आबूरोड में धरने पर बैठे उद्यमी सांसद लुम्बाराम चौधरी पर क्यों हुए नाराज

आबूरोड में उद्यमियों के धरने को संबोधित करते पदाधिकारी।

सबगुरु न्यूज-आबूरोड। आबू मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष से मारपीट के मामले में भाजपा नेता की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जिले के प्रमुख औद्योगिक शहर आबूरोड के रीको इंडस्ट्रीयल एरिया में औद्योगिक इकाइयों को बंद करके गुरुवार को उद्यमी रीको थाने के पास सांकेतिक धरने पर बैठे थे। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इस दौरान मंगलवार को उद्यमियों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर भी स्थानीय सांसद पर इन लोगों का गुस्सा फूटा। यही नहीं औद्योगिक क्षेत्र में चंदा वसूली करने के लिए कुकुरमुत्तो की तरह छोटे छोटे नेताओं को पनपाने और इन्हें बचाने के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को फोन करने वाले नेताओं पर भी इन उद्योगपतियों का गुस्सा फूटा।

रीको औद्यागिक क्षेत्र में सोमवार को मार्बल स्लरी सुखाने की जमीन को लेकर भाजपा नेता अजय ढाका पर आबू मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवान अग्रवाल पर जानलेवा हमला करने का आरोप लगा। चौबीस घंटे बाद तक आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं होने से नाराज उद्यमियों आबू मार्बल एसोसिएशन, आबू चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज व आरएसएस के एक और प्रकल्प लघु उद्योग भारती के तत्वावाधान में गुरूवार को रीको थाना के पास धरना दिया। धरने को शहर के विभिन्न व्यापारिक और सामाजिक संगठनों का समर्थन भी मिला।

धरने के दौरान उद्यमियों का सबसे ज्यादा गुस्सा सांसद लुम्बाराम चौधरी पर निकला। यहां अपने भाषणों में उद्यमी संगठनों के पदाधिकारी मंगलवार के उनके व्यवहार पर नाराजगी जताते दिखे। भाजपा जिला कार्यशाला के दौरान सांसद द्वारा उद्यमियों की अनदेखी किए जाने की घोर भर्त्सना की गई। उल्लेखनीय है कि उद्यमि ये आरोप लगा रहे हैं कि मंगलवार को जब वे लोग मानपुर में संकल्प से सिद्धि अभियान की जिला स्तरीय कार्यशाला के दौरान लुम्बाराम चौधरी से भाजपा नेता द्वारा आबू मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष पर हमले के संबंध में वार्ता करने को पहुंचे तो उन्होंने कार्यशाला के बाद इस पर बात करने को कहा और फिर वहां से बिना मिले और उन्हें सुने बिना की निकल गए। इसी व्यवहार को लेकर उद्यमी उन पर गुस्सा थे। एसोसिएशन के अध्यक्ष के साथ मारपीट के आरोपित भाजपा नेता को लुम्बाराम चौधरी की लॉबी का माना जाता है और इसी कारण उद्यमियों की अवहेलना करने का आरोप उन पर लग रहा था।

धरने में आबू चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रहलाद चौधरी ने कहा कि हम दिन रात मेहनत करके कमाते हैं और टैक्स देते हैं। इस टैक्स से नेताओं की सुरक्षा होती है, लेकिन प्रदेश में व्यापारियों की सुरक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनेताओं के संरक्षण में आबूरोड औद्योगिक क्षेत्र में गुंडागर्दी पनप रही है और राजनेता इन लोगों को बचा रहे हैं। उन्होने कहा कि ये हमला ऐसे आदमी ने किया जो अपने आपको यहां की पॉलीटिकल पावर समझता है। उन्होंने कहा कि ये समझते है कि हम नेता हैं। हमारे आदमी का ये नही होगा वो नही होगा। हम इनको सबक सिखा देंगे। उन्होने कहा कि ये हमे धमकाते हैं कि आप हमारे खिलाफ कार्रवाई करोंगे तो हम आपके खिलाफ कार्रवाई करेंगे। उन्होने मारपीट वाली घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक आदमी आता है। गाडी से उतरता है और बात किए बिना मारपीट करने लगता है। ये पावर इनको नेताओं के कारण मिल रही है। उन्होने रीको में पनप आए छुटभैया नेताओं पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि हम मेहनत कर रहे हैं और ये बाहुबल और चंदा उगाही के दम पर ठेकेदारी कर रहे हैं।

आबू चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज मावल के अध्यक्ष राहुल गुप्ता ने कहा कि इस तरह कि हिम्मत कोई व्यक्ति कैसे कर लेता है ये किसी से छिपा नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापारी किसी राजनीतिक पार्टी के विरोध में नहीं है। सब खाना खाते हैं गोबर नहीं। इसलिए सब ये समझ सकते हैं कि इनको हिम्मत कहा से मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह का असुरक्षा का माहौल रहने पर कोई भी व्यापारी व्यापार नहीं कर पाएगा।

