राकांपा में वर्चस्व की लड़ाई तेज, पटेल, तटकरे पार्टी से निष्कासित

मुंबई। महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में वर्चस्व की लड़ाई और तेज हो गई है। राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने अजित पवार और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी, वहीं दूसरे पक्ष ने पार्टी के पुराने नेताओं को पद से हटा दिया।

वर्चस्व की इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई जब शरद पवार ने सांसद प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके कुछ समय बाद ही अजित पवार गुट ने जयंत पाटिल को राकांपा के के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया और उनकी जगह सुनील तटकरे को नियुक्त कर दिया।

अजित पवार और प्रफुल्ल पटेल ने सोमवार शाम में ऐलान किया कि सुनील तटकरे पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे। उन्होंने बताया कि पाटिल को पद से हटाने के बारे में सूचित कर दिया गया है। पटेल ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष को भी ताजा घटनाक्रम के बारे में सूचित किया गया है। उन्होंने कहा कि अनिल भाईदास पाटिल राज्य विधानसभा में राकांपा के मुख्य सचेतक बने रहेंगे।

प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे राकांपा से निष्कासित

महाराष्ट्र की राजनीति में जबरदस्त उबाल के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने सोमवार को वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित कर दिया। पवार ने अपने ट्वीट में कहा कि मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल के नाम पार्टी सदस्यों के रजिस्टर से हटाने का आदेश देता हूं।

पवार ने यह कदम पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सांसद सुप्रिया सुले की ओर से उन्हें लिखे उस पत्र के तुरंत बाद उठाया, जिसमें पटेल और तटकरे को हटाने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई है। सुले ने ट्विटर पर लिखा कि सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल ने दो जुलाई-2023 को पार्टी के संविधान और नियमों का सीधा उल्लंघन किया, जो पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र और अयोग्यता के समान है।

इससे पहले उन्होंने पवार को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाया कि दोनों नेताओं ने पार्टी के संविधान एवं नियमों का प्रत्यक्ष उल्लंघन किया है और उनक खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने पवार से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के मामले में दोनों नेताओं के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी के समक्ष भारत के संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता याचिका दायर करने का भी अनुरोध किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे पटेल लंबे समय से राकांपा सुप्रीमो के विश्वासपात्र रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक उन्हें पवार का दाहिना हाथ और संकट मोचक मानते हैं। वहीं तटकरे को भी पवार का करीबी माना जाता है और राज्य के तटीय इलाके में उनकी पकड़ है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम में शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने रविवार को विधायक दल को विभाजित कर दिया और आठ अन्य विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार में शामिल हो गए। लंबे समय तक विपक्ष के नेता रहे अजित पवार ने पटेल और तटकरे की मौजूदगी में भाजपा के देवेन्द्र फड़णवीस के बाद दूसरे उपमुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला है। पटेल ने राज्य के मंत्री के रूप में शपथ नहीं ली है, लेकिन अटकलें हैं कि उन्हें केंद्रीय मंत्रालय में शामिल किया जा सकता है।