गुजरात सरकार ने ज्ञान ज्योति तीर्थ के लिए जमीन की आवंटित

मोरबी। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को कहा कि ज्ञान ज्योति तीर्थ के लिए राज्य सरकार ने राजकोट-मोरबी हाईवे पर जमीन आवंटित की है।

पटेल ने टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वती के 200वें जन्मोत्सव-स्मरणोत्सव कार्यक्रम में महर्षि दयानंद सरस्वती की स्मृति वंदना करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस अवसर पर टंकारा में निर्मित एक ओवरब्रिज का नाम महर्षि दयानंद ओवरब्रिज रखने का निश्चय किया है। उन्होंने टंकारा आने वाले दर्शनार्थियों के लिए आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त की और कहा कि राज्य सरकार ने महर्षि दयानंद ट्रस्ट को राजकोट-मोरबी राजमार्ग पर ज्ञान ज्योति तीर्थ के लिए भूमि भी आवंटित की है।

उन्होंने महर्षि दयानंद सरस्वती को स्मरण वंदन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर ज्ञान ज्योति पर्व का नयी दिल्ली से प्रारंभ कराया था। तब से समग्र देश में महर्षि का वंदना महोत्सव मनाया जा रहा है और आज का यह उत्सव वंदना महोत्सव का शिखर है।

मुख्यमंत्री ने देश एवं दुनियाभर से आए आर्य समाजियों के समक्ष गुजरात तथा टंकार की पावन भूमि की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गुजरात पौराणिक एवं प्राचीन काल से युग पुरुषों की पुण्य भूमि है। त्रेता युग में प्रभु श्रीराम के वन विचरण के प्रदेश दंडकारण्य-डांग तथा द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के देहोत्सर्ग के स्थान भालका तीर्थ का पुराणों में उल्लेख है।

उनोंने टंकारा का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि आधुनिक युग में टंकारा में जिनका जन्म हुआ है, वे महान विभूति महर्षि दयानंद सरस्वती तथा महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु श्रीमद् राजचंद्र का जन्म स्थल ववाणिया भी गुजरात में ही है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म परिषद् में जाने से पहले गुजरात की इस पावन भूमि पर विचरण किया था तथा देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसी गुर्जर धरा की संतान हैं।

पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व तथा दिशादर्शन में समग्र भारत में सांस्कृतिक धरोहरों तथा आध्यात्मिक चेतनाओं से जुड़े संस्थानों के पुनरुत्थान का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य महोत्सव भारत में शुरू हुए सांस्कृतिक नवजागरण का माइल स्टोन है और भारतीय संस्कृति के नवजागरण का यह युग महर्षिजी द्वारा देखे गए सपनों को पूरा होते देखने का युग है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री महर्षि दयानंदजी के मार्ग पर चल कर जनकल्याण का अमृत परोस रहे हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती ने समाज में कुरीतियों को दूर कर जनकल्याण का अमृत परोसा था और लोगों को सच्ची राह दिखाई थी। इसी प्रकार प्रधानमंत्री भी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभों को लाभार्थियों तक पहुंचा कर जनकल्याण का अमृत परोस रहे हैं।

महर्षि ने उनके कालखंड में नारी शक्ति के लिए शिक्षा अभियान चलाए थे। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने भी कन्या शिक्षा, महिला सशक्तिकरण तथा नारी शक्ति के उत्कर्ष को प्राथमिकता दी है। गुजरात ने भी प्रधानमंत्री की राह पर चल कर कन्याओं के स्वास्थ्य, पोषण एवं शिक्षा के लिए दो नई योजनाएं इस वर्ष के बजट में घोषित की हैं।

