सांसदों के निलंबन के विरोध में राजस्थान में कांग्रेस का प्रदर्शन

जयपुर। संसद में सुरक्षा की चूक मामले को लेकर हंगामा करने पर विपक्षी सांसदों के निलम्बन के विरोध में शुक्रवार को राजस्थान में भी कांग्रेस ने राजधानी जयपुर सहित सभी जिला मुख्यालयों पर जिला कांग्रेस कमेटियों द्वारा इण्डिया गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया गया।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा जयपुर में शहीद स्मारक पर आयोजित धरने-प्रदर्शन में शामिल हुए और उनके नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर डोटासरा ने कहा कि जनता ने चुनकर जिन लोगों को सत्ता सौंपी है उन लोगों ने संसद के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को केवल इसलिए संसद से निलम्बित कर दिया कि संसद की सुरक्षा पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर ना देना पड़े।

उन्होंने कहा कि विपक्ष के चुने हुए जनप्रतिनिधि केवल संसद में हुई सुरक्षा की चूक की जानकारी प्राप्त करना चाहते थे तथा जानना चाहते थे कि आगे इस प्रकार की चूक नहीं हो उसके लिए सत्ताधारी भाजपा की केन्द्र सरकार क्या कदम उठा रही है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि लम्बे समय से कहा जा रहा है कि देश में गुजरात मॉडल लागू होगा, किन्तु गुजरात मॉडल में दो चीजें प्रमुख है कि भाई को भाई से लड़ाओ, हिन्दू-मुस्लिम के आधार पर वोट मांगकर देश पर राज करो तथा दूसरा यदि कोई असहमति दर्शाए, अपनी बात रखे तो उसे विधानसभा अथवा संसद से बाहर निकाल दो।

उन्होंने कहा कि यदि कोई सडक़ पर आवाज उठाए तो उसके विरूद्ध संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग करते हुए कार्यवाही की जाती है, व्यापारी यदि अन्य दल को चंदा दे दे तो इनकम टैक्स और ईडी उस व्यापारी पर कार्यवाही करने के लिए भेज दी जाती है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस गुजरात मॉडल ने देश को बर्बाद कर दिया तथा दिल्ली में एक तानाशाह सरकार काबिज हो गई है। उन्होंने कहा कि इण्डिया गठबंधन के जनप्रतिनिधि सही बात सदन में रखते हैं तो उन्हें सैकण्डों में निलम्बित कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जब लोकसभा एवं राज्यसभा के सभापति राजस्थान प्रदेश से बने तो सभी को गर्व की अनुभूति हुई थी।

उन्होंने कहा कि हमने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका स्वागत किया किन्तु आज देश के लोगों की आवाज सदन में उठे, उनकी समस्याओं का समाधान हो, इस ओर कार्य करने की बजाए लोकतंत्र के सिद्धांतों के विपरीत कार्य करते हुए शर्मसार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में यह चर्चा हो रही है कि दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्र में लोकतांत्रिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ रही है, सत्ताधारी दल सांसदों को निलम्बित कर विपक्ष से तथ्य साझा किये बगैर अनेक बिल पास कर रहा है। उन्होंने कहा कि इन बिलों में क्या है इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है, कोई चर्चा नहीं की गई है।

डोटासरा ने कहा कि सत्ताधारी दल यह मुद्दा बना रहा है कि उनसे सवाल कैसे पूछ लिया तथा केन्द्र सरकार से सुरक्षा की मांग कैसे कर ली, केवल इसी छोटे-छोटे मुद्दों पर देश के 148 सांसदों को निलम्बित करने का अलोकतांत्रिक कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों को लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर से बाहर निकालने से बड़ी शर्म की बात कोई नहीं हो सकती।

डोटासरा ने कहा कि आज केन्द्र सरकार के रवैये से यह इंगित हो रहा है कि आने वाले समय में चुनाव भी नहीं होंगे तथा जनता का कोई प्रतिनिधि संसद अथवा विधानसभा में नहीं पहुंच सकेगा। उन्होंने कहा कि आज हर कोई भयग्रस्त है, सत्ताधारी दल को सदन के बाहर धरना दे रहे सांसदों से भी परेशानी है जबकि लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत भाजपा की केन्द्र सरकार को विपक्षी दलों के जनप्रतिनिधियों को बुलाकर बात करनी चाहिए थी व सर्वदलीय बैठक में चर्चा होनी चाहिए थी, उसी के पश्चात् जो नए बिल एवं कानून भाजपा सरकार ने विपक्ष की अनुपस्थिति में पारित किए हैं उनकी सार्थकता एवं स्वीकार्यता जनता में होती।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बचाने के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सबको एकजुटता के साथ लोकतंत्र विरोधी शक्तियों से लड़ना होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बचाने की इस मुहिम में कोई भी दल या व्यक्ति अगर साथ जुड़ता है तो उसका भी महत्व होगा। उन्होंने कहा कि जब जनप्रतिनिधियों को सुनवाई सदन में नहीं हो रही है तो अब वक्त है कि जनता के बीच जाकर केन्द्र की तानाशाही व अघोषित आपातकाल तथा सबके कुचलने का जो काम किया जा रहा है उसको उजागर करना होगा।

उन्होंने कहा कि भारत का नागरिक होने के नाते वे अपना कर्तव्य समझते हैं कि सभी लोगों को साथ लेकर केन्द्र सरकार के तानाशाही रवैये के विरूद्ध एक वृहद कार्य योजना बनाकर जनता के बीच जनता के समर्थन के लिए जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह यही मॉडल राजस्थान में भी लागू कर रहे हैं जिसकी शुरूआत हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि सभी ने देखा है कि राजस्थान में भाजपा के विधायकों तक की सुनवाई नहीं हो रही है बल्कि केन्द्रीय नेृतत्व द्वारा पर्ची भेजकर निर्णय सुनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने निजी स्वार्थों को छोडक़र सबको एकजुटता के साथ केन्द्र की तानाशाह सरकार के विरूद्ध लड़ाई लडऩी होगी तभी देश में लोकतंत्र की रक्षा होगी।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने बताया कि धरने को प्रमुख रूप से विधायक विद्याधर चौधरी, रफीक खान, प्रशांत सहदेव शर्मा, डॉ. शिखा मील बराला, पूर्व विधायक गंगा देवी वर्मा, नसीम अख्तर इंसाफ तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के अमरा राम सहित कांग्रेस एवं इण्डिया गठबंधन के घटक दलों के अनेक नेताओं ने सम्बोधित किया।