सिरोही से एपीओ आबूरोड का ईनाम, कौन करवा रहा आयुक्त का काम!

सिरोही विधानसभा में चर्चा का विषय बनी आबूरोड की तस्वीर जिसमें अनिल झिंगोनिया का पालिकाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष स्वागत करते नजर आ रहे हैं।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। सोशल मीडिया पर वायरल आबूरोड की एक तस्वीर चर्चा में है। इस वायरल तस्वीर ने सिरोही के निर्दलीय विधायक, कांग्रेस और भाजपा की मैच फिक्सिंग होने के मुद्दे को भी चर्चा में ला दिया।

ये तस्वीर है सिरोही में बच्चे को कुत्ते के द्वारा नोचे जाने के प्रकरण में लापरवाही के लिए नोटिस पाए और एपीओ किए गए तत्कालीन आयुक्त अनिल झिंगोनिया का भाजपा जिलाध्यक्ष और सांसद की पार्टी के आबूरोड नगर पालिका अध्यक्ष मगदान चारण, विधानसभा में सिरोही चिकित्सालय की घटना के बाद विधानसभा में दोषियों को सजा की पैरवी करने वाले सिरोही विधायक संयम लोढ़ा के गुट की नेता प्रतिपक्ष नरगिस कायमखानी के द्वारा बुके देकर अभिवादन करने का।

अब सिरोही विधानसभा में सवाल ये उठ रहा है कि भारत में सिरोही के नाम को बदनाम करवाने वाले अधिकारी को उसी जिले की सबसे महत्वपूर्ण नगर पालिका में फिर से अधिशासी अधिकारी के रूप में नियुक्ति दिलवाने वाला राजनेता सिरोही का है या जयपुर का । यदि जयपुर का है तो विधानसभा में संयम लोढ़ा के द्वारा बुधवार को सिरोही की पीडब्ल्यूडी की जमीन के घोटाले के मामले में स्वायत्त शासन मंत्री पर बरसने के दौरान ये मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया? यदि इसमें भाजपा का सहयोग नहीं है तो इसी जिले में पुनरनियुक्ति पर भाजपा सांसद देवजी पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित, पूर्व गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी ने इस मामले में अब तक चुप्पी क्यों धारण की हुई है।
-संयम लोढ़ा ने ये कहा था विधानसभा में
जिस दिन सिरोही मेडीकल कॉलेज से संबंद्ध चिकित्सालय में बच्चे को कुत्ते के द्वारा उठा ले जाने और मार देने की घटना हुई थी उस दिन विधानसभा में संयम लोढ़ा ने कहा था कि यह घटना दुखद है। सरकार को इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। पीएमओ के द्वारा नगर परिषद सिरोही के तत्कालीन आयुक्त अनिल झिंगोनिया को सिरोही जिला चिकित्सालय में कुत्तों को पकडऩे का पत्र लिखने के बाद भी उन्होंने ये काम नहीं किया, जो काम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, संविधान और नगर
परिषद अधिनियमों में नगर परिषदों को ही है। ऐसे में उस प्रकरण में तकनीकी रूप से देखा जाए तो संपूर्ण दोष तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त की ही बनती है। इसके बाद भी संयम लोढ़ा के द्वारा इस मुद्दे को विधानसभा में नहीं उठाना सवालिया निशान खड़ा कर रहा है। यूं सिरोही नगर परिषद में नियुक्ति के दौरान भी कांग्रेस और भाजपर द्वारा ये आरोप लगते रहे थे कि आयुक्त संयम लोढ़ा की वरदहस्ती के बिना इतनी अव्यवस्थाओं के बाद भी यहां टिक नहीं सकता था।
-भाजपा ने गर्भवतियों के साथ कर दिया अन्याय, अब चुप्पी
सिरोही चिकित्सालय में बच्चे की मौत के दिन से लगातार ही सांसद देवजी पटेल, पूर्व मंत्री ओटाराम देवासी और भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित सत्ता के महाभोज के लिए राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचते रहे थे। इन लोगों ने जिला चिकित्सालय में चिकित्सा व्यवस्था को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। इनकी हरकत से पीएमओ्र जो कि रेडियालॉजिस्ट भी थे, को सरकार ने एपीओ कर दिया। इसी दिन सिरोही नगर परिषद आयुक्त को भी एपीओ किया था।

अब सिरोही चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी नहीं हो रही है। चुनाव से पहले सरजावाव दरवाजे और अन्य भाषणों में सिरोही चिकित्सायल में हाईकोर्ट के माध्यम से चिकित्सक लगवाने का दावा करने वाले सिरोही विधायक संयम लोढ़ा अब तक इसका कोई इंतजाम नहीं करवा सके। चिकित्सकों का हटवाकर व्यवस्था को गड़बड़ा देने वाले भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित, सांसद देवजी पटेल, ओटाराम देवासी, आबूरोड में ही रहने वाली पायल परसरामपुरिया इसी प्रकरण में इनाम पाकर लौटे तत्कालीन आयुक्त अनिल झिंगोनिया के मुद्दे पर मुंह में दही जमाए बैठे हैं।
-डांगी के क्षेत्र में लोढ़ा की तूती!
जिले में कांग्रेस में नीरज डांगी गुट और संयम लोढ़ा गुट की प्रतिद्वंद्वता छिपी नहीं है। आबूरोड शहर रेवदर विधानसभा का हिस्सा है। ऐसे में यह नगर पालिका नीरज डांगी के क्षेत्र में पड़ती है। कथित रूप से अनिल झिंगोनिया को संमय लोढ़ा से समर्थित माना जा रहा है। ऐसे में झिंगोनिया के सिरोही के सजा पाकर हटने के बाद आबूरोड का पारितोषिक मिलना और लोढ़ा द्वारा विधानसभा में मंत्री को घेरते समय इस मुद्दे पर नहीं बोलने को राजनीतिक हलकों में इस चर्चा को जन्म दे दिया है कि नीरज डांगी के क्षेत्र में एक बार फिर से संयम लोढ़ा गुट ने बढ़त बना ली है।