स्टूडेंट पर दबाव को कम करने को लेकर एलायंस फॉर हैप्पीनेस इन एकेडमिक सम्मेलन

जयपुर। प्रतियोगिता के युग में विद्यार्थियों पर अपने को आगे पाने की होड़ में बढ़ते दबाव एवं तनाव से छुटकारा पाने के लिए जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट जयपुर द्वारा की गई पहल के तहत शैक्षणिक संस्थानों में हैप्पीनेस और कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए बनाए गए एलायंस फॉर हैप्पीनेस इन एकेडमिक (आहा) पर यहां पहली बार सम्मेलन का आयोजन किया गया।

जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट जयपुर में शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं हैप्पीट्यूड के संस्थापक करण बहल और विशिष्ट अतिथि सेठ एम.आर. जयपुरिया स्कूल और जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के उपाध्यक्ष श्रीवत्स जयपुरिया थे। इस अवसर पर श्रीवत्स जयपुरिया ने खुशहाल छात्रों को बढ़ावा देने के लिए जयपुरिया की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए न केवल भौतिक पहलुओं बल्कि शारीरिक और भावनात्मक कल्याण पर भी विचार करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लक्ष्य समग्र रूप से खुशहाल समाज में योगदान देता है।

बहल ने साझा किया कि जब हर कोई खुश होता है, तो जीवन सकारात्मक रूप से विस्तारित होता है। संस्थान के निदेशक डॉ. प्रभात पंकज ने बताया कि जयपुरिया ने अपने विभिन्न हितधारकों के बीच हैप्पीनेस की संस्कृति का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। उन्होंने समाज के संपूर्ण कल्याण के लिए संस्था द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों और परामर्शों को साझा किया। डॉ. प्रभात ने बताया कि कैसे हैप्पीनेस प्रयोगशाला आधारित चक्र संरेखण ने छात्रों को तनाव कम करने में मदद की।

यह कार्यक्रम दो ज्ञानवर्धक पैनल चर्चाओं के साथ शुरू हुआ। पहले पैनल, शिक्षण हैप्पीनेस क्यों और कैसे में आशीष पांडे, प्रोफेसर, आईआईटी बॉम्बे सहित प्रतिष्ठित वक्ता शामिल थे। बाद में प्रभात ने मीडिया को बताया कि विद्यार्थी सोशल मीडिया सहित अन्य कारणों से दबाव में हैं और विद्यार्थियों पर दबाव के डाटा की बात करें तो लगभग 89 प्रतिशत बच्चों पर यह दबाव है। ऐसे में एक एलाएंस बनाया गया है और उसका एलाएंस फॉर हैप्पीनेस इन एकेडमिक” (आहा) नाम दिया गया है। इसके तहत सम्मेलन

कई शिक्षण संस्थाओं को बुलाया गया और विचार विमर्श किया गया कि बच्चों में पढ़ाई को लेकर बढ़ रहे दबाव एवं तनाव को कैसे कम किया जाए और इसके लिए शिक्षण संस्थाओं में हेपीनैस कल्चर अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा संस्थान द्वारा बच्चों के साथ किए जा रहे संवाद, योग सहित अन्य कार्यों के बाद देखने में आया है कि इससे विद्यार्थियों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है और वे बेहतर कैरियर बनाने के प्रति आगे बढ़ रहे हैं।

उन्होंने नवरस की जरूरत बताते हुए कहा कि अगर तनाव नीचले स्तर पर होता है तो वह अच्छा करने का दबाव डालता है लेकिन तनाव का स्तर ऊपर ज्यादा हो तो वह नुकसान पहुंचाता है, ऐसे में सुख एवं दुख समझते हुए परेशानी को झेलने एवं दुख सहन करने की क्षमता होनी चाहिए। ये सब बच्चों को सिखाया जाता है।

इससे पहले सम्मेलन में परिष्कार ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के निदेशक डॉ. राघव प्रकाश, एमिटी यूनिवर्सिटी जयपुर के कुलपति डॉ. अमित जैन, कनोडिया पीजी महिला महाविद्यालय, जयपुर की प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल, मेजर जनरल रोहित बख्शी और आईएसआईएम, जयपुर में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. काव्या सैनी ने अपने विचार रखे।

प्रोफेसर आशीष ने हैप्पीनेस के लिए अपने पंचकोश दृष्टिकोण के माध्यम से समृद्ध जीवन की अवधारणा को समझाया। दूसरे पैनल में ‘कार्यकारी उत्कृष्टता के लिए हैप्पीनेस ‘ विषय पर पैनल डिस्कसन में अनुराग गुप्ता, बिजनेस कोच, आर. आनंद, ‘हैप्पीनेस एट वर्क’ के ऋषि लेखक, आवास फाइनेंसर्स लिमिटेड जयपुर से विवेक शर्मा और महिंद्रा वर्ल्ड सिटी में डीसीएम, मार्केटिंग अनुराग विजय शामिल हुए।

कार्यक्रम में कविता खंडेलवाल, वैदिक चिकित्सक, करण बहल, हैप्पीनेस लाइफ कोच, अनिल परचानी ने हैप्पीनेस के लिए सचेत प्रथाओं की वकालत की। डॉ. प्रभात ने हैप्पीनेस के तंत्रिका विज्ञान पर चर्चा की। उन्होंने परिवर्तनकारी ज्ञान के साथ उपस्थित लोगों को सशक्त बनाते हुए अपनी विशेषज्ञता साझा की।