जनसुनवाई में सवाल करना एसडीएम को अखरा, पत्रकार की गिरफ्तारी

पाली। पंजाब में सवाल पूछने पर पत्रकार को जेल की सलाखों तक पहुंचाने जैसा ही एक मामला राजस्थान के पाली जिले में भी सामने आया है। यहां एसडीएम को सवाल पूछना इतना अखरा कि उन्होंने पत्रकार के खिलाफ खुद शिकायत दर्ज कराई, गजब यह है कि शिकायत दर्ज होने के 22 दिन बाद पुलिस को फर्ज याद आया और आनन फानन पत्रकार को उठा लिया।

पत्रकार की गिरफ्तारी से आक्रोशित देसूरी सहित जिले के पत्रकारों ने सोमवार को पाली कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौपकर देसूरी एसडीएम देवयानी के विरुद्ध कार्यवाही करने मांग की हैं।

देसूरी उपखंड पत्रकार संघर्ष समिति की ओर से कलेक्टर को सौपे गए ज्ञापन में बताया गया कि देसूरी में गत माह 13 अप्रेल को पंचायत समिति के भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र में आयोजित (राज्य सरकार द्वारा हर माह के द्वितीय गुरुवार को निर्धारित) उपखंड स्तरीय जनसुनवाई कार्यक्रम में एक पत्रकार प्रहलादसिंह चारण ने अपने शोभावास ग्राम की जन समस्या उठाई। इस पर एसडीएम देवयानी ने नाराज होकर उसके विरुद्ध शांति भंग के आरोप में पुलिस को शिकायत कर दी, लेकिन इससे अनभिज्ञ पत्रकार अपना पत्रकारिता दायित्व निर्वाह करता रहा।

22वें दिन जागी पुलिस, प्रक्रिया अधूरी

ज्ञापन के मुताबिक देसूरी पुलिस एसडीएम की शिकायत पर 22 दिन बाद कार्यवाही करते हुए अचानक 4 मई दोपहर को पत्रकार प्रहलादसिंह चारण को अपनी सरकारी जीप से थाने ले गई और दिन भर बैठाए रखा। काफी इंतजार के बाद एसडीएम देर शाम को महंगाई राहत केम्प से देसूरी पंचायत समिति लौटी। तब जाकर पुलिस ने पत्रकार को एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत किया। जहां वकील द्वारा दलील दिए जाने पर कि गिरफ्तारी में प्रक्रिया पूर्ण नहीं की गई। निरुत्तर एसडीएम वीडियो कांफ्रेंसिंग में बैठ गई और रात आठ बजे वीसी रूम के बाहर आकर पुलिस सीआई मुकेश कुमार को अगले दिन प्रक्रिया पूर्ण कर लाने को कहा। इसी के साथ पुलिस ने पत्रकार को छोड़ते हुए दूसरे दिन सुबह दुबारा आने को कहा।

दूसरे दिन पत्रकार की गिरफ्तारी, जमानत की रखी शर्त

अगले दिन 5 मई को पत्रकार प्रहलादसिंह चारण सुबह दस बजे ठीक समय पर थाने पहुंच गए। लेकिन उसी समय एसडीएम पंचायत समिति में महंगाई राहत केम्प देखने के बाद सादड़ी नगरपालिका चली गई। इधर,पुलिस पत्रकार को लेकर एसडीएम कार्यालय पहुंची। जहां एसडीएम मौजूद न होने पर पुलिस अपने सरकारी वाहन से गिरफ्तार पत्रकार को लेकर सादड़ी नगरपालिका पहुंची। जहां दोपहर तक पत्रकार को बैठाए रखने के बाद एसडीएम ने सरकारी कर्मचारी से जमानत करवाने का आदेश दिया। जबकि हैसियत प्रमाण पत्र के साथ जमानत देने के लिए एक व्यक्ति मौजूद था।

पत्रकार को जेल पहुंचाने पर आमादा थी एसडीएम

ज्ञापन के मुताबिक जिसके बाद पुलिस दोपहर डेढ़ बजे पुनः अपने सरकारी वाहन से पत्रकार को लेकर एसडीएम कार्यालय पहुंची। लेकिन सरकारी कर्मचारी से जमानत करवाने की बाध्यता रखने से एकाएक कोई कार्मिक जमानत देने तैयार नहीं हुआ। क्योंकि परिवाद स्वयं एसडीएम द्वारा प्रस्तुत था। आखिरकार एक कार्मिक ने हिम्मत की तब जाकर बड़ी मुश्किल से पत्रकार प्रहलादसिंह चारण की जमानत हुई। सरकारी कर्मचारी की जमानत मांगने का यह मामला बिरला था और एसडीएम स्वयं के प्रस्तुत परिवाद पर खुद ही सुनवाई कर पत्रकार को जेल पहुंचाने पर आमादा थी।

बोलने से रोकने पर जन सुनवाई पर खड़े हुए सवाल

ज्ञापन में बताया गया कि राज्य सरकार ने जन भावना के अनुरूप पारदर्शी एवं संवेदनशील वातावरण में आमजन की परिवेदनाओं एवं समस्याओं की सुनवाई एवं त्वरित समस्याओं के समाधान के लिए नवीन त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत, उपखंड स्तर व जिला स्तर पर सुनवाई आयोजित करती हैं। इन जनसुनवाई में बोलने के अधिकार को कुचलने व दण्डित करने की कार्यवाही कर एसडीएम ने इसकी जनभावना और राज्य सरकार की भावना को नष्ट किया और आमजन में भय व्याप्त कर दिया। जिससे राजस्थान लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम, 2011 को सशक्त बनाने के लिए बनाए गए राजस्‍थान सुनवाई का अधिकार अधिनियम 2012 पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