पटेल ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास मंत्र का अनुकरण करते हुए जरूरतमंद लोगों तक आवास, स्वास्थ्य, आहार आदि सुविधाएँ पहुँची हैं तथा विकास के अमृतकाल का उदय हुआ है। महर्षि दयानंद सरस्वतीजी ने वेद-परंपरा की ओर लौटने का आह्वान किया था। आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश अपनी प्राचीन परंपराओं का गौरव करते हुए विकसित भारत एट ट्वेंटी फोर्टी सेवन के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपेक्षा व्यक्त की कि नरेन्द्र मोदी के दिशादर्शन में देश का यह अमृतकाल विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक नवजागरण का भी स्वर्ण युग बने।

कार्यक्रम के आरंभ में दयानंद एंग्लो वैदिक मैनेजिंग कमिटी के अध्यक्ष पद्मश्री पूनम सूरीजी ने स्वागत संबोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि देश के 75 वर्ष के इतिहास की यह पहली घटना है, जब कोई राष्ट्रपति टंकारा में महर्षि दयानंद सरस्वतीजी को पुष्पांजलि अर्पित करने आए हों। इस अवसर पर ज्ञान ज्योति महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र आर्य ने प्रसंगानुरूप संबोधन किया।

इससे पहले राष्ट्रपति का आगमन होते ही लोगों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका स्वागत किया। इसके बाद राष्ट्रगान की धुन के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर जब आर्य गुरुकुल की कन्याओं ने वेद मंत्रों के के गान के साथ महर्षि दयानंदजी की स्मृति वंदना की, तब उपस्थित सभी लोग मंत्रमुग्ध हो गए।

इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्र धर्म तथा सनातन धर्म की ज्योति के प्रतीक समान ज्योति स्मृति चिह्न, दयानंदजी का चित्र तथा वेद-सत्यार्थ प्रकाशन का स्मृति चिह्न अर्पण कर उनका अभिवादन किया गया। इसके साथ ही राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री को भी स्मृति चिह्न अर्पित किए गए।

मुर्मु मुख्य समारोह से पहले आर्य समाज की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं प्रतिनिधियों से मिलीं और राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री सहित सभी प्रतिनिधिमंडलों को शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने आर्य समाज द्वारा समारोह स्थल पर आयोजित यज्ञ में आहूति अर्पित की। राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी तथा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी यज्ञ में आहूति दी। इस अवसर पर राज्यपाल ने पुष्पवर्षा कर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री का सत्कार किया।

राष्ट्रपति ने महर्षि दयानंदजी के जीवन-वृतांत पर आधारित प्रदर्शनी देख कर धन्यता की अनुभूति की। इस अवसर सांसद मोहनभाई कुंडारिया, केशरीदेवसिंहजी झाला, विधायक कांतिभाई अमृतिया, जीतूभाई सोमाणी, दुर्लभजीभाई देथरिया, कलेक्टर केबी झवेरी, जिला विकास अधिकारी जेएस प्रजापति, रेंज पुलिस महानिरीक्षक अशोक यादव, जिला पुलिस अधीक्षक राहुल त्रिपाठी, आर्य समाज के अग्रणी धर्मानंदजी महाराज, सुरेशचंद्र आर्य, विनय आर्य तथा आर्य समाज के अनुयायी उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि 250 करोड़ रुपए की लागत से 15 एकड़ में ज्ञान ज्योति तीर्थ बनेगा। महर्षि दयानंदजी के जीवन मूल्यों, तत्व ज्ञान एवं उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं के दर्शन किए जा सकने वाले स्थान ज्ञान ज्योति तीर्थ टंकारा की पावन धरा पर लगभग 250 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित होने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने 15 एकड़ भूमि भी राजकोट-मोरबी राजमार्ग पर आवंटित कर दी है। नई चेतना तथा नई ऊर्जा का यह केन्द्र अनेक लोगों को नई दिशा देगा। इसके साथ, इस स्मारक के पीछे स्थित डेमी नदी में दयानंदजी बालपन में मित्रों के साथ खेले थे। उस डेमी नदी पर चेकडैम बना कर नदी में बारहों महीने पानी रखने का आयोजन किया जा रहा है। इस कल्याणकारी कार्य में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में राज्य सरकार सहयोग कर रही है।