जीवन में आवश्यकता से अधिक अपेक्षाएं दुख का कारण : संत हरि शरण दास

अजमेर। मनुष्य को अपने खान-पान व इंद्रियों पर विशेष नियंत्रण रखना चाहिए। वर्तमान युग में लोग मीडिया के विभिन्न संसाधनों का उपयोग करके जिस प्रकार अत्यधिक रूप से विभिन्न प्रकार की असात्विक व्यंजनों व भोजन का निर्माण कर आने वाले नौनिहालों के पूर्ण विकास पर प्रभाव डाल रहे हैं।

यह बात कथावाचक संत हरि शरण दास महाराज ने शास्त्री नगर स्थित भक्त प्रहलाद पार्क संख्या 3 में चल रही श्रीमदभावत कथा के तीसरे दिन कथावाचन के दौरान कही। महाराज ने कहा कि वर्तमान में कुछ लोग खाने के लिए जीते हैं वही कुछ लोग केवल मात्र जीने के लिए खाते हैं। लोगों कि अव्यवस्थित जीवन प्रणाली आने वाले समय के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध हो सकती है।

महाराज ने बताया कि मनुष्य अपने जीवन में आवश्यकता से अधिक अपेक्षाएं कर लेता है और वही अपेक्षाएं जीवन में मनुष्य के दुख का मुख्य कारण बन जाती है। ईश्वर सभी के लिए सामान है और सभी को सामान रूप से देखता है।

कथा आयोजन के दौरान व्यवस्था में गिरधारी सिंह, इन्दर सिंह पंवार, सम्मान सिंह, वरुण मंत्री, गजेंद्र सिंह के साथ कई गणमान्यजनों ने सहयोग किया। कथा के पश्चात सभी भक्त जनों को प्रसाद वितरित किया गया।