सबगुरु न्यूज – आबूरोड। आबूरोड नगर पालिका जिले के सबसे महंगे दशहरा मेले के लिए रावण मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले के टेंडर दिया हैं उनकी दर तीन लाख आंकी है। इसमें इन पुतलों में लगने वाले पटाखे भी शामिल हैं। इनकी ऊंचाई 35 फीट मांगी गई है। अन्य स्थानों की दरों के मुकाबले ये पुतले तब किफायती पड़ेंगे जब नेगोसिएशन करके इसकी दर को ज्यादा से ज्यादा डेढ़ लाख तक ले आई गई हो। लेकिन, नगरपालिका से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर मानपुर चैराहे पर बिना पटाखों के 40 फीट का पुतला मात्र 35 हजार रुपए में मिल रहा है। नेगोसिएशन करने पर ये दर और भी कम हो सकती है। रेलवे मैदान में बने रावण और मानपुर चैराहे पर बने रावण के ढांचों में कोई विशेष अंतर नहीं है।
– तो क्या दो लाख के सिर्फ पटाखे लग जाएंगे?
अगर मानपुर चौराहे वाले पुतलों को ही स्टेंडर्ड रेट मानी जाए तो क्या आबूरोड नगर पालिका इन तीन पुतलों में एक लाख 95 हजार रुपए का सिर्फ पटाखे ही लगाएगी। जबकि तीन लाख रुपए की आतिशबाजी का टेंडर अलग से किया है। हिसाब से तो अगर नेगोसिएशन करके आबूरोड नगर पालिका के पुतलों को पटाखों के साथ डेढ़ से पौने दो लाख रुपए तक टेंडर जारी करते हैं तब इसमें राजकोष का फायदा होगा। स्थानीय पटाखा विक्रेताओं की माने तो दिवाली में उनकी दुकान में वो
अनुमानित तीन से चार लाख रुपए के पटाखे भरते हैं। ऐसे में आबूरोड के रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों में लगने वाले पटाखों की मात्रा कितनी है रावण दहन वाले दिन धमाकों को गिनकर इसकी गिनती की जा सकती है। क्योंकि सिरोही नगर परिषद की तरह इसके टेंडर ऑनलाइन थे नहीं तो वहां की तरह पटाखों की मात्रा का भी खुलासा नहीं हो पाया है।
– ये है ऑफलाइन टेंडर का चक्कर
दशहरे के पुतलों की तीन किलोमीटर दर में आया ये अंतर बता देगा कि आबूरोड नगर पालिका ने सेम नेचर के काम को अलग अलग टुकड़ों में बांटकर उसकी लागत दस लाख और पांच लाख से कम क्यों रखी है। ऐसा करने से प्रोक्योरमेंट रुल के तहत टेंडर ऑनलाइन नहीं करने पड़ते ऑफलाइन हो जाते हैं। जिससे बाहरी लोग इसमें हिस्सा नहीं ले पाते हैं और ऑफलाइन के माध्यम से मनमानी दरों पर अपने किसी करीबी को टेंडर दिया जा सके। जबकि पारदर्शिता बरतने के लिए सिरोही, बारां , डूंगरपुर आदि की तरह इन टेंडरों को भी ऑनलाइन किया जा सकता था।
– सिरोही में ये है स्थिति
जिले में जिला मुख्यालय पर भी रावण दहन कार्यक्रम होगा। इसकी निविदा 3 लाख 70 हजार रुपये की थी। ये पांच लाख रुपये से कम की थी। ऐसे में इसे नियमानुसार आॅनलाइन नहीं चढाते तो भी चलता। लेकिन, सिरोही नगर परिषद फिलहाल जिला कलेक्टर के अधीन है। वहां पर नगर परिषद सभापति की जगह कलेक्टर को प्रशासक बनाया गया है। ऐसे में वहां पर इसे पूरी तरह से पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी रखा गया है। आॅनलाइन निविदा होने के कारण इतनी प्रतिस्पर्धी दरें मिली कि आबूरोड नगर पालिका के द्वारा जारी की गई निविदा की दरें उसके आगे दो गुनी प्रतीत होंगी।
सिरोही नगर पालिका में 60 फीट का रावण और 45 फीट के मेघनाद और कुम्भकर्ण के पुतलों की पटाखों समेत निविदा दो लाख 47 हजार रुपये में खोली गई। इसमें कितने पटाखे लगेंगे और कितनी लडियां ये तक का खुलासा किया गया। यहीं नहीं आॅनलाइन निविदा में बारां की भी निविदा मिली हैं। वहां पर रावण, मेघनाद और कुम्भकर्ण के चालीस फीट के पुतलों की निविदा सिर्फ डेढ लाख में जारी की गई है। यही नहीं वहां तो आतिशबाजी की भी पूरी सूची जारी की गई है, जिसमें आतिशबाज ये बताएगा कि वो टेंडर राशि में कौन कौन सी आतिशबाजी कितनी संख्या में चलाएगा। आबूरोड में इन पुतलों की निविदा कितने में खुली है इसकी जानकारी लेने के लिए अधिशासी अधिकारी को फोन लगाया लेकिन, फोन नो रिप्लाई रहा।
– शहर में मैदान, रेलवे ग्राउण्ड में सांस्कृतिक कार्यक्रम
आबूरोड शहर में दशहरे को लेकर हो रहे आयोजनों की दरों को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हैं। लेकिन, इसी बीच ये भी चर्चा जोर पकडने लगी है कि रावण दहन के अलावा अन्य सांस्कृतिक आयोजन रेलवे ग्राउण्ड की बजाय आबूरोड शहर में ही स्थित दरबार स्कूल के ग्राउण्ड में करवाया जाता तो लोगों को पहुंचने में और सहूलियत होती। सबगुरू न्यूज ने सेटेलाइट इमेज से जब दोनो मैदानों का क्षेत्रफल निकाला तो ये लगभग समान क्षेत्रफल के ही निकले। शहर के सभी प्रमुख मेले आदि इसी दरबार स्कूल के मैदान में होते हैं। आयोजन शाम को होने था और छुटियां भी थी तो ऐसे में यहां आयोजन होने से स्कूल को राजस्व भी प्राप्त हो जाता जो बच्चों की सुविधाओं में खर्च हो सकता था।
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