संस्कृत भारती चितौड़ प्रान्त का भाषा प्रबोधन वर्ग का समापन रविवार को

अजमेर। शहीद अविनाश माहेश्वरी आदर्श विद्या निकेतन विद्यालय भगवानगंज में आयोजित संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत के आवासीय प्रबोधन वर्ग में ‘कृत्वा नव दृढ़संकल्पम, वितरन्तो नव संदेशम्। घटयामो नवसंघटनम्, रचयामो नवमितिहासम्… की भावना के साथ शिविरार्थी प्रतिदिन नवीन संस्कृत का ज्ञानार्जन कर रहे हैं।

इसी क्रम में आज विद्यार्थियों ने सम्भाषण का अभ्यास करते हुए तद्, अस्मद्, युष्मद्, भवत् शब्दों के प्रयोग, विशेषण विशेष्य भाव से संबंधित प्रयोग, भवान् क:? भवती का? तत् किम्? कम्, केन्, कस्मै, कस्मात्, कस्य, कस्मिन् आदि सप्त ककारों का भाषा में प्रयोग करना सीखा।

इसी क्रम में चर्चा सत्र के अंतर्गत संस्कृत भाषा के प्रचार हेतु किए जाने वाले उपायों के बारे में चर्चा के साथ संस्कृत लेखन कौशल का अभ्यास करवाया गया। वर्ग में विद्यार्थियों को बालकेंद्र संचालन से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। उक्त बालकेन्द्र संचालन के प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को छोटे-छोटे बाल गीत सिखाए गए।

इसी क्रम में बौद्धिक सत्र के अंतर्गत प्रान्तमंत्री परमानंद शर्मा द्वारा कार्यकर्ताओं को बौद्धिक प्रदान करते हुए कार्यकर्ताओं के गुण, उनके विशिष्टता, क्षमताओं, सत्यनिष्ठा, प्रमाणिकता, मृदुभाषिता, संघर्ष, प्रवास, समर्पण, मिलनसारिता आदि गुणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस भाषा का सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है। सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता भी निर्विवाद है।

संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि संस्कारित भाषा भी है अतः इसका नाम संस्कृत है। उन्होंने बताया कि संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि महर्षि पाणिनि, महर्षि कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है।

वर्गाधिकारी विष्णु शरण शर्मा ने इसी क्रम में बताया कि वर्गार्थियों के मानसिक विकास हेतु प्रश्न मंच का आयोजन किया गया, जिसमें शिविरार्थियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया। रात्रि अनौपचारिक कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने संस्कृत भाषा में ही नाट्य प्रतियोगिता में भाग लेकर सरल संस्कृत के माध्यम से सुंदर एवं आकर्षक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की।

वर्ग संयोजक भूपेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि वर्ग का दीक्षांत समारोह 31 दिसंबर 2023 को प्रात:काल किया जाएगा। संस्कृत भारती के प्रान्त अध्यक्ष कृष्ण कुमार गौड़ की अध्यक्षता में जिला जनपद सम्मेलन में संस्कृत संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें संस्कृत के गीत, भजन, श्लोक व संगीतमय संस्कृत गीतों का आनंद लिया। उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर 2023 को प्रातः जनपद सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सैकड़ों संस्कृत अनुरागी भाग लेंगे।

जनपद सम्मेलन नृसिंह मंदिर के महंत श्याम सुंदर शरण देवाचार्य मुख्य अतिथि, राधेश्याम निर्माण विशिष्ट अतिथि, गौरव सोनी व कृष्ण कुमार गौड़ के आतिथ्य में सम्पन्न किया जाएगा। जनपद सम्मेलन के समापन सत्र में मुख्य वक्ता संस्कृत भारती राजस्थान के क्षेत्रीय संयोजक डॉक्टर तगसिंह राजपुरोहित, मुख्य अतिथि आनंद अरोड़ा, विशिष्ट अतिथि डॉ. पुष्पा गुप्ता व अध्यक्ष  कृष्ण कुमार गौड़ रहेंगे।

कार्यक्रम में महानगर मंत्री वरुण कुमार सेन, सहमंत्री हिम्मत सिंह चौहान, प्रचार प्रमुख शिखा शर्मा, प्रान्त कोष प्रमुख महेश शर्मा, प्रान्त कार्यकारिणी सदस्य आशुतोष पारीक, महानगर विस्तारक भागचन्द, तरुण मित्तल, बृजेश शास्त्री, अक्लेश इत्यादि उपस्थित रहे।