सिरोही में सरकारी कार्मिकों से दुर्भावना निकालने का माध्यम बनी आसन्न युद्ध की आपात स्थिति!

गहलोत सरकार के दौरान लम्पी बीमारी के समय सिरोही पशुपालन विभाग में भाजपा नेताओं के साथ बहस के दौरान शांति बनाने का कहते ओटाराम देवासी।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। देश पर युद्ध का आसन्न संकट में था तब पूरा देश इस आपदा में देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने को आतुर था। लेकिन, सिरोही भाजपा पर इस में आसन्न संकट को अवसर बनाते हुए अपने राजनीतिक हित साधने में इस्तेमाल करने का आरोप लग रहा है। जो काम न्यायालय ने उन्हें डेढ़ साल में नहीं करने दिया वो काम इस युद्ध की विपदा के संकट में करने का आरोप लग रहा है। भारत जहां अपने बाहरी दुश्मनों से मुकाबला करने में व्यस्त है वहीं सिरोही भाजपा पर अपने कथित राजनीतिक हित नहीं साधने वाले कार्मिकों पर स्ट्राइक करने का आरोप लगाने लग रहा है।

प्रतिष्ठा का प्रश्न बना एक स्थानांतरण

बजट पर सिरोही में हुई पत्रकार वार्ता में सिरोही विधायक और पंचायत राज राज्यमंत्री ओटाराम देवासी से पूछा गया था कि उन पर द्वेषतावश सरकारी कार्मिकों को स्थानांतरण करने के आरोप लग रहे हैं। देवासी ने इस आरोप को नकारते हुए नाम लिए बिना पूर्ववर्ती सरकार के नेता पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनकी ऐसे प्रवृत्ति नहीं है कि वो पूर्व की कांग्रेस सरकार की तरह ऐसा काम करें। पशुपालन विभाग के सहायक प्रशासनिक अधिकारी नितीश सिंघी का मामला भी कुछ ऐसा ही बताया जा रहा है जिसमें भाजपा सरकार में ही बार बार उनका स्थानांतरण किया गया और न्यायालय ने इसे राजनीति प्रेरित स्थानांतरण मानकर स्टे कर दिया।

लेकिन, पुलवामा हमले के बाद जब भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध का आसन्न संकट आ खड़ा हुआ तो भारत के पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती इलाकों में आपात स्थिति लागू कर दी गई। इसमें राजस्थान का और विशेषकर जैसलमेर व बाड़मेर जिले भी शामिल थे। लंबे समय से नितेश सिंघी के स्थानांतरण नहीं कर पा रहे पशुपालन विभाग ने इसी आपात स्थिति का हवाला देकर उन्हें बाड़मेर स्थानांतरित कर दिया। हाल में 31 जनवरी को स्थानांतरण किया गया था जिस पर अप्रैल में उन्हें उच्च न्यायालय से स्टे मिल गया था। इससे पहले 2017 में भी भाजपा के सत्ता में रहने पर स्थानांतरण झालावाड़ किया गया था तब भी नीतीश सिंघी न्यायालय से स्टे लाए थे।

विशेष सूची में तीन नाम

पशुपालन विभाग के द्वारा 9 मई को कई सारे कार्मिकों के स्थानांतरण को सूची जारी की गई। इनमें से करीब सौ कार्मिकों को जयपुर के जयपुर में ही स्थानांतरित किया था। इसी दिन एक विशेष सूची भी जारी की गई जिसमें तीन कार्मिकों को राष्ट्रीय आपदा और आपात स्थिति का हवाला देते हुए बाड़मेर स्थानांतरित किया गया। इनमें वाहन चालक राजूराम यादव को डूंगरपुर से बाड़मेर, वरिष्ठ सहायक विजय पुरोहित को जयपुर से बाड़मेर और सहायक प्रशासनिक अधिकारी नीतीश सिंघी को सिरोही से बाड़मेर से स्थानांतरित किया गया। बाड़मेर के निकट जैसलमेर, जोधपुर, नागौर और जालौर जैसे जिले पड़ने पड़ते हैं। इसके बावजूद डूंगरपुर, जयपुर और सिरोही से ओडा के नाम पर कर्मचारियों का स्थानांतरण विभाग की मंशा पर सवालिया निशान लगाता है।

वैसे प्रदेश में राष्ट्रवादी संगठनों से जुड़े कई लोग पाकिस्तान की सेना से लड़ने के लिए जाने को तैयार बैठे हैं। ऐसे में इतनी दूर दूर से कार्मिकों को सीमा पर भेजने की बजाय उन संगठनों से जुड़े कार्मिकों को स्वैच्छिक सेवा के लिए सीमा पर भेजा जा सकता था। नीतीश सिंघी के छुट्टी पर होने से वहां ज्वाइनिंग नहीं करने पर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। विभाग को इतनी आपदा महसूस हो रही थी कि इस नोटिस को विभाग के अधिकारियों त्वरित ही उनके घर पर भी चिपकवा दिया।

लम्पी के समय हुआ था विवाद

गहलोत सरकार के कार्यकाल में राजस्थान में पशुओं में लम्पी बीमारी फैली थी। इसी दौरान दौरान ओटाराम देवासी के नेतृत्व में सिरोही भाजपा के नेता सिरोही पशुपालन विभाग द्वारा लम्पी के समय में लापरवाही बरतने के आरोप को लेकर पशुपालन विभाग के कार्यालय पर पहुंचे थे। इस दौरान विभाग के द्वारा पशुओं की देखभाल सही से नहीं करने का आरोप भाजपा नेताओं ने विभाग पर लगाया था। उस समय वायरल हुए वीडियो में नितेश सिंघी इन भाजपा नेताओं के आरोपों का विभाग की तरफ से आपत्ति जताते हुए नजर आ रहे थे। सिंघी के स्थानांतरण इसी विवाद का परिणाम होने का आरोप लगाया जा रहा है।

आधे से ज्यादा पद खाली

राजस्थान सरकार बाड़मेर में सिरोही, जयपुर और डूंगरपुर से कार्मिकों को पशुधन की सेवा की आपात स्थिति के लिए भेज रही है। जबकि सिरोही के विधायक के पंचायत राज मंत्री होने के बावजूद फरवरी 2025 तक सिरोही पशुपालन विभाग में अलग अलग पदों पर 505 स्वीकृत पदों के विरूद्ध 304 कार्मिकों के पद रिक्त पड़े हुए थे। ये स्थिति तब है जब पंचायतराज मंत्री खुद उस समुदाय से आते हैं जो पशुपालन के पेशे से जुड़े हुए हैं। ऐसे में ये खाली रिक्तियां पशुपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों के। लिए भी समस्या का विषय बनी हुई हैं। पशुपालकों से जुड़ी योजनाओ को संचालित करने के जिस वरिष्ठ सहायक के पद पर नीतीश सिंघी हैं वो पद भी 4 स्वीकृत हैं उनमें से भी सिर्फ दो भरे हुए हैं दो खाली हैं। ऐसे में सिरोही, डूंगरपुर और जयपुर के पशुओं को आपदा में छोड़कर बाड़मेर के पशुओं को आपदा से बचाने को विभाग ने प्राथमिकता दी गई।