मुंबई। एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ शशिधर जगदीशन ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (एलकेएमएम ट्रस्ट) की शिकायत पर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देते हुए बम्बई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।
गुरुवार को संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान ट्रस्ट के स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने न्यायमूर्ति नितिन जैन की ओर से याचिका पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि न्यायाधीश के पास एचडीएफसी बैंक में शेयर हैं। न्यायमूर्ति जैन ने हालांकि स्वेच्छा से अपनी शेयरहोल्डिंग का खुलासा किया था, लेकिन मेहता ने तर्क दिया कि इससे हितों का टकराव पैदा होता है।
याचिकाकर्ता जगदीशन के वकीलों ने कहा कि उन्हें न्यायमूर्ति जैन के पीठ का हिस्सा होने पर कोई आपत्ति नहीं है। इसके बावजूद न्यायालय ने मेहता की आपत्तियों को स्वीकार किया और मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किये जाने के निर्देश दिए, जिसमें न्यायमूर्ति जैन शामिल न हों।
इस महीने की शुरुआत में दर्ज प्राथमिकी में जगदीशन के खिलाफ ट्रस्ट पर कथित रूप से अवैध नियंत्रण बनाए रखने में चेतन मेहता समूह की मदद करने के लिए 2.05 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। शिकायत में दावा किया गया है कि ट्रस्ट के मामलों में हेरफेर करने के लिए वित्तीय और रणनीतिक सलाह के बदले में पैसे का भुगतान किया गया था, जिसे ट्रस्ट एचडीएफसी बैंक के सीईओ के अधिकार का दुरुपयोग मानता है।
जगदीशन का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने पहले आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें सबसे बेतुके दावों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि यह सबसे बेतुके आरोपों में से एक है कि उन्हें ट्रस्टियों से पैसे मिले। आरोप की बेतुकी बात यह है कि उन्हें एचडीएफसी बैंक के उधारकर्ताओं को परेशान करने के लिए कथित तौर पर दो करोड़ रुपए मिले।
उन्होंने कहा कि यह प्राथमिकी एचडीएफसी बैंक द्वारा मेहता परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी स्प्लेंडर जेम्स लिमिटेड के खिलाफ वसूली कार्यवाही से उपजी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई है, जिसने 31 मई तक 65.22 करोड़ रुपए के ऋण का भुगतान नहीं किया है। ये कार्रवाई बैंक द्वारा एक ट्रस्टी के पिता के स्वामित्व वाली कंपनी के खिलाफ शुरू की गई वसूली कार्यवाही के बाद की गई है।