श्रीनगर। लद्दाख के लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत और 100 से ज़्यादा घायल होने के तीन दिन बाद शनिवार को कर्फ्यू में ढील दी गई।
अधिकारियों ने बताया कि ढील के दौरान स्थिति शांतिपूर्ण रही। इससे पहले दिन में लद्दाख के पुलिस महानिदेशक एसडी. सिंह जामवाल ने कहा कि लेह में कर्फ्यू में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हम कर्फ्यू को लेकर सबसे ज़्यादा चिंतित हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में शांति लाना है और हम लोगों की समस्याओं को समझते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख पुलिस द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने और राजस्थान की जोधपुर जेल में स्थानांतरित किए जाने के एक दिन बाद सुरक्षा हाई अलर्ट पर है। लेह पुलिस ने यात्रियों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए कई जगहों पर नाके लगाए हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि बुधवार की हिंसा के बाद, कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। वांगचुक की गिरफ़्तारी के बाद से निलंबित मोबाइल इंटरनेट सेवाएं अभी भी बंद हैं।
लद्दाख में बुधवार से ही तनाव व्याप्त है, जब केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर वांगचुक की भूख हड़ताल के दौरान हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। दो दिन बाद, वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसस) के तहत हिरासत में ले लिया गया।
लद्दाख प्रशासन ने हिरासत को उचित ठहराते हुए कहा कि लेह में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने और आगे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए यह आवश्यक था। अधिकारियों ने कहा कि वांगचुक के भड़काऊ भाषणों, नेपाल आंदोलन, अरब स्प्रिंग के संदर्भों और भ्रामक वीडियो की श्रृंखला ने 24 सितंबर को हिंसक अशांति को जन्म दिया। सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक संगठनों के एक समूह, लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने हालांकि कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में वांगचुक की कोई भूमिका नहीं थी।