न्यारा में शतचंडी महायज्ञ व श्रीमभागवत कथा ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहुति

नसीराबाद/बाघसूरी। नसीराबाद के समीपवर्ती न्यारा गांव के पहाड़ी स्थित कालिका माता मंदिर प्रांगण पर चल रहे सात दिवसीय 51 कुंडीय शतचंडी महायज्ञ व श्रीमभागवत कथा ज्ञान यज्ञ की गुरुवार को पूर्णाहुति हुई। पंडितों ने वैदिक मंत्रोच्चारण कर यज्ञ वेदी पर बैठे यजमानों से आहुतियां दिलवाई। शतचंडी महायज्ञ व श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में पूर्णाहुति के साथ ही सात दिवसीय श्रीमभागवत कथा ज्ञान यज्ञ व शतचंडी महायज्ञ संपन्न हुआ। सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में महाआरती की गई।

इस मौके पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि मनुष्य को गौमाता की सेवा करनी चाहिए। गोवंश से ही संस्कृति व मानव जीवन बचा हुआ है। गोरक्षा ही सबसे बड़ी रक्षा होती है। गौमाता से ही विश्व कल्याण संभव है। उन्होंने कहा कि सरकार धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थल व गोवंश की सेवा आदि के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सरपंच संघ अध्यक्ष नांदला सरपंच मानसिंह रावत ने कहा कि हमारी संस्कृति धर्म की बुनियाद पर टिकी हुई है। ऐसे धार्मिक अनुष्ठान कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए।

महंत बालकदास गिरी ने कहा कि यज्ञ में आहुतियां देने से वायुमंडल के साथ आत्मा की भी शुद्धि होती है। मनुष्य को अपने जीवन में धर्म कर्म करते रहना चाहिए। धर्म सभा को नसीराबाद विधायक रामस्वरूप लांबा, पूर्व विधायक महेंद्र सिंह गुर्जर, रामनारायण गुर्जर, न्यारा सरपंच मुकेश कुमार गुर्जर, अजमेर डेयरी चेयरमेन रामचंद्र चौधरी ने भी संबोधित किया।

इससे पहले महायज्ञ समिति सदस्यों की ओर से अतिथियों का माल्यार्पण कर साफा बांधकर अभिनंदन किया। कार्यकर्ताओं की ओर से अध्यक्ष राठौड़ व महंत बालकदास गिरी को 51 किलो फूलों की माला पहनाई गई।

महायज्ञ समिति संयोजक राजकुमार कटारिया व रामकरण गुर्जर ने बताया कि महायज्ञ के समापन पर भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें ग्राम न्यारा सहित आसपास क्षेत्र के गांवों के सैकड़ों श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया।