अजमेर। विश्व रैबीज दिवस के अवसर पर बहुउद्देशीय पशु चिकित्सालय अजमेर में श्वानों के एण्टीरैबीज टीकाकरण अभियान चलाया गया। उपनिदेशक डॉ आलोक खरे ने बताया कि रैबीज जैसे जूनोटिक रोग के बारे में श्वान पालकों को जागरूक किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ कपिल चौपड़ा, डॉ मनीष जैन एवं डॉ कुलदीप सिंह ने श्वान पालकों को इस रोग के बारे में जानकारी दी। छीतरमल ने भी इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया
हर नौ मिनट में रेबीज से होती है एक मौत: डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्व में हर नौ मिनट में कहीं न कहीं रेबीज से एक व्यक्ति की जान जाती है। अगर जंगली जानवरों के काटने के बाद एंटी रैबीज सीरम और टीके के पूरे डोज ले लिए जाएं तो इससे बचाव मुमकिन है।
हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर आज डब्ल्यूएचओ ने इसके रोग के बारे को लेकर लोगों को आगाह किया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 150 से ज्यादा देश खासकर एशिया और अफ्रीका में रेबीज एक गंभीर समस्या है।
यह बीमारी जंगली जानवरों, कुत्ते, बिल्ली, के काटने,खराेंच मारने से होती है जिसकी लार से रेबीज विषाणु पीड़ित के शरीर में आ जाते हैं इससे हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है, जिनमें से 40 फीसदी मौंते 15 से कम उम्र के बच्चों की होती है।
रेबीज के 99 फीसदी मामले कुत्ते, बिल्ली के काटने और खरोंचने से होते हैं। हालांकि कुत्तों के टीकाकरण के जरिये इसे रोका जा सकता है। यह विषाणु इंसान के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को संक्रमित कर उसे अपने नियंत्रण में ले लेता है और इससे पीड़ित व्यक्ति कुत्ते, बिल्ली की तरह की व्यवहार करने लगता है, जिससे यह 100 फीसदी घातक हो जाता है।
रेबीज विषाणु स्तनधारियों को संक्रमित करता है, जिनमें कुत्ते, बिल्ली, पशुधन और वन्यजीव शामिल हैं। रेबीज जानवरों की लार के माध्यम से फैलता है। आमतौर पर काटने, खरोंचने या आखें, मुंह या खुले घाव के सीधे इन जानवरों के संपर्क में आने से रेबीज हो सकता है।
रेबीज अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों पर पाया जाता है। इससे दुनियाभर में हर साल अनुमानित 59000 मौतें होती है। रेबीज पर खर्च होने वाले धन की बात करें तो पूरे विश्व में हर साल लगभग 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि इस बीमारी के उपचार पर खर्च की जाती है।
इसके अतिरिक्त विश्वभर में हर साल 2.9 करोड़ से अधिक लोगों को रेबीज का टीका लगाया जाता है। अगर सिर्फ भारत की बात करें तो वर्ष 2024 में 37 लाख से अधिक कुत्तों के काटने के मामले सामने आये। वहीं, रेबीज से 2024 में 54 लोगों की जान गई। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने 22 जुलाई 2025 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी।
अगर रेबीज पर भारत सरकार के द्वारा खर्च की गई राशि पर बात करें तो वित्त वर्ष 2023-24 में कुल स्वीकृत राशि 1080.57 लाख रूपए रही, इसमें केंद्र और राज्य दोनों की भागीदारी रही। वहीं, वित्त वर्ष 2024-25 में स्वीकृत राशि बढ़ाकर 1423.41 लाख कर दी गई। इसके अतिरिक्त 2023-24 में 64.55 लाख लोगों को रेबीज वैक्सीन लगाई गई, जबकि 2024-25 में 80.19 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी।