सेवागाथा की कहानी : एक धाम अनेक काम, दीनदयाल धाम मथुरा

रश्मि दाधीच
देवभूमि मथुरा के फरह क्षेत्र में कभी मीलों दूर सफर करता मीठा जल महिलाओं, बच्चों तो कभी पुरुषों के कंधों, सिर या हाथों में उठाए बर्तनों में छलकता हुआ गांवों तक पहुंचता था। चारों तरफ खारे पानी की वजह से मीठे पानी की एक-एक बूंद भी इतनी कीमती थी कि यही पानी कई बार आपसी मनमुटाव की वजह बन जाता था। यहां तक कि पानी के लिए गांवों में रोजमर्रा के झगड़े हो जाना भी आम बात थी‌।

खेती मुख्य व्यवसाय था, जो पूरी तरह पानी पर निर्भर था। किसान भरण पोषण लायक तो कमा लेते थे परन्तु अपने आने वाली पीढ़ी की प्रगति के लिए वे सक्षम नहीं रह गए। मजबूरी में कुछ परिवारों को रोजगार के लिए पलायन भी करना पड़ता था। बच्चों की पढ़ाई के लिए भी समुचित व्यवस्था नहीं थी।

परन्तु जब कोई योगी किसी भूमि पर जन्म लेता है तो उसके तप का फल अनेकानेक वर्षों तक उस भूमि के जनमानस को भी प्राप्त होता है। संघ के प्रखर प्रचारक एवं एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मस्थली मथुरा से 22 किलोमीटर दूर फरह क्षेत्र में नगला चंद्रभान गांव आज दीनदयाल धाम के नाम से ही जाना जाता है।

1982 में पंडित दीनदयाल के पैतृक मकान पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ अधिकारी भाऊ राव देवरस, अटल बिहारी वाजपेयी, ओम प्रकाश जैसे अनेक अधिकारियों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मभूमि स्मारक समिति का गठन कर इस क्षेत्र में विकास के द्वार खोल दिए। यहां दीनदयाल स्मारक के रूप में भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया, जो आज यहां दीनदयाल धाम के नाम से जाना जाता है ।

जिस प्रकार घर में एक चूल्हे पर बना भोजन परिवार के अनेक सदस्यों का भरण पोषण करता है, ठीक उसी प्रकार स्मारक समिति समूचे फरह विकास खंड के 56 गांवों के बुनियादी एवं सर्वांगीण विकास के लिए पिछले अनेक वर्षों से प्रयासरत है।

बचपन से इसी मिट्टी में शाखा में जाने वाले संघ के प्रचारक एवं समिति के निदेशक सोनपाल बताते हैं कि मीठे पानी के अभाव में लोगों को मीलों दूर से पीने का पानी ढोकर लाना पड़ता था। इसलिए 1992 में सर्वप्रथम मीठे पानी के पाइपलाइन के 15 स्टैंड लगाए गएये। आज फरह क्षेत्र में बड़ी मीठे पानी की टंकी है जिससे गांव के हर घर को मीठा पानी मिलता है। पानी की समस्या सुलझते ही खेती के कई विकल्प सामने आए।

आज दीनदयाल धाम में 5000 वृक्ष लगाए जा चुके हैं‌‌। एक सुंदर आंवले का बगीचा भी यहां मौजूद है। विभिन्न प्रयोगों द्वारा किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक कृषि हेतु प्रेरित किया जाता है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से शुद्ध होकर गांव का गंदा पानी करीब 75,000 लीटर प्रतिदिन सिंचाई के लिए काम आता है। पुनर्निर्माण और सौंदर्यीकरण की वजह से आज दीनदयाल धाम उत्तर प्रदेश में एक भव्य पर्यटन केंद्र है।

आज यहां के बच्चे सिर्फ सरकारी विद्यालयों पर निर्भर नहीं हैं। दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर के माध्यम से दो विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है जिसमें 1,000 से अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, करीब 25 गांवों में निःशुल्क वन टीचर, वन स्कूल कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ये एकल विद्यालय बच्चों को शिक्षित, संस्कारित करने के साथ उनके जीवन को सही दिशा दे रहे हैं। फरह विकास खंड की 8 न्याय पंचायत में, 6 सरस्वती शिक्षा मंदिर हैं, जिसमें 33 गांव से, 1383 बच्चे पढ़ने आते हैं।

समिति ने सभी क्षेत्रों में प्रकल्प आरंभ कर सर्वांगीण विकास की बुनियाद रखी। कामधेनु खाद्य एवं ग्रामोद्योग फार्मेसी मंत्री हेमेंद्र बताते हैं कि छोटी-मोटी बीमारियों से लेकर गंभीर मरीजों को पहले मीलों तक सफर करके मथुरा के अस्पताल तक जाना पड़ता था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सेवा केंद्र के परिसर में ही एक निःशुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सालय संचालित किया जाता है, जहां प्रतिवर्ष 30,000 रोगियों का इलाज होता है। यहां निःशुल्क नेत्र ऑपरेशन, विकलांग सहायता, डेंटल मेडिकल चेकअप एवं अन्य सभी रोगों से संबंधित मेडिकल कैंप आयोजित किए जाते हैं।

परिसर में एक कामधेनु गौशाला भी है। यहां पंचगव्य पर आधारित आयुर्वेदिक दवाएं बनती हैं। ये गौशाला गांव की महिलाओं के स्वावलंबन का भी आधार बनी हैं।