राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने राज्य सरकार को दी चेतावनी

जयपुर। विभिन्न शिक्षक समस्याओं के निराकरण के प्रति राज्य सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के विरोध में राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के आन्दोलन के अन्तर्गत आज पिंकसिटी प्रेस क्लबप्रदेश स्तरीय प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए प्रदेशाध्यक्ष रमेश चन्द पुष्करणा, ने बताया कि संगठन द्वारा बार-बार आग्रह करने व लोकतान्त्रिक तरीके से विरोध प्रकट करने के बाद भी सरकार ने न तो संगठन से कोई संवाद स्थापित किया और ना ही अपने स्तर पर कोई कार्यवाही की है।

संगठन ने गत वर्षों में निरन्तर राज्य सरकार के समक्ष सभी स्तरों एवं माध्यमों के जरिए सम्पर्क करने के लिए आग्रह किया किन्तु संवदेनहीनता अपनाते हुए समस्याओं को हल करने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया। जन घोषणा पत्र का विश्वास करते हुए हमने 4 वर्ष 6 माह तक इंतजार किया। लगातार आपको याद भी दिलाते रहे लेकिन कोई भी संवेदना व्यक्त नहीं करते हुए आज दिनांक तक कोई वार्ता नहीं की है। अतः इससे व्यथित और आक्रोशित होकर राज्य के शिक्षक अब आन्दोलन की राह अपनाने को विवश हैं।

प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार लखारा ने बताया कि अब तक प्रयास के रूप में संगठन ने दिनांक 23 फरवरी से 9 मार्च 2023 के मध्य जनप्रतिनिधि के नाते राज्य के विधायकों को संगठन की 11 सूत्रीय मांग का ज्ञापन प्रेषित कर आग्रह किया कि शिक्षकों की न्यायोचित मांगों के निराकरण हेतु अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए उच्च स्तर पर ज्ञापन अग्रेषित कर सरकार से उचित निराकरण करवाने में अपना सहयोग प्रदान करें।

दिनांक 12 मार्च को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर प्रेस वार्ता एवं दिनांक 24 अप्रैल को शहीद स्मारक जयपुर में एक दिवसीय धरना देकर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया। संगठन की 11 सूत्रीय मांगों के बारे में जानकारी देते हुए संघर्ष समिति के संयोजक सम्पत सिंह ने कहा कि संगठन ने शिक्षक हित की निम्न समस्याओं का समाधान करने के लिए आन्दोलन की राह अपनाई है:-

वेतन विसंगतियों के निराकरण के लिए गठित सावंत एवं खेमराज कमेटी की रिपोर्टों को तत्काल सार्वजनिक कर लागू किया जावे एवं सभी समस्त शिक्षक संवर्ग की सभी वेतन विंसगतियों का तत्काल निराकरण किया जाए।

समस्त राज्य कर्मचारियों को 8-16-24-32 वर्ष पर ए.सी.पी. का लाभ देकर पदोन्नति पद का वेतनमान प्रदान किया जाए।

NPS कार्मिकों के लिए लागू हुई पुरानी पेंशन योजना (OPS) की समस्त तकनीकी खामियों को दुरुस्त करते हुए NPS फण्ड की जमा राशि शिक्षकों को देने के साथ-साथ जीपीएफ 2004 के खाता नम्बर तत्काल जारी किए जाए।

संपूर्ण सेवाकाल में परिवीक्षा अवधि केवल एक बार एक वर्ष के लिए हो तथा नियमित वेतन श्रृंखला में फिक्सेशन के समय परिवीक्षा अवधि को भी जोडा जाए।

शिक्षा विभाग की ऑनलाइन निर्भरता को दृष्टिगोचर रखते हुए राज्य के समस्त शिक्षकों एवं संस्था प्रधानों को मासिक इंटरनेट भत्ता तथा एंड्राइड फोन उपलब्ध कराया जाए।

राज्य कार्मिकों को सेवानिवृत्ति के समय तीन सौ उपार्जित अवकाशों की सीमा को समाप्त किया जाए तथा सेवानिवृत्ति के पश्चात 65, 70 एवं 75 वर्ष की आयु पूर्ण पर पेंशन क्रमशः 5, 10 व 15 प्रतिशत पेंशन वृद्धि की जाए।

शिक्षा विभाग में की जा रही संविदा आधारित नियुक्ति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाकर नियमित भर्ती से ही पद भरे जाने की कार्रवाई की जाए।

अध्यापक संवर्ग के स्थानान्तरण पर तत्काल प्रतिबन्ध हटाया जाए एवं राज्य के शिक्षकों के स्पष्ट स्थानान्तरण नियम बनाये जाए और संस्कृत शिक्षा विभाग सहित शिक्षा विभाग में समस्त पदों पर नियमित वर्षवार और नियमानुसार डीपीसी आयोजित की जाकर समय पर पदस्थापन किया जाए। पातेय वेतन पदौन्नति पर कार्यग्रहण तिथि से वित्तीय परिलाभ तथा वरिष्ठता प्रदान की जावे।

BLO सहित समस्त प्रकार के गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से मुक्त किया जाए। वर्तमान में जारी जनाधार अधिप्रमाणीकरण एवं डीबीटी योजना के लिए शिक्षकों एवं संस्था प्रधानों को जारी हो रहे अनावश्यक कारण बताओ नोटिस तत्काल प्रभाव से बन्द हों एवं जारी नोटिस वापस लिए जाए।

माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न तत्काल लागू कर पदों का सृजन किया जाए तथा विद्यालयों में पद आवंटन में हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम का विभेद समाप्त कर समान रूप से पद आवंटन प्रक्रिया अपनाई जाए।

माध्यमिक शिक्षा में अध्यापक संवर्ग की सीधी भर्ती की जावे तथा प्रारम्भिक शिक्षा से सेटअप परिवर्तन (6डी तथा अन्य नियमान्तर्गत) अनिवार्य के स्थान पर स्वैच्छिक किया जाए।

संगठन के माध्यमिक उपाध्यक्ष डॉ. अरूणा शर्मा ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए बताया कि राज्य के समस्त शिक्षक संवर्ग की उक्त न्यायोचित मांगों का तत्काल निराकरण कराया जाए। राज्य सरकार द्वारा इन मांगों पर कोई निर्णय नहीं किए जाने की स्थिति में संगठन निम्नानुसार आंदोलन करने पर विवश होगा।

15 जुलाई से 15 अगस्त के मध्य प्रत्येक तहसील केन्द्र से प्रारम्भ होकर जिला केन्द्र तक विशाल पदयात्राओं का आयोजन कर जिला केन्द्र पर सद्बुद्धि यज्ञ आयोजित किए जाएंगे। उसके पश्चात् जयपुर में क्रमिक धरना दिया जाएगा फिर भी सरकार न चेती तो प्रदेशभर के शिक्षक उग्र आंदोलन करने पर विवश होंगे।