सुप्रीमकोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर पुनः जताया विश्वास

रांची। इवीएम पर पुनः एक बार विश्वास जताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दो रिट याचिकाएं खारिज कर दीं। इनमें एक याचिका 19 लाख से अधिक इवीएम के गुम हो जाने से संबंधित थी जबकि दूसरी चुनाव में बैलेट पेपर के उपयोग से संबंधित थी।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के गुम होने की संभावना एवं आरोप पर दायर रिट में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने इन संभावनाओं और आरोपों को पूर्णतया बेबुनियाद करार देते हुए भारत निर्वाचन आयोग के पक्ष में फैसला सुनाया। ज्ञातव्य है कि वादी आईएनसीपी ने संभावना जताई थी कि वर्ष 2016-19 के दौरान भारत निर्वाचन आयोग की अभिरक्षा से 19 लाख गुम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग वर्ष 2024 के आम सभा चुनाव में किया जा सकता है।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1991 की धारा 61 ए को विलोपित करते हुए चुनाव में बैलेट पेपर के उपयोग से संबंधित याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के अयोग्य करार दिया। न्याय मूर्ति खन्ना का मानना था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के कार्य-पद्धति से संबंधित 10 से भी ज्यादा मामलों में समय समय पर न्यायालय के द्वारा परीक्षण किया गया है। न्यायालय ने मामले को खारिज करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की कार्य-पद्धति में पुनः अपना भरोसा जताया।

पिछले 10 वर्षों की अवधि में लगभग 40 ऐसे मामलों में सुप्रीमकोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों और उससे संबंधित पारदर्शी प्रक्रिया एवं सख्त प्रशासनिक प्रोटोकॉल पर विश्वास जताते हुए भारत मे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग हेतु संकल्पित एवं दृढ़ न्यायिक वातावरण को मजबूती प्रदान की है।

ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी बनाम भारत निर्वाचन आयोग स्पेशल लीव पिटीशन सिविल 16870/2022 के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाते हुए कहा था कि देश में दशकों से ईवीएम का उपयोग हो रहा है परंतु अब इस संबंध में बार बार मामले दर्ज किए जा रहें हैं। एक अन्य मामले सीआर जया सुकिन बनाम भारत निर्वाचन आयोग एवं अन्य के मामले में माननीय उच्च न्यायालय दिल्ली ने 10 हजार रुपए जमा करने का आदेश दिया था। इस याचिका में भी ईवीएम के बदले बैलेट पेपर के उपयोग के लिए याचिका दायर की गई थी।

पहले भी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आगामी लोक सभा चुनाव में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में उपयोग होने वाले ईवीएम एवं वीवीपैट मशीनों की फर्स्ट लेवल चेकिंग पर रोक लगाने संबंधी याचिका को माननीय दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा खारिज किया जा चुका है। इस मामले में वर्तमान निर्वाचन प्रणाली की पारदर्शिता पर विश्वास जाहिर करते हुए याचिकाकर्ता के दावों को खारिज कर दिया था।

ईवीएम से संबंधित प्रणालियों एवं सुरक्षित प्रणाली को ईवीएम मैनुअल, स्टेटस पेपर, ईवीएम प्रेजेंटेशन, ईवीएम वोटिंग मशीनों के 40 वर्षों के सफर पर प्रकाशित पुस्तिका, ईवीएम के न्यायिक इतिहास एवं अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों जैसे प्रकाशनों के माध्यम से भारत निर्वाचन आयोग सार्वजनिक प्लेटफार्म पर उनका अद्यतनीकरण कर प्रकाशित करता रहा है।