी उनमें सबसे ज्यादा पुरेाहित समाज से ही हैं।

सिरोही में संयम लोढ़ा के जीत के रेकार्ड को देखा जाए तो उनकी जीत तभी संभव हुई है जब ज्यादा वोट लेने वाला एक ऐसा तीसरा केंडीडेट भी खड़ा हो सके तो बड़ी सेंधमारी कर सके। इस बार होर्डिंग्स और बैनर्स के माध्यम से मंडवारिया के पूर्व सरपंच ने भाजपा से दावेदारी भी जता दी है। 2018 चुनाव में लोढ़ा के साथ रहने वाले दलपत पुरोहित ने जब दस्तक दी तो ये बात उठने लगी कि वो संयम लोढ़ा से समर्थित केंडीडेट हैं।

भाजपा इन पर अब भी ये आरोप लगाती है और ये उससे पीछा छुड़ाने के प्रयास करते हैं। लेकिन, एक बार ये मान भी लिया जाए कि वो लोढ़ा समर्थित हैं तो वो चुनावों में भाजपा के वोटों में सेंधमारी करवाने में कितने कारगर होंगे।

पिछले तीन चुनावों में ये हाल रहा मंडवारिया में

दलपत पुरोहित मंडवारिया गांव के हैं। यहां पर 2008 में एक बूथ था। इसके बाद दो बूथ हो गए। 2008 में इस गांव से संयम लोढ़ा पीछे रहे थे। 2013 में बूथ नम्बर एक से संयम लोढ़ा आगे थे दूसरे पर पीछे थे। यही स्थिति 2018 में तब रही जब खुद दलपत पुरोहित उस गांव के सरपंच थे। इस समय भी बूथ नम्बर 1 से लोढ़ा आगे थे और बूथ संख्या दो से इस बार भी पीछे थे।

ये हाल था निकटतम बूथों को

मंडवारिया के अलावा उसके आसपास के बूथों पर भी इनके इफेक्ट को जानने से स्थिति और सपष्ट हो जाएगी। मंडवारिया के पहले बूथ है जामोतरा और इसके बाद भूतगंाव। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दिए इन दो बूथों के बूथवार चुनाव परिणामों पर दलपत पुरोहित के सरपंच रहने और उससे पहले के चुनाव परिणामों पर नजर डालते हैं।

2008 में जामोतरा में भाजपा आगे थी और भूतगांव में भी। 2013 से यहां दो बूथ हो गए। 2013 में मोदी लहर थी, तो ऐसे में यहां पर भाजपा और कांग्रेस के वोटों को अंतर बहुत ज्यादा हो गया था। 2018 में जमोतरा के एक बूथ पर ओटाराम देवासी तो दूसरे बूथ पर निर्दलीय संयम लोढ़ा के ज्यादा वोट थे। इनमें जीवाराम को मिले वोट भी जोड़ दिए जाएं तो फिर से दोनों ही बूथों पर ओटाराम देवासी आगे लग रहे हैं।

इसी तरह भूतगांव के भी बूथ एक पर संयम लोढ़ा ने इस बार भी बढ़त बनाए रखी तो दूसरे बूथ पर फिर पीछे रहे। यानि इन आंकड़ों को ही देखा जाए तो स्पष्ट है कि जिन बूथों पर संयम लोढ़ा मंडवारिया, जामोतरा और भूतगांव में वो पीछे वहां पीछे ही रह रहे हैं।