दिवाली से पहले आबूरोड में हाइकोर्ट आदेश का बड़ा भूकंप

राजस्थान हाइकोर्ट के आदेश पर लुनियापुरा पुलिया के पास सुरक्षा दीवार तोड़ते नगर पालिका आबूरोड कार्मिक

परीक्षित मिश्रा

सबगुरु न्यूज-सिरोही। वन नेशन वन इलेक्शन केे तहत दीपावली के बाद प्रदेश की सभी 309 निकायों में चुनावों की संभावना जताई जा रही है। आबूरोड नगर पालिका का कार्यकाल भी दिसम्बर में समाप्त होने वाला है। इससे पहले ही आबूरोड पर राजस्थान हाईकोर्ट ने गाज गिरा दी है। राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर पालिका की अधिशासी अधिकारी दीपिका वीरवाल की मौजूदगी में आबूरोड नगर पालिका क्षेत्र में हुए अतिक्रमणों को हटाने के आदेश जारी किए हैं।

– इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा

आबूरोड के लूनियापुरा पुलिया के नीचे बत्तीसा और कुई सांगना का बरसाती नाला है। इस पर अतिक्रमण था। इससे लूनियापुरा निचली बस्ती में जलभराव होता था। इसे लेकर भाजपा के पार्षद कमलेश सैनी ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें लूनियापुरा पुलिया के पास बनी गेमनशाह दरगाह के द्वारा इस नाले में अतिक्रमण किए जाने से जल प्रवाह में बाधा आने की बात की गई थी। हाईकोर्ट की डबल बैंच के न्यायाधीश अनुरूप सिंघी और संजीव प्रकाश शर्मा ने इस अतिक्रमण को हटवाकर 17 अक्टूबर को अधिशासी अधिकारी को रिपोर्ट लेकर प्रस्तुत होने को कहा था।

अधिशासी अधिकारी दीपिका वीरवाल ने गुरुवार को इस नाले में बनी दरगाह की सुरक्षा दीवार के तोडे जाने का अवलोकन किया। इस दौरान अपीलार्थी कमलेश सैनी ने हाईकोर्ट के आदेश की अक्षरशः पालना नहीं किए जाने पर अधिशासी अधिकारी से आपत्ति दर्ज करवाई। इस रिपोर्ट के बाद अधिशासी अधिकारी शुक्रवार को न्यायालय में पेश हुई। जहां पर न्यायालय ने ये आदेश दिया कि सभी अतिक्रमण हटाएं।

-सिविल न्यायालय का नहीं हो सकेगा हस्तक्षेप

राजस्थान हाईकोर्ट ने कमलेश सैनी के द्वारा लगाई गई याचिका को व्यापक स्तर पर ले लिया। हाईकोर्ट ने लूनियापुरा के इस बरसाती नाले के अलावा संपूर्ण आबूरोड नगर पलिका क्षेत्र में अतिक्रमणों को हटाने के आदेश अधिशासी अधिकारी को दिए। यही नहीं न्यायालय ने इस आदेश में जो बाध्यता लगाई उससे अतिक्रमियों को स्थानीय सिविल न्यायालयों में स्टे जैसी राहत नहीं मिल पाएगी। न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने के आदेश के साथ ये भी कहा कि कोई भी सिविल न्यायालय हाईकोर्ट की डबल बैंच की अनुमति के बिना नगर पालिका आबूरोड के द्वारा अतिक्रमणों को हटाने के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकेगा। ऐसे में अतिक्रमियों को स्थानीय स्तर पर किसी भी तरह की कोई राहत नही मिल पाएगी।

अब आबूरोड शहर के 40 वार्डों में सरकारी जमीनों, सडकों व अन्य सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करने वालों का पर गाज गिरना तय है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 नवम्बर 2025 को होगी।