मकर संक्रांति 2024 तक रामलला गर्भगृह में विराजमान होंगे : चम्पत राय

अयोध्या। श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने शुकवार को यहां कहा कि श्री रामजन्म भूमि परिसर में चल रहे मंदिर निर्माण में मकर संक्रांति 2024 तक रामलला गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे।

राय ने पत्रकारों को आज यहां मंदिर निर्माण की प्रगति दिखाने के बाद संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर का निर्माण तेज गति से चल रहा है। अगले साल मकर संक्रांति तक रामलला गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस साल अक्टूबर तक राम मंदिर का ग्राउंड फ्लोर पूरा हो जाने की संभावना है। इसके बाद 21 दिसम्बर के बाद से लेकर मकर संक्रांति 2024 तक जो भी शुभ मुहूर्त निकलेगा उस दिन मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि चाहे वह शुभ मुहूर्त एक जनवरी को या फिर चाहे मकर संक्रांति का। रामलला अपने गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण का प्रतिशत जानना बहुत कठिन है फिर भी मंदिर निर्माण के सभी काम शुरू हो गए हैं। राम मंदिर के तीन दिशाओं में रिटेनिंग वॉल बनना है जिसके लिए मिट्टी, बालू हटाने का काम शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि रिटेनिंग वॉल और मंदिर के बीच में परकोटा बनाना है। दक्षिण और पूरब दिशा में खुदाई का काम चालू है। बालू मिट्टी हटाकर कंक्रीट डालने का काम चालू है।

ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर सब खम्भे रख दिए गए हैं। गर्भगृह और ग्राउंड फ्लोर के सभी खम्भे बारह फुट ऊंचाई तक पहुंच गए हैं। उसके ऊपर पांच फुट का पत्थर रखा जाना है। तब जाकर ऊंचाई पूरी होगी। फिर पत्थर का बीम रखने का काम होगा। पत्थर का बीम 2.5 से तीन फुट मोटा होगा।

उन्होंने कहा कि हर पत्थर की नक्काशी अलग-अलग प्रकार की है। हर खंभों पर 16-16 मूर्तियां बनेंगी। खंभों पर कौन सी मूर्तियां किस लोकेशन में बनेंगी। उसे शास्त्र अनुसार आर्किटेक्ट ने दे दिया है। खंभों में हनुमान, गणेश या अन्य देवताओं की अलग-अलग मुद्राओं में मूर्ति होगी। उन्हाेंने कहा कि अक्टूबर 2023 तक राममंदिर का ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा हो जाएगा। ग्राउंड फ्लोर पर कुल 170 पिलर हैं।

उन्होंने बताया कि गर्भगृह को छोड़कर पांच मंडप भी बनाए जा रहे हैं। तीन मंडप प्रवेश द्वार से गर्भगृह की ओर होंगे। जबकि दो मंडप उत्तर-दक्षिण में रहेंगे। उत्तर में कीर्तन मंडप होगा। राममंदिर का काम बहुत संतोषजनक प्रगति पर है। मंदिर निर्माण में लगे इंजीनियरों, कारीगरों और सुपरवाइजरों तीनों को विश्वास है कि इस वर्ष अक्टूबर तक ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा कर लेंगे।

ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का समय या तारीख बता पाना अभी बहुत ही मुश्किल है। उन्होंने बताया कि गर्भगृह में विराजमान होने वाली मूर्ति बालक राम की होगी। यहां पर भगवान को पुत्र रूप में पूजा जाएगा। अयोध्या में भगवान राम को कहीं दामाद रूप में, कहीं राजा और वनवासी रूप में पूजा जाता है, लेकिन राममंदिर में उनकी रामलला के रूप में पूजा-अर्चना होगी।

देश के कुछ ख्याति लब्ध मूर्तिकार रामलला की मूर्ति बना रहे हैं। इसमें एक ओडिशा के हैं। जो पद्म विभूषण से पुरस्कृत हैं। तो वहीं एक कर्नाटक, पूना और मुंबई के हैं। रामनवमी के दिन सूर्य भगवान की किरणें रामलला के ललाट को प्रकाशित करें। इस प्रकार से रामलला की मूर्ति गर्भगृह में लगाई जाएगी। इस पर रूडक़ी की सीबीआर टीम कार्य कर रही है, जिसका पहला ट्रायल सफल हो गया है।

रामलला की मूर्ति पत्थर की बनेगी, जिसके लिए पत्थरों का सेलेक्शन हो गया है। मूर्ति साढ़े पांच फिट ऊंची होगी। विद्वानों का विचार है कि गर्भगृह में रामलला की मूर्ति खड़ी होनी चाहिए। राममंदिर के बाहर लगभग 7 हजार मूर्तियां बनेंगी। मंदिर के चारों ओर राम के जीवन पर आधारित लगभग सौ प्रसंग पत्थर पर उकेरे जाएंगे। जिसमें एक पत्थर छह लंबा, पांच फुट मोटा और ढाई फिट चौड़ा होगा। राम के जीवन प्रसंग पर कार्य प्रारम्भ हो गया है।

उन्होंने बताया कि परकोटा के चारों कोनों पर चार मंदिर होंगे, जिसमें सूर्य भगवती, गणपति और भगवान शंकर के मंदिर हैं। भगवान राम विष्णु के अवतार हैं। इसलिए उनका मंदिर बीच में है। दक्षिण में हनुमान और उत्तर में अन्नपूर्णा माता मंदिर रहेगा। इस पर संतों का विचार बन चुका है। राममंदिर के दक्षिण पांच सौ मीटर दूरी पर तीर्थयात्री सुविधा केंद्र का काम शुरू हो गया है। इस अवसर पर श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा, हनुमानगढ़ी के पार्षद पुजारी रमेश दास, विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्तीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा भी मौजूद रहे।