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उर्स के मौके पर बीस जून की रात दरगाह के चारों ओर महफिलों का आयोजन किया जायेगा। नात-मनकबत एवं कव्वालियों के नजराने पेश किए जाएंगे। लोग रातभर जागकर इबादत करेंगे एवं नमाजे पढेंगे।
इक्कीस जून को तड़के सुबह जन्नती दरवाजा खोला जाएगा जो कि जौहर की नमाज के बाद बन्द कर दिया जायेगा। ख्वाजा साहब की मजार पर काले रंग की मक्के-मदीने की चादर खुद्दामे ख्वाजा चढ़ाकर मौजूद जायरीनों के लिए दुआ करेंगे।
आहता-ए-नूर दरगाह शरीफ में कुल की महफिल सुबहां दस बजे तिलावत-ए-कुरान से शुरु होगी। ख्वाजा साहब के गद्दीनशीन एसएफ हसन चिश्ती ने बताया कि इस अवसर पर पैगम्बर इस्लाम की शान में नात-ए-पाक का नजराने पेश किए जाएंगे।
ख्वाजा साहब एवं उनके गुरु ख्वाजा उस्मान हारुनी के जीवन पर प्रकाश डाला जाएगा। दरगाह की शाही चौकी तथा अन्य कव्वाल ख्वाजा साहब एवं उनके गुरु की शान में सूफिया कलाम पेश करेंगे।