बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी सुलक्षणा पंडित

मुंबई। बॉलीवुड में बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुलक्षणा पंडित को ऐसी शख्सियत के रूप में याद किया जाएगा जिन्होंने न सिर्फ अपने सुरों के जादू से बल्कि अपनी दिलकश अदाओं से भी सिनेप्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया।

सुलक्षणा पंडित का जन्म वर्ष 1954 में हुआ था। वह संगीत-परिवार से ताल्लुक रखती थीं। सुलक्षणा के चाचा महान शास्त्रीय संगीत गायक पंडित जसराज थे. उनकी तीन बहनें और तीन भाई हैं, जिनमें भाई जतिन-ललित जोड़ी के रूप में प्रसिद्ध संगीतकार बने।

सुलक्षणा ने मात्र नौ साल की उम्र में गाना शुरू कर दिया था। शुरुआत में वह स्टेज शो करती थीं। फिल्मों में सुलक्षणा का सिंगिंग करियर वर्ष 1967 में प्रदर्शित फिल्म तकदीर से शुरू हुआ। इस फिल्म में उन्होंने लता मंगेशकर के साथ सात संमदर पार से.. गाना गाया था।

इसी दौरान उन्हें फिल्मों में एक्टिंग के लिए भी ऑफर मिलने लगे। वर्ष 1975 में उन्होंने फिल्म उलझन से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। उन्हें 1976 में फिल्म संकल्प के गाने तू सागर है… के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। सुलक्षणा ने 1970-80 के दशक में उलझन, संकोच, अपनापन और हेरा फेरी जैसी कई फिल्मों में काम किया।

उन्होंने उस समय के लगभग सभी टॉप एक्टर्स के साथ काम किया। उन्होंने किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, येशुदास और उदित नारायण जैसे गायकों के साथ युगल गीत गाए। उन्होंने हेरा फेरी, शंकर शंभू, अपनापन, कसम खून की, अमर शक्ति, खानदान, गंगा और सूरज, चेहरे पे चेहरा, राज, धरमकांटा, वक्त की दीवार, काला सूरज जैसी फिल्मों में काम किया है। वह आखिरी बार 1988 में आई फिल्म दो वक्त की रोटी में नजर आईं थीं।

ऐसा कहा जाता है कि सुलक्षणा अभिनेता संजीव कुमार से शादी करना चाहती थीं, लेकिन संजीव कुमार ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। संजीव कुमार के इनकार के बाद सुलक्षणा पंडित टूट गईं। उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का फैसला किया और अपना जीवन अकेलेपन में बिताया।

उनकी आवाज आखिरी बार 1996 की फिल्म खामोशी: द म्यूजिकल के गाने सागर किनारे भी दो दिल में सुनाई दी, जिसे उनके भाइयों जतिन-ललित ने कंपोज किया था।