जनसुनवाई में बोलने पर सजा देकर एसडीएम ने व्यक्ति की अभिव्यक्ति व वाक स्वतंत्रता पर लगाम लगाने और लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंटने का काम किया गया हैं। बतादें कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या वाक स्वतंत्रता किसी व्यक्ति या समुदाय द्वारा अपने मत और विचार को बिना प्रतिशोध, अभिवेचन या दंड के डर के प्रकट कर पाने की स्थिति होती है। इस प्रकार उपखंड अधिकारी ने बिना डर के जनसुनवाई में जनसमस्या उठाने और इससे नाराज होकर अपने पद और शक्तियों का दुरुपयोग कर पत्रकार को दंडित करने की कार्यवाही कर भारतीय संविधान अनुच्छेद 19 को मूल भावना को समाप्त करने का कृत्य किया हैं।

पत्रकारों ने महंगाई राहत केम्पों से किनारा किया

इन दिनों जिले भर में मुख्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट की भावना ‘बचत, राहत व बढ़त’ के नारे के साथ महत्ती एवं महत्वकांक्षी कार्यक्रम ‘महंगाई राहत कैंप’ प्रदेश भर में सफलता पूर्वक चल रहा हैं। लेकिन देसूरी उपखंड क्षेत्र में उपखंड अधिकारी की कार्यशैली व भय उत्पन्न करने की वजह से पत्रकार कवरेज नहीं कर पा रहे हैं। जिससे जन-जन को लाभ पहुंचाने वाले जनहितकारी कार्यक्रम के समाचार भी स्थानीय लोगों तक पहुंच नहीं पा रहे हैं। जबकि देसूरी उपखंड पत्रकार राज्य सरकार किया योजनाओं की कवरेज करते रहे हैं। लेकिन पहली बार पत्रकार एसडीएम के रवैये से कलम थामे बैठे हैं।

इसी जनसुनवाई में आरोप लगाने पर सरपंच पति भी अरेस्ट

ज्ञापन में बताया गया कि इसी दिन एसडीएम की अध्यक्षता में आयोजित जनसुनवाई में दादाई सरपंच के पति पृथ्वीराज सिंह राजपुरोहित ने अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। जिससे नाराज होकर जनसुनवाई में मौजूद एक अधिकारी की शिकायत कर पृथ्वीराज सिंह राजपुरोहित भी गिरफ्तार करवा लिया था।

एसडीएम ही परिवादी, जमानत लेने वाली भी खुद

ज्ञापन में बताया गया कि पत्रकार की गिरफ्तारी के मामले में परिवादी भी स्वयं एसडीएम हैं और जमानत लेने वाली भी खुद एसडीएम हैं। 4 मई को पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 107 व 117 में कार्यवाही करनी चाही। लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी न होने से उस दिन पत्रकार को छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। अगले दिन पत्रकार को सीआरपीसी की धारा 107 व 151 में गिरफ्तार करना पड़ा।

इस पूरे मामले में क्षेत्र के पत्रकार सोमवार को पाली कलेक्ट्रेट पहुंचे तथा कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपकर दोषी उपखंड अधिकारी देवयानी को एक पत्रकार को गिरफ्तार करवाकर अपमानित करने, सरकारी कर्मचारी से जमानत करवाने के लिए बाध्य करने, मानसिक यंत्रणा का शिकार करने, संविधान के अनुच्छेद 19(1) में वर्णित अभिव्यक्ति व वाक स्वतंत्रता को कुचलकर लोकतंत्र का गला घोंटने, व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता के अधिकार को ठेस पहुंचाने, अपने पद व शासकीय शक्तियों का दुरुपयोग करने का कृत्य करने के विरुद्ध देसूरी उपखंड अधिकारी एवं मजिस्ट्रेट(एसडीएम) देवयानी को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने और उन्हें देसूरी उपखंड से हटाने व उनके विरुद्ध सेवा नियमों के तहत व कानूनी कार्यवाही की मांग की हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता हैं तो प्रदेश व जिले भर में पत्रकार आंदोलन करेंगे। जिसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकार की होगी।

देसूरी उपखंड से ये पत्रकार पहुंचे ज्ञापन देने

ज्ञापन देने देसूरी के पत्रकार प्रमोदपाल सिंह, दिनेश आदिवाल, रमजान खान, दिलदार भाटी, प्रहलादसिंह चारण, रुस्तम रंगरेज, भावेश जोधावत, खेताराम जाट, भवानीसिंह राठौड़, अशोक कुमावत, भारतसिंह राव, ढलाराम सरगरा, हिंगलाजदान चारण, किस्तूर राठौड़, जयसिंह राठौड़, मोहन भटनागर इत्यादि मौजूद थे।

पाली के नेता व पत्रकार पहुंचे समर्थन में

ज्ञापन कार्यक्रम के दौरान पूर्व विधायक भीमराज भाटी, महिला कांग्रेस प्रदेश महासचिव नीलम बिडला, कांग्रेस प्रवक्ता आमीन रंगरेज, पाली के पत्रकार सुभाष त्रिवेदी, सुभाष रोहिशवाल, सुरेश हेमनानी, शेखर राठौड़, संदीप राठौड़, अमृतलाल कुमावत, छगनलाल भारद्वाज, राजीव अग्रवाल, भारत भूषण जोशी, गौरव शर्मा, हस्तपालसिंह, मुकेश राजा, गोपाल माली, सिकन्दर खान, दीपक शर्मा सहित कई पत्रकार मौजूद रहे और देसूरी में पत्रकार की गिरफ्तारी की निंदा की।