चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मानेसर भूमि घोटाला मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान उनकी याचिका खारिज कर दी, जिससे पंचकूला स्थित केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में अब आरोप तय करने की प्रक्रिया का रास्ता साफ हो गया है।
उच्च न्यायालय से राहत न मिलने के बाद अब सीबीआई की विशेष अदालत श्री हुड्डा और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करेगी और मुकदमे की औपचारिक कार्यवाही शुरू होगी। सीबीआई पहले ही इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री सहित कई लोगों पर गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि 2007 में भूमि अधिग्रहण से जुड़ा यह मामला उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया था। शीर्ष अदालत ने तत्कालीन हुड्डा सरकार द्वारा अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द करने के फैसले को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए इसे धोखाधड़ी की श्रेणी में रखा था। अदालत ने सीबीआई को बिचौलियों द्वारा कमाए गए अवैध लाभ की जांच करने और सार्वजनिक धन की वसूली के निर्देश दिए थे।
सीबीआई ने सितंबर 2015 में जांच शुरू की थी और 2018 में हुड्डा समेत 34 आरोपियों के खिलाफ लगभग 80,000 पन्नों की आरोप पत्र दाखिल की थी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम जिले के मानेसर और आसपास के गांवों में किसानों से सस्ते दामों पर जमीन अधिग्रहित की गई और बाद में निजी बिल्डरों और रियल एस्टेट कंपनियों को रियायती दरों पर लाइसेंस जारी किए गए। इस वर्ष की शुरुआत में सीबीआई ने अदालत से मामले की सुनवाई में तेजी लाने की मांग की थी, जो चार साल से स्थगन आदेशों के चलते लंबित थी।



