करवाचौथ : चांद के इंतजार में घरों की छत पर सुहागिनों का डेरा

अजमेर। पति-पत्नी के बीच श्रद्धा, प्रेम और समर्पण का त्योहार करवाचौथ बुधवार को अजमेर में उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान बाजारों और मंदिरों में विशेष गहमागहमी देखी गई और सुहागनों ने पति की दीर्घायु की कामना के लिए निर्जल उपवास रखा।

करवा चौथ व्रत पर बाजारों में महिलाओं की धूम

सुहाग के प्रतीक पर्व करवा चौथ व्रत को लेकर सुहागिनों ने बुधवार को जैसे बाजार ही लूट लिया। मेहंदी, चूडिय़ां, श्रृंगार, साडिय़ां, ज्वेलरी, पार्लर, कॉस्मेटिक सहित महिलाओं से जुड़ी हर दुकान उनकी चमक के साथ लकदक रही। देर शाम तक बाजारों में महिलाएं अपने पतियों के साथ खरीदारी में जुटी देखी गईं। एक ही दिन में लाखों रुपए का सामान हाथों हाथ बिक गया, जिससे दुकानदारों में भी उत्साह बना रहा।

दोपहर में सुहागिनों ने करवा चौथ व्रत कथा पंडितों और घर की बुजुर्ग महिलाओं से श्रवण की और दिनभर निर्जला रहकर पति की लंबी आयु की कामना में व्रत रखा। करवा चौथ का व्रत सुहाग का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि करवा चौथ का पूरे विधि-विधान से व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।

दिन में सुहागिनों ने मां गौरी व गणेश जी की विधिवत पूजा की। करवा चौथ का व्रत स्त्रियों के लिए फलदायक माना गया है। अपने पति की रक्षा व लंबी उम्र की कामना के लिए महिलाएं करवाचौथ का व्रत हर साल रखती हैं। यह निर्जला व्रत है, जो बेहद कठिन माना जाता है। करवा चौथ व्रत की शुरुआत सरगी से होती है और इसका पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है। चंद्रोदय होने पर महिलाएं चंद्रमा के दर्शन व पूजा के पश्चात अर्घ्य देकर अपना व्रत खोला।

करवाचौथ व्रत के सामान व महिलाओं के श्रृंगार की सामग्री की बिक्री के बीच दुकानों पर करवा चौथ व्रत संबंधी गीत बजते सुनाई दिए। इन गीतों में ‘और नहीं कुछ तुमसे कहना, जीवन साथी साथ ही रहना’, ‘आज करवा चौथ है’, ‘उन्हें लग जाए मेरी उमर’, ‘चांद ना कर दगाबाजी’, ‘चांद धरती पे आया है’, ‘सुहाग मेरा रखना अमर’, ‘करवा चौथ सखी त्योहार’, ‘जल्दी आ जाना सजन जी घर’, ‘चांद में दिखे सजना’, ‘मेरा चांद मेरे घर आया’, ‘तेरे हाथ से पीकर पानी, दासी से बन जाऊं रानी’ जैसे गीत खूब उत्साह के साथ बजाए जा रहे थे।

इस साल करवा चौथ व्रत एक नवंबर को शुभ योगों में रखा गया। करवा चौथ 2023 के व्रत की अवधि 13 घंटे 42 मिनट रही। सूर्योदय के साथ सुबह 6 बजकर 33 मिनट से व्रत का आरंभ हुआ, जो रात 8 बजकर 15 मिनट के आस-पास चंद्रोदय पूजन के बाद समाप्त हुआ। रात को चंद्रमा को अघ्र्य देकर सुहागिनों ने छलनी में से अपने पति के दर्शन कर व्रत खोला। करवा चौथ का व्रत साल में एक बार आता है और महिलाएं इसका काफी इंतजार भी करती हैं।

करवा चौथ के व्रत पर पत्नी की हर मांग को पति पूरा करने की कोशिश करता है। इसी को लेकर आज बाजारों में काफी चमक-दमक रही। फूल, फल, गिफ्ट शॉप, मिठाइयां, ड्राई फ्रूट्स, ज्वेलरी समेत महिलाओं से जुड़ी चीजों की दुकानों पर खूब भीड़ जुटी। अपने हाथों पर मेहंदी सजाने के लिए भी महिलाओं में प्रतिस्पर्धा का भाव दिखाई दे रहा था।

ब्यूटी पार्लरों में महिलाओं की बड़ी हाजरी रही। सजना के लिए सजने-संवरने का उत्साह उनके सिर चढक़र बोल रहा था। सुहागिनों के पतिदेव भी अपनी पत्नियों के साथ बाजारों में खरीदारी की। हर साल की तरह महिलाओं ने इस व्रत को पूरे उत्साह, परंपरा और सांस्कृतिक रवायत के साथ पूरा किया।