आबू मार्बल एसोसिएशन के सचिव रमण बंसल ने कहा कि ये हमला क्षणिक आवेश में नहीं किया गया है। ये हमला सोच समझकर और आदतन किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह के हथियार से हमला किया गया है वो जानलेवा और अवैधानिक माना जाता है। गुजरात में इस तरह के हथियार के साथ हमारे एक साथी से मिला था तो उन्हें हिदायत दी थी कि ये हथियर अमान्य और गैर कानूनी है।

स्वयं उपाध्याय ने कहा कि पुलिस प्रशासन को नेता फोन कर रहे हैं कि आरोपित को कुछ नहीं करना चाहिए। तुरंत छोड देना चाहिए। उन्होंने कहा कुछ नेता हैं जो ऐसे लोगों को बचाने के लिए निरन्तर पुलिस और प्रशासन को फोन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें फोन करने वाले नेताओं के बारे में पता है लेकिन, हम प्रशासन से ही इन नेताओं के बारे में जानना चाहते है जो इन्हें बचाने के लिए लगातार फोन कर रहे हैं।

संयुक्त व्यापार संघ आबूरोड के अध्यक्ष अशोक वर्मा ने कहा कि व्यापारी सुरक्षित रहेगा तो व्यापार कर सकेगा। वो असुरक्षित रहेगा तो व्यापार बंद करके चला जाएगा। इससे बेरोजगारी फैलेगी जो और ज्यादा सामाजिक व्याधि पैदा करेगी। इस तरह की घटनाएं घोर निंदनीय है।

मजदूर नेता गणेश देवासी ने तो काफी गंभीर आरोप लगाए। देवासी के आरोप इसलिए भी गंभीर हो जाते थे कि वो भाजपा आबूरोड ग्रामीण मंडल के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। देवासी ने कहा कि ऐसे लोगों को बडे  नेता समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग जयपुर में पहचान की धमकी देते है। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि छुटभैये नेता यहां काले काम करके पैसा इकट्ठा करते हैं और ये पैसा दिल्ली तक के नेता को पहुंचाते हैं। तब जाकर खाना खाने के लिए इन नेताओं की गाडियां सीधे इनके यहां पर रुकती है और वौ इनको संरक्षित करने के लिए थानों में फोन करते हैं। लायंस क्लब, रोटरी क्लब, लघु उद्योग संघ समेत कई व्यापारिक और सामाजिक संगठन के पदाधिकारियों ने धरने को संबोधित किया और इस घटना की घोर निंदा की।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि ये धरना भले ही व्यापारियों के द्वारा किया गया गैर राजनीतिक धरना था। लेकिन, इसमें पीडित आरएसएस के प्रमुख प्रकल्प विद्या भारती की आदर्श शिक्षा समिति गांधीनगर के प्रबंध समिति के अध्यक्ष भगवान अग्रवाल थे। उनके साथ कथित जानलेवा हमला करने का आरोप जिस पर लगा वो भाजपा किसान मोर्चा का आबूरोड मंण्डल अध्यक्ष हैं। धरने में जितने संगठनों का सहयोग मिला उनमें से अधिकांश के प्रमुख भाजपा और आरएसएस विचारधारा के प्रबल समर्थक थे। ये लोग जिन बड़े नेताओं से सबसे ज्यादा परेशान दिखे वो भी भाजपा के थे। सिरोही जिले और आबूरोड के भाजपा के गिने चुने नेताओं की वजह से जिस तरह के उत्पीडन का जिक्र इन लोगों ने यहां किया था वो भाजपा और आरएसएस के प्रदेश संगठन के लिए विचारणीय है।

-दो नेताओ के नाम की चर्चा

उद्यमियों के सांकेतिक धरना शुरू करने से पहले अजयनाथ ढाका अपने अधिवक्ता के साथ रीको थाने पहुंच गया था। उसे पुलिस ने वहीं बैठा दिया था। ये बात अलग है कि निष्पक्ष जांच की सहमति पर धरना खतम होने तक शाम को उसे वहीं बैठाया गया और बाद में पाबंद करके छोड दिया गया था। जैसे जैसे समय निकलता गया वैसे वैसे ये अफवाह धरनास्थल के उद्यमियों और मजदूरों में फैलती गई कि सिरोही में सत्ता और संगठन के दो नेताओं ने पुलिस पर आरोपित को बिना कार्रवाई के ही छोड देने का दबाव बनाया है। धरनास्थल पर इसी को देखते हुए रीका थाने के सीआई और तहसीलदार को उद्यमियों ने ये अनुरोध किया कि आरोपित को गिरफ्तार करें और किसी दबाव में आज ही जमानत करवाने के लिए आ रहे राजनीतिक दबाव को नजरअंदाज करें। यही वजह थी कि अधिकांश वक्ताओं ने राजनीतिक संरक्षण और बचाने के लिए टेलीफोन करने की बात अपने भाषण में कही।

