38 साल से मूल अधिकार से वंचित राजस्थान के शहर में आज राहुल गांधी, नाकाम रही गहलोत सरकार

माउंट आबू
माउंट आबू

सिरोही। राहुल गांधी बुधवार को राजस्थान के उस शहर में आएंगे जहां के लोगों को राजस्थान की कांग्रेस सरकार पिछले साढे 4 साल में अपने नए मकान बनाने और 100-100 साल पुराने जर्जर मकानों के पुनर्निर्माण करने के मौलिक अधिकारों से वंचित किए हुए हैं।

यह बात अलग है कि इसी माउंट आबू में कांग्रेस से जुड़े करीबियों का नियम विरुद्ध मकान बनाने के लिए जयपुर से में बैठे अधिकारियों ने माउंट आबू के अधिकारियों पर कथित रूप से दबाव डालकर सिर से पांव तक जोर लगा दिया और निर्माण करवा भी दिया।

लेकिन, यही अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा माउंट आबू के लोगों को इको सेंसेटिव जोन में मिल चुके सारे अधिकारों को बहाल करवाने में साढे 4 साल में भी विफल रहे हैं। माउन्ट आबू के लोग पिछले 38 सालों से नए मकानों के निर्माण, जर्जर भवनों के पुनर्निर्माण और मरम्मत की पाबंदी झेल रहे हैं। हालात ये हो चुके हैं कि इन पाबंदियों के चलते लोगों ने यहां से पलायन शुरू कर दिया है।

किसी न किसी बहाने लगा देते हैं अडंगा

माउंट आबू में 2009 में इको सेंसेटिव जोन लागू किया गया। इस दौरान अशोक गहलोत की सरकार थी। इसके नोटिफिकेशन के अनुसार 2 साल के अंदर माउंट आबू का जोनल मास्टर प्लान बनाना था, लेकिन अशोक गहलोत की पूर्ववर्ती सरकार ने अपना पूरा 5 साल का कार्यकाल निकलने तक यह जोनल प्लान तैयार नहीं करवाया। उनके बाद आई वसुंधरा राजे सरकार ने जोनल क्लास बनवाया लेकिन, वह बिल्डिंग बायलॉज लागू नहीं करवा पाई।

2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिरोही जिले के बामनवाड़ में हुई अपनी सभा में माउंट आबू का बिल्डिंग बाइलॉज भी लागू करवा दिया लेकिन, माउंट आबू में अशोक गहलोत सरकार द्वारा लगाए गए अधिकारी वहां के लोगों को मकान निर्माण और जरूर मकानों के पुनर्निर्माण की अनुमति यह कहकर लटका एस टू जोन का सीमांकन नहीं किया गया।

एसएस 2 जोन के सीमांकन में भी 3 साल लगा दिए और जब सिरोही के विधायक संयम लोढ़ा ने प्रयास से एस 2 जोन का सीमांकन हो गया तब नगरपालिका के अधिकारियों ने इससे अन्य कानूनी अड़चनों के बहाने अटका दिया। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि राजस्थान सरकार के आधिकारी पिछले 6 महीने से विभिन्न न्यायालयों के कथित स्टे हटवाने में भी नाकाम रहे हैं। माउंट आबू में 35 साल बाद आज भी अशोक गहलोत सरकार यहां के लोगों के मौलिक अधिकारों को बहाल नहीं करवा पाई है।

बात आम आदमी की काम खास लोगों का

राहुल गांधी और कांग्रेस भले ही अपने चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस को आम आदमी का हितैषी बताते रहे लेकिन, माउंट आबू के हालात देखकर आपको यह एहसास हो जाएगा कि यहां आम आदमी नहीं बल्कि खास आदमियों को मकान के निर्माण मरम्मत और पुनर्निर्माण की अनुमति मिल सकती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण माउंट आबू में लिमडी कोठी है। माउंट आबू के अधिकारियों ने माउंट आबू के आम आदमी को अपनी टॉयलेट शीट बदलने तक की अनुमति देने में आनाकानी की।

लेकिन कथित रूप से कांग्रेस के करीबी नेता का प्रोजेक्ट होने की वजह से लिंबड़ी कोठी को न सिर्फ नियम विरुद्ध निर्माण सामग्रियों का आवंटन और रिनोवेशन की अनुमति दी। बल्कि जी प्लस टू की बजाय जी प्लस 3 निर्माण करने की भी अनुमति दे दी। यह उदाहरण भर है कि किस तरह अशोक गहलोत राज में माउंट आबू के अधिकारियों पर कथित रूप से जयपुर में मौजूद अधिकारियों ने दबाव डालकर आम लोगों का अधिकार छीन कर कांग्रेस के खास लोगों को फायदा पहुंचाया गया।