मानहानि मामले में लालू प्रसाद यादव साक्ष्य के अभाव में बरी

पटना। बिहार में सांसदों एवं विधायकों के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए गठित पटना की विशेष अदालत ने मानहानि के एक मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को साक्ष्य के अभाव में आज बरी कर दिया।

विशेष न्यायाधीश सारिका बहालिया ने मामले में सुनवाई के बाद यादव के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाते हुए उन्हें बरी करने का अपना निर्णय सुनाया। मामले में सुनवाई के दौरान आज प्रथम पाली में यादव सशरीर उपस्थित हुए और फिर स्वास्थ्य कारण से अदालत की अनुमति से वापस लौट गए।

मामला वर्ष 2017 का था। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पटना की अदालत में शिकायतकर्ता उदयकांत मिश्रा ने एक मानहानि का शिकायती मुकदमा संख्या 4530 सी 2017 दाखिल किया गया था। बाद में मामले को सुनवाई के लिए विशेष अदालत को स्थानांतरित कर दिया गया था।

मामले में अदालत ने भारतीय दंड विधान की धारा 500 के तहत संज्ञान लिया था और आरोप का सारांश सुनाने के बाद मामला शिकायतकर्ता की गवाही के लिए लंबित था। लगातार दिए गए निर्देश के बावजूद न्यायालय में गवाही के लिए शिकायतकर्ता उपस्थित नहीं हुए जबकि एक संयुक्त समझौता पत्र भी अदालत में दाखिल किया गया था। अंततः अदालत ने अभियोजन का साक्ष्य बंद कर दिया और साक्ष्य के अभाव में आज यादव को मामले से बरी किए जाने का अपना निर्णय सुनाया।

शिकायती मुकदमे के अनुसार शिकायतकर्ता उदयकांत मिश्रा ने यादव के 9 सितंबर 2017 को दिए गए उस बयान को मानहानि वाला बताया था, जिसमें कथित रूप से यादव ने शिकायतकर्ता को सृजन घोटाले का संरक्षक बताया था और कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब भागलपुर जाते हैं तो उदयकांत मिश्रा के घर पर क्यों रहते हैं। मामले में यादव की ओर से अधिवक्ता सुधीर कुमार सिन्हा, एजाज हुसैन और डॉ. संजय ने बहस की थी।