यूं देखा जाए तो भाजपा राज में भाजपा नेताओं पर इस तरह के आरोप लगने से यहां के भाजपा के विधानसभा प्रत्याशी जगसीराम कोली की आगे की राह मुश्किल हो रही है। यही स्थिति सिरोही-शिवगंज और पिण्डवाडा-आबू में भी करने की कोशिश करने का आरोप इस पूरी लॉबी पर लगा था। माउंट आबू की मॉनिटरिंग कमेटी में हस्तक्षेप और सिरोही में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के आगमन पर स्वागत का एक समानांतर कार्यक्रम का आयोजन इसी की कड़ी मानी जाती है। ओटाराम देवासी और समाराम गरासिया ने कथित रूप से कड़ा प्रतिरोध जताकर इस तरह की हरकतों पर अपना शिकंजा तुरंत कसना शुरू कर दिया। भाजपा हाइकमान के लिए भी 2018 का चुनाव परिणाम एक सबक है कि इस तरह के नेताओं का आबूरोड और जिले में सत्ता और संगठन में प्रभाव रहा तो 2023 यहां फिर से दोहरा जाए तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

– कांग्रेस की चुप्पी भाजपा की ताकत 

20 साल बाद पहली बार रेवदर विधानसभा को भाजपा से छीनकर कांग्रेस के हाथ में दिया गया है। ये किसी कांग्रेस नेता की रणनीति से नहीं बल्कि खुद आबूरोड के मतदाताओं की जागरूकता से हुआ था। जिले में कांग्रेस की दो प्रभावशाली लॉबी है। एक संयम लोढा की दूसरी नीरज डांगी की। ये बात अलग है कि रतन देवासी माउण्ट आबू में अपने हस्तक्षेप को बरकरार रखे हुए हैं।

आबूरोड रेवदर विधानसभा का हिस्सा है। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी रेवदर विधानसभा से हैं। आबूरोड के विधायक, ब्लॉक अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और यहां तक कि जिलाध्यक्ष भी संयम लोढ़ा की लॉबी के माने जाते हैं। कुछ दिन पहले आबूरोड नगर मंडल कार्यकारिणी के स्नेहमिलन समारोह में संयम लोढ़ा ये कह रहे थे कि भाजपा राज में पीडित और कमजोर लोगों के साथ होने वाले किसी भी अन्याय के साथ कांग्रेस हमेशा खड़ी है। उन्होने यहां मौजूद नेताओं से भी इसी बात की पालना करने को प्रेरित किया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी यही दावा करते रहते हैं। 2023 के विधानसभा चुनावों में अगर भाजपा के हाथ से ये सीट गई है तो उसकी एक वजह ये भी थी कि हर वर्ग की तरह उद्यमियों और व्यापारियों को भी ये अपेक्षा थी कि उनके हक की आवाज उठाने वाला कोई नेता उन्हें मिले। लेकिन, इस प्रकरण के बाद उनकी चुप्पी इसमें कांग्रेस विधायक की जन आकांक्षा पर खरे नहीं उतर पाने की नाकामी को दर्शा रही है।

यूं देखा जाए तो रेवदर विधानसभा लंबे समय से नीरज डांगी की दावेदारी और प्रभाव में रही। 2018 में नीरज डांगी रेवदर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी थे। ऐसे में उनके हारने के बाद भी गहलोत सरकार के समय में ये ही यहां के प्रोटोकॉल विधायक थे। लेकिन, डांगी पर आबूरोड से पॉलिटिकल टूरिज्म वाला रिश्ता रहने का आरोप लगता रहा। वो यहां पर कांग्रेस के दो बार प्रत्याशी थे हैं। लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी होने के कारण हारने के बावजूद गहलोत से में वो यहां के प्रोटोकॉल नेता थे। 2023 में वो राज्यसभा सांसद थे। ऐसे में वो चुनाव नहीं लड़ा सकते थे लेकिन, उन्होंने अपने करीबी को टिकिट दिलवाने का भरपूर प्रयास किया। उनका प्रयास बता रहा है कि वो आगे भी खुद या अपनी लॉबी के नेता के लिए सक्रिय रहने के इच्छुक हैं। लेकिन उनके और उनकी लॉबी नेताओं द्वारा विपक्ष में रहते हुए आबूरोड के जनहित के मुद्दों पर यूं खामोश बैठे रहने की रवायत जारी रही तो उनके प्रयास कभी सफल नहीं होंगे ये कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस घटना को पांच दिन बीत चुके हैं लेकिन लोढा और डांगी गुट के किसी भी नेता की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। भाजपा नेताओं के कथित दुर्व्यवहार और सत्ता के कथित दुरुपयोग की इस घटना पर कांग्रेस की चुप्पी यहां के लोगों को जनहित की जगह भाजपा के हित में मौन समर्थन ज्यादा लग रही है।