मोटा-मोटा पुलिया की बजाय पुलिया के रास्ते पर बने गहरे-गहरे गड्ढे

सिरोही नगर परिषद क्षेत्र में सुभाष उद्यान के पास सड़क पर बने गड्ढे।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। विधानसभा चुनावों के दौरान सिरोही विधानसभा में एक गाना बज रहा था।

‘जदे संयम जी विधायक बनिया मोटा मोटा पुलिया बनिया’। उस दावे वाले पुल बने हों या नहीं बने हों, लेकिन पुलिया तक ले जाने वाली सड़क पर उनके विधायक काल मे मोटे मोटे गड्ढे जरूर बन गए हैं।

-कमर तोड़ गड्ढों को मरम्मत नहीं
सिरोही शहर ने नगर परिषद क्षेत्र को भी संयमलोढा के अनुरोध पर यहां के लोगों ने उनके समर्थकों को सौंप दिया। लेकिन, इसकी एवज में सिरोही शहर को सिरोही नगर परिषद से मिला क्या? गहरे गहरे गड्ढे। यूँ नगर परिषद और खुद विधायक की ये दलील हो सकती है कि शहर में सीवरेज के काम के कारण ये गड्ढे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है।

जिन सड़कों पर सीवरेज के काम पूर्ण हो चुके हैं उस पर भी गड्ढे हैं और जिन पर काम शुरू नहीं हुआ उन पर भी। माली समाज छात्रावास रोड, शांति नगर, सम्पूर्णानंद कॉलोनी रॉड समेत सभी जगह ये हाल हैं। सबसे बुरा हाल तो सुभाष उद्यान के पास झोब और बूझ नाले की पुलिया पर जाने वाले मार्ग पर है। ये शहर में घुसने का मुख्य मार्ग है। यहां इतने गहरे गड्ढे हो चुके हैं कि छोटे पहियों की गाड़ियों के चालकों को तो स्लिप डिस्क करवा देंवें। इन मार्ग पर तो अभी तक सीवरेज कार्य हुआ भी नहीं है, तब ये हालात हैं।
-मरम्मत का कोई ठिकाना नहीं
नगर परिषद की तरफ से शहर की सड़कों और नालियों की मरम्मत के लिए नगर परिषद के द्वारा साल भर का ठेका दिया जाता है। लेकिन सिरोही शहर की सडकों का जो हाल हो रहा है उसे देखते हुए ये ही कयास लगाया जा सकता है कि नगर परिषद सिरोही ने ये बजट भी शहर में इवेंट आयोजित करवाने में कर दिया है।
-कमजोर मंडल अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष
सिरोही में समस्याओं का अंबार है। लेकिन भाजपा का कमजोर नगर मंडल अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष इस पर कभी अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पाए हैं। मंडल अध्यक्ष की स्थिति तो ये है कि वो स्थानीय स्तर पर आंदोलन तो छोड़ो जो आंदोलन स्वतःस्फूर्त होते हैं उनमें भी अपने नगर की कार्यकारिणी को इक्ट्ठा नहीं कर पाते हैं। प्रभारी मंत्री को जिला अस्पताल के समक्ष दिए ज्ञापन की तस्वीरें इसकी गवाह हैं।

जो हालात भाजपा नगर मंडल के हैं वो ये ही दर्शा रहे हैं कि मंडल अध्यक्ष अपने छापेखाने से प्रेसनोट निकालने में जितने दक्ष हैं उतनी इनकी नेतृत्व क्षमता नहीं है। इनके नेतृत्व में भाजपा की नगर में जो स्थिति है उससे ये ही प्रतीत होता है कि ये नगर परिषद चुनावों में खुदको टिकिट नहीं मिलने की खुन्नस अब सन्गठन से निकाल रहे हैं। स्थानीय मुद्दों पर की जा रही औचरिकता इनकी समर्पण की मुद्रा का स्पष्ट दर्शा रही है।

खबरों में विधायक संयम लोढ़ा का नाम आने से जितनी तकलीफ इन्हें होती है उतनी संयम लोढ़ा द्वारा वायदों के अनुसार नगर परिषद द्वारा काम नहीं करवा पाने का दर्द उठा लेते तो सिरोही शहर में सन्गठन को मजबूत कर लेते।