पहली बार महाराणा प्रताप के दिवेर युद्ध की ऐतिहासिक विजय का नाट्य मंचन

जयपुर। 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले साहित्य संगम में पिछली बार धाय मां पन्ना के बलिदान पर नाट्य प्रस्तुति हुई थी। इस साल शेखावाटी साहित्य संगम के चौथे संस्करण में शनिवार को पहली बार ‘दिवेर युद्ध विजय’ का नाट्य मंचन दीपक भारद्वाज के निर्देशन में यूथ तरंग संस्कृत नाट्य दल जयपुर ने प्रस्तुत किया।

शेखावाटी साहित्य संगम के संयोजक अभिमन्यु सिंह का कहना है कि इस प्रकार के गौरवपूर्ण व ऐतिहासिक नाट्य का मंचन भारत के विचार व स्वाभिमान को घर-घर व जन- जन तक जागृति लाने का कार्य करेंगे. विशेषकर युवा पीढ़ी में विजय के भाव जगाएंगे। दिवेर राजस्थान ही नहीं, पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित करने वाला विजय तीर्थ स्थल है, जहां एक भव्य विजय स्मारक भी बना है।

साहित्य संगम के संध्या कालीन कार्यक्रमों के संयोजक डॉ नेकीराम बताते हैं कि इस नाटक के दृश्य जो मुख्य आकर्षण के केंद्र महाराणा प्रताप द्वारा बहलोल खां को चीरना, 14 वर्ष की आयु में युवराज अमर सिंह का सेनापति सुल्तान खां पर भाले से वार कर उसे घोड़े समेत चीर देना। जनजाति सहित सर्व समाज का सहयोग व भामाशाह द्वारा मातृभूमि के लिए अपने सम्पूर्ण धन का समर्पण आदि रहे। कलाकार मंडली में सह निदेशक संदीप सहित यशस्वी, अर्जुन, देव आदि रहे। इसके लिए सशुल्क टिकट व्यवस्था शहर के विभिन्न काउंटर एवं रजिस्ट्रेशन डेस्क पर उपलब्ध रहे।

कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों में वक्ताओं ने अपने विचार रखे। भारतीय संविधान और भारत का स्व विषय पर लक्ष्मीनारायण भाला, हिरेन जोशी, इंदुशेखर तत्पुरुष ने अपने विचार व्यक्त किए।तत्पुरुष ने कहा कि सेक्युलर शब्द का गलत प्रयोग हुआ है और सेक्युलर का अर्थ लौकिक होता है। प्रस्तावना में इसका अर्थ लिखा है पंथनिरपेक्ष।

भाला ने कहा स्कंद पुराण के 50वें अध्याय में भारत शब्द का वर्णन बताया गया। हमारी राजभाषा हिंदी है, लेकिन अंग्रेजी के अधिक उपयोग के कारण हम इसे आज तक अपना नहीं पाए हैं क्योंकि हम मानसिक गुलामी से बाहर नहीं आ पाए हैं। संसद भवन की दीवारों पर धार्मिक प्रसंग लिखे हैं फिर भारत को धर्मनिरपेक्ष कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान ही स्व आधारित नहीं है।

नागरिक शिष्टाचार विषय आधारित चर्चा पर नारायण भाला, तत्पुरुष, जोशी और मेजर पूनिया ने अपने विचार साझा किए। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दू विषय पर इंदुशेखर तत्पुरुष और दीपक गोस्वामी ने चर्चा की। युवाओं से संवाद सत्र में मेजर पूनिया ने युवाओं से चर्चा की।

कार्यक्रम में रेवासा धाम के संत डॉ राघवाचार्य महाराज का सान्निध्य प्राप्त हुआ। महाराज ने कहा कि साहित्य ज्ञानवर्धन का एक अमूल्य साधन है अज्ञान के कारण व्यक्ति अनेक ऐसी धारणाएं बना लेता है जिसके बहाव में वह गलत रास्ते पर चला जाता है।

भक्ति संध्या में देश के चर्चित भक्ति रैपर नरसी ने पता नहीं किस रूप में नारायण मिल जाएगा जैसे भजनों की प्रस्तुति से शेखावाटी की धरा को भक्तिमय किया। नरसी के भजनों को सुनने के लिए युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिला।

पर्यावरण विषय पर आयोजित नाटक प्रतियोगिता में सीकर के विभिन्न स्कूलों से आए विद्यार्थियों ने पर्यावरण पर मनमोहक नाटक प्रस्तुतियां दी। प्रतियोगिता में वर्धमान विद्या विहार सीकर प्रथम, एमके मेमोरियल द्वितीय तथा एसए प्रज्ञा भारती शिक्षण संस्थान ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। श्रीमती गुलाबी देवी विदावतजी विद्यालय ने सांत्वना पुरस्कार अर्जित किया। स्कूल के विद्यार्थियों ने साहित्य आधारित पुस्तकों का भी अवलोकन किया।