श्रीनगर। आब-ए-रवां ने एहसास फ़ाउंडेशन और री-रूट फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के सहयोग से शनिवार को बैत-उल-मीरास, आली कदल में यौम-ए-ख़्वाजा अजमेरी के अवसर पर एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम में महफ़िल-ए-मुशायरा और महफ़िल-ए-समा का आयोजन किया गया, जिसमें महान सूफ़ी संत हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ (रह.) द्वारा दिए गए प्रेम, शांति, सौहार्द और मानवता के शाश्वत संदेश को श्रद्धांजलि दी गई। भावपूर्ण काव्य पाठ और सूफ़ियाना प्रस्तुति ने कार्यक्रम को विशेष बना दिया और क्षेत्र की समृद्ध आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत को उजागर किया।
इस अवसर पर मंताशा राशिद, केएएस, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। अपने संबोधन में उन्होंने हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ (रह.) की शिक्षाओं की आज के दौर में प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए सामाजिक सौहार्द, करुणा और आपसी सम्मान को बढ़ावा देने में उनके योगदान को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में प्रतिष्ठित विद्वानों, कवियों, कलाकारों तथा समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ (रह.) की विरासत को नमन किया और शांति, भाईचारे तथा सह-अस्तित्व के मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
आयोजकों ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम सामाजिक एकता को मज़बूत करने और उन आध्यात्मिक परंपराओं को जीवित रखने का प्रयास हैं, जो मानवता और सौहार्द का संदेश देती हैं।



