संकटग्रस्त गो एयर एयरलाइन कंपनी ने ली दिवालिया कानून की ओट

नई दिल्ली। वित्तीय संकट से जूझ रही देश की तीसरी सबसे बड़ी विमानन सेवा कंपनी गो एयरलाइंस इंडिया लिमिटेड ने मंगलवार को कहा कि उसने अपने विमानों में लगे प्रैट एंड व्हिटने के इंजनों के खराबी के लगातार बढ़ने के कारण दिवालिया कानून के तहत संरक्षण के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण के समक्ष आवेदन किया है।

गो फर्स्ट के नाम से सेवाएं देने वाली इस एयरलाइन कंपनी ने कहा है कि अपनी उड़ान सेवाओं में व्यवधान के लिए अपने ग्राहकों ऋण दाताओं और यात्री सेवाओं में सहयोग करने वाली फर्मों और कर्मचारियों से खेद जताया है।

इंजन के खराबी के कारण पिछले कुछ समय से सुचारु रूप से सेवाएं देने में अपने आपको असमर्थ पा रही, गो एयर ने कहा कि उसने एनसीएलटी की दिल्ली बेंच के समक्ष दिवालिया संहिता की धारा 10 के तहत समाधान के लिए आवेदन किया है।

उसने कहा है कि गो फर्स्ट को यह कदम प्रैट एंड व्हिटने की इंटरनेशनल एयरो इंजन एलएलसी द्वारा दिए गए इंजनों की खराबी बढ़ने के कारण यह कदम उठाना पड़ा है। इंजन की खराबी के कारण दो फर्स्ट के 25 विमान खड़े है, जो उसके बेड़े में पहली मई 2023 की स्थिति के अनुसार शामिल कुल ए320 नियो विमानों की संख्या के करीब 50 प्रतिशत के बराबर है।

बयान में कहा गया है कि प्रैट एंड व्हिटने ने इंजन की खराबी की समस्या को दूर करने का आश्वासन बार-बार दिया, लेकिन वह उसको पूरा करने में विफल रही। एयरलाइन्स के अनुसार उसकी इंजन आपूर्ति कर्ता कंपनी ने सिंगापुर के अंतरराष्ट्रीय पंच निर्णय केन्द्र (एसआईएसी) के नियमों के तहत नियुक्त आपातकालीन मध्यस्थ के निर्णयों का अनुपालन नहीं किया है।

आपातकालीन पंच (निर्णायक) ने उसे कम से कम ऐसे 10 इंजन और स्पेयर पार्ट 27 अप्रैल 2023 तक तथा 10 और इंजन दिसंबर 2023 तक पूरा करने का निर्देश दिया है। गो एयर ने कहा है कि यदि प्रैट एंड व्हिटने निर्देशों के अनुसार इन इंजनों की आपूर्ति करे तो आगामी अगस्त/सितंबर मास तक गो फर्स्ट की सभी उड़ाने पहले की तरह परिचालित की जा सकती हैं।

बयान में कहा गया है कि कंपनी के प्रवर्तकों ने पिछले तीन साल में एयरलाइन ने तीन हजार दो करोड़ रुपए की बड़ी पूंजी लगाई है। और इसमें से 2400 करोड़ रुपये पिछले 24 महीनों में लगाए गए हैं। कंपनी ने केवल पिछले अप्रैल माह में ही एयरलाइन के परिचालन के लिए 290 करोड़ रुपए लगाए। इसके बावजूद, उसे दिवालिया कानून की ओट लेने को मजबूर होना पड़ा है।