कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बांग्लादेश से बड़ी संख्या में घुसपैठ कर आए और वर्षों से राज्य में रह रहे लोगों के मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान अपने देश लौटने की खबरों के बीच रविवार को कहा कि वह जल्द ही भारत-बांग्लादेश सीमा का दौरा कर स्थिति का व्यक्तिगत रूप से आकलन करेंगे।
राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल की तीसरी वर्षगांठ पर मीडिया से बातचीत करते हुए बोस ने कहा कि मैं सीमा की स्थिति पर तब तक कुछ नहीं कह सकता जब तक मैं व्यक्तिगत रूप से इसका आकलन न कर लूं। मैं जल्द ही सीमा पर जाऊंगा और फिर बात करूंगा। उनकी यह टिप्पणी उस दिन आई है जब हजारों लोग कथित रूप से बांग्लादेश वापस जाने की करते हुए उत्तर 24 परगना के स्वरूपनगर में हकीमपुर सीमा के पास एकत्रित हुए हैं।
हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है लेकिन सीमा सुरक्षा बल के सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई लोग अवैध रूप से भारत में घुसे थे और उन्हें डर है कि एसआईआर प्रक्रिया से उनकी पहचान उजागर हो सकती है।
एसआईआर से जुड़ी चिंताओं पर बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि चुनाव आयोग बहुत मज़बूत है और उसका दृष्टिकोण संतुलित है। सभी मुद्दों की गहन जांच की जाएगी और प्रभावी समाधान निकाले जाएंगे। इस देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव ज़रूरी हैं।
बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) पर अत्यधिक काम का बोझ और मौत पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए बोस ने सतर्क रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचना ही बेहतर है। मुख्यमंत्री जो कह रही है उसकी बारीकी से जांच की जाएगी। हमें हिंसा-मुक्त बंगाल और भ्रष्टाचार-मुक्त बंगाल चाहिए।
इससे पहले दिन में राजभवन में काफी चहल-पहल थी क्योंकि राज्यपाल ने सुबह की शुरुआत लॉन में युवाओं के साथ योग सत्र में शामिल होकर की।
बाद में एक प्रेस वार्ता में भावुक होकर उन्होंने कहा कि राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के चौथे वर्ष में प्रवेश करते हुए मुझे इस बात से बहुत संतुष्टि और आत्म-तृप्ति मिल रही है कि मैं इस पवित्र भूमि पर आया हूं जहां के लोगों से मुझे प्यार है और मुझे उनसे प्यार मिलता है। यह लोगों के साथ जुड़ने की मेरी प्रतिबद्धता को पुनः व्यक्त करने का एक अवसर है।
राज्यपाल ने कहा कि वह अपना शेष कार्यकाल सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित करना चाहते है जिसमें बच्चों, बुजुर्गों और ग्रामीण समुदायों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दो सालों में, मैं निश्चित रूप से गांवों में लोगों के साथ ज़्यादा समय बिताऊंगा। राजभवन के द्वार सभी के लिए खुले रहेंगे। राज्य में मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा है। कार्यपालिका के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं लेकिन यह लोकतंत्र का हिस्सा है।
विधेयकों को मंजूरी देने में देरी से लेकर राजनीतिक अशांति के मुद्दों पर राजभवन और राज्य सरकार के बीच टकराव पर राज्यपाल ने बोलने से परहेज नहीं किया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के साथ मेरे संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए हैं लेकिन ये मेरे काम का हिस्सा हैं। राजभवन में आज सामूहिक विवाह समारोह का भी आयोजन किया गया जिसमें राज्यपाल ने 100 जोड़ों के विवाह की जिम्मेदारी स्वयं ली, जो राज्य के लोगों तक उनकी पहुंच को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